'वंचित' महिलाओं को तोहफा, सिर्फ 2.50 रुपये में मिलेगा बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकीन
यह किफायती सैनिटरी नैपकीन देश भर के 3200 जन-औषधि केंद्रों पर 2.50 रुपये प्रति पैड उपलब्ध होगी और यह भारत की वंचित महिलाओं के लिए स्वच्छता, स्वास्थ्य और सुविधा सुनिश्चित करेगी।
यह उन महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण आवश्यकता है, जो आज बाजार में उपलब्ध प्रसिद्ध ब्रांड की सैनिटरी नैपकीन नहीं पाने के चलते अब भी मासिक धर्म के दौरान अस्वस्थ्यकर साधनों का इस्तेमाल करती हैं।
दो दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय दिवस पर सरकार ने देश की महिलाओं को एक बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने गुरुवार को बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकीन लॉन्च किया है, जिसकी कीमत सिर्फ 2.50 रुपये होगी। इसे प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना लॉन्च किया गया है। यानी इनकी बिक्री जन औषधि केंद्रों से की जा सकेगी। एक पूरे पैकेट में 4 पैड होंगे और इसकी कीमत 10 रुपये होगी। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने पूरी तरह ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकीन 'सुविधा' के लांच की घोषणा की।
यह किफायती सैनिटरी नैपकीन देश भर के 3200 जन-औषधि केंद्रों पर 2.50 रुपये प्रति पैड उपलब्ध होगी और यह भारत की वंचित महिलाओं के लिए स्वच्छता, स्वास्थ्य और सुविधा सुनिश्चित करेगी। मीडिया को संबोधित करते हुए अनंत कुमार ने कहा कि औषधि विभाग द्वारा उठाया गया यह कदम सभी के लिए किफायती और गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को साकार करेगा।
अनंत कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन सभी महिलाओं के लिए यह एक विशेष उपहार है, क्योंकि यह अनोखा उत्पाद किफायती और स्वास्थ्यकर होने के साथ ही इस्तेमाल और निपटान में आसान है। उन्होंने बताया कि 28 मई, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता दिवस से देश के सभी जन-औषधि केंद्रों पर सुविधा नैपकीन बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार 15 से 24 साल तक की 58 प्रतिशत महिलाएं स्थानीय स्तर पर तैयार नैपकीन, सैनिटरी नैपकीन और रुई के फाहे का इस्तेमाल करती हैं।
शहरी क्षेत्रों की 78 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के लिए स्वस्थ विधियां अपनाती हैं। ग्रामीण इलाके की केवल 48 फीसदी महिलाएं साफ-सुथरा सैनिटरी नैपकीन का इस्तेमाल कर पाती हैं। मंत्री ने बताया कि यह उन महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण आवश्यकता है, जो आज बाजार में उपलब्ध प्रसिद्ध ब्रांड की सैनिटरी नैपकीन नहीं पाने के चलते अब भी मासिक धर्म के दौरान अस्वस्थ्यकर साधनों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे अस्वस्थ्यकर साधनों के इस्तेमाल से महिलाओं को कई बीमारियां होती हैं और वे बांझपन तक का भी शिकार हो जाती हैं।
उन्होंने बताया कि बाजार में उपलब्ध आज की गैर-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकीन पर्यावरण की बड़ी समस्या बन रही हैं। उन्होंने बताया कि पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल सुविधा नैपकीन स्वच्छता सुनिश्चित करेगी। इस मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए राज्य मंत्री मनसूख लाल मांडविया ने मीडिया के सामने ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल शब्द को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि सुविधा नैपकीन में एक विशेष प्रकार का पदार्थ मिलाया जाता है, जिससे इस्तेमाल के बाद ऑक्सीजन के संपर्क में आकर यह बायोडिग्रेडेबल हो जाती है।
मांडविया ने बताया कि आज बाजार में उपलब्ध किसी भी सैनटरी नैपकीन की कीमत लगभग 8 रुपये प्रति पैड है, जबकि सुविधा नैपकीन की कीमत 2.50 रुपये प्रति पैड है। मंत्रालय आपूर्ति श्रृंखला पर लगातार नजर रख रही है और ऑनलाइन ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर के जरिए निगरानी कर रही है ताकि देश भर में पीएमबीजेपी केंद्रों पर आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सके।
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