मां के दूध का एक अनोखा बैंक, जिसने अबतक 1900 नवजात बच्चों की बचाई जान
अप्रैल, 2013 में हुआ स्थापित...
32 महिलाएं कर चुकी हैं दूध दान...
उदयपुर के अस्पताल में चल रहा है “दिव्य मदर मिल्क बैंक”...
किसी भी नवजात के लिए मां का दूध अमृत समान होता है, एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर पैदा होते ही मरने वाले 100 बच्चों में से 16 बच्चों को मां का दूध मिल जाये तो उनको बचाया जा सकता है। लेकिन कई कारणों से ऐसे बच्चों तक मां का दूध नहीं पहुंच पाता और वो दम तोड़ देते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के उदयपुर में रहने वाले योग गुरू देवेन्द्र अग्रवाल की संस्था “मां भगवती विकास संस्थान” ने “दिव्य मदर मिल्क बैंक” की स्थापना की है। जो ना सिर्फ मांओं से दूध इकट्ठा करती है बल्कि जरूरमंद बच्चों तक दूध पहुंचाने का इंतजाम भी करती है। उदयपुर और उसके आसपास के इलाकों में “दिव्य मदर मिल्क बैंक” की सफलता को देखते हुए राज्य सरकार ने इस योजना को अब अपने बजट में शामिल किया है और इस तरह के विभिन्न शहरों में 10 मदर मिल्क बैंक खोलने की घोषणा की है। इसके लिए सरकार ने अपने बजट में 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।
“दिव्य मदर मिल्क बैंक” के संस्थापक योग गुरू देवेंद्र अग्रवाल ने इसकी स्थापना अप्रैल, 2013 में की थी। उनका कहना है कि इसको शुरू करने की एक बड़ी वजह उनके संस्थान की ओर से चलाई जा रही ‘महेशाश्रम’ मुहिम थी। इस मुहिम के तहत जो लोग पैदा होते ही लड़कियों को फेंक देते हैं या कहीं छोड़ देते हैं उनको ये अपने यहां आसरा देते हैं, उनको बड़ा करते हैं। इसके लिए “मां भगवती विकास संस्थान” ने उदयपुर और उसके आसपास कई जगह पालने लगाये हैं। जहां पर आकर कोई भी अपनी बेटी को इनको दे सकता है। अब तक यहां पर 125 बच्चियों की लाया जा चुका है। योग गुरू देवेंद्र अग्रवाल के मुताबिक “महेशाश्रम का अपना एनआईसीयू है। जिसमें वर्ल्ड क्लास सुविधाएं हैं। बावजूद इसके इन बच्चियों को कई बार सर्दी या कोई दूसरी बीमारी हो जाती थी और इसकी वजह थी कि उनको मां का दूध ना मिलना, जो बच्चियों में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को बढ़ाता है। क्योंकि मां के दूध में कई रोगाणु नाशक तत्व होते हैं जो इन बच्चियों को नहीं मिल पाते थे।”
तब योग गुरू देवेन्द्र अग्रवाल ने सोचा कि ऐसी अनाथ लड़कियों के लिए मां के दूध का इंतजाम किया जाना चाहिए क्योंकि कई ऐसे बच्चे जो एनआईसीयू में होते थे जिनमें से अगर कुछ लड़कियों को मां का दूध मिल जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। इसके बाद वो ये जानने की कोशिश में जुट गये कि दुनिया में कहां पर इस तरह का काम चलाया जा रहा है। जिसके बाद उनको पता चला की ब्राजील में इस तरह का काफी बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। जो विश्व में ह्यूमन मिल्क बैंकिंग के नाम से सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसके बाद उन्होने फैसला लिया कि उदयपुर में भी इस तरह का ह्यूमन मिल्क बैंक शुरू करना चाहिए। तब योग गुरू देवेन्द्र अग्रवाल और उनके साथियों ने “ह्यूमन मिल्क बैंकिग एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका” पर काम करना शुरू किया और उसी अवधारणा पर इन लोगों ने उदयपुर में मदर मिल्क बैंक की स्थापना के लिए राज्य सरकार से मदद मांगी।
जिसके बाद सरकार ने खुशी खुशी इन लोगों को इस नेक काम को करने की इजाजत दे दी। जिसके बाद उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज के पन्नाधाई राजकीय महिला चिकित्सालय में आज ये मदर मिल्क बैंक चल रहा है। खास बात ये है कि इसे “ह्यूमन मिल्क बैंकिग एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका” की गाइडलाइन के अधार पर तैयार किया गया है। इतना ही नहीं इस मिल्क बैंक के स्टॉफ का खर्चा और इसका संचालन योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल की संस्था संस्था “मां भगवती विकास संस्थान” उठाता है। इस बैंक में इकट्ठा होना वाला दूध सबसे पहले अस्पताल के एनआईसीयू में मौत से लड़ रहे बच्चों को दिया जाता है। इसके बाद ही बचे दूध को महेशाश्रम में मौजूद अनाथ बच्चियों को दिया जाता है। अब तक इस बैंक में 32 सौ से ज्यादा महिलाएं साढ़े सात हजार से ज्यादा बार दूध दान कर चुकी हैं। “दिव्य मदर मिल्क बैंक” के मुताबिक मांओं के इस दूध से अब तक करीब 1900 नवजात बच्चों की जान बचाई जा चुकी है।
योग गुरू देवेंद्र अग्रवाल के मुताबिक इस बैंक में तीन तरह के डोनर आते हैं पहली वो महिलाएं होती हैं जिनके पास बच्चे की खुराक से ज्यादा दूध होता है, दूसरी वो महिलाएं होती हैं जिनका बच्चा आईवी पर होता है और बच्चों की फीडिंग रोक दी जाती है इस कारण वो महिला अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती तो वो यहां आकर दूध दान कर सकती है और तीसरी तरह की महिला डोनर वो होती हैं जिनके बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं, हालांकि ये लोग ऐसी मांओं पर दूध दान देने का जोर नहीं डालते। योग गुरू देवेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि “जब हमने इस मिल्क बैंक की शुरूआत की थी तो लोग हमको कहते थे कि क्यों कोई हमको दूध दान देगा? क्योंकि लोगों का मानना था कि कोई खून तो दान दे सकता है लेकिन कोई अपने बच्चे के हिस्से का दूध कैसे दान देगा भले ही वो ज्यादा क्यों ना हो।”
इस मिल्क बैंक में दूध दान देने से पहले महिलाओं को एक खास प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसके तहत जो महिला दूध देना चाहती है उससे पहले उसका चैकपक किया जाता है, ताकि ये पता चल सके की कहीं उसे कोई बीमारी तो नहीं है या फिर वो अल्कोहल या इस तरह के पदार्थों का सेवन तो नहीं करती है। इसके अलावा दूध दान देने वाली महिला का 2 एमएल खून लिया जाता है। ताकि जांच में पता चल सके कि महिला को एचआईवी या कोई दूसरी संक्रमित बीमारी तो नहीं है। इन सब जांच के बाद ही कोई महिला अपना दूध दान कर सकती है। इसके अलावा जो महिलाएं यहां पर दूध देने के लिए आती हैं उससे पहले उनसे कहा जाता है कि वो दूध दान देने से पहले अपने बच्चे को दूध पिलाएं। इसके बाद ब्रैस्ट पंप के जरिया बाकि बचा दूध निकाल लिया जाता है।
मिल्क बैंक में जमा होने वाले दूध को खास प्रक्रिया के तहत सुरक्षित रखा जाता है। सबसे पहले मां से मिले दूध को तब तक माइनस पांच डिग्री पर सुरक्षित रखा जाता है जब की मां के खून की रिपोर्ट नहीं आ जाती। इसके बाद सभी डोनर महिलाओं के दूध को मिलाकर उसे पास्तुरीकृत किया जाता है। इसके बाद 30 एमएल का एक यूनिट तैयार कर उसे सील पैक किया जाता है। इसके बाद 12 यूनिट का एक बैच बनाया जाता है। उसमें से एक यूनिट को अलग कर माइक्रोबॉयोलिजी लैब में कल्चर रिपोर्ट के लिए भेज दिया जाता है। जबकि शेष यूनिट को कल्चर रिपोर्ट आने तक माइनस 20 डिग्री में सुरक्षित रख दिया जाता है। इस दूध की खास बात होती है कि ये तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
ये देश का पहला कम्युनिटी ह्यूमन मिल्क बैंक है। “दिव्य मदर मिल्क बैंक” मांओं से दूध इकट्ठा करने के लिए कई जगह कैंप भी लगाता है। खास बात ये है कि इस योजना में अब राज्य सरकार ने भी अपनी रूचि दिखाई है। इसके लिए राज्य भर में 10 मदर मिल्क बैंक खोलने की योजना है। इसके लिये 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। उदयपुर में “दिव्य मदर मिल्क बैंक” की स्थापना के बाद योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल का कहना है कि उनकी योजना अब राजस्थान के बाहर यूपी और हरियाणा में भी इस तरह के बैंक खोलने की है। इसके लिए उनकी लोगों से बातचीत जारी है।
वेबसाइट : www.divyamothermilkbank.org