चाय के शौकीनों ने विदेश की नौकरी छोड़ लगा ली चाय की दुकान
चाय पीने के शौकीन अपने शौक के लिए कहां तक जा सकते हैं? आप कहेंगे कि बीस कप चाय पी जायेंगे, एक दिन में या इससे भी अधिक। इंजीनियर पंकज शर्मा और कारोबारी आशीष चाय के जूनून में इससे भी आगे निकल गए हैं। इनके चाय के जुनून ने इन्हें चाय की दुकान ही खुलवा दी है।
सुनने में हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच्चाई है, कि दो चय प्रमियों ने विदेश की डलर्स वाली नौकरी छोड़कर अपने शहर चंडीगढ़ में चाय की दुकान खोल ली है और दुकान ऐसी, जिसने शहर भर के चाय के शौकीनों को दीवाना बना दिया है। दुकान का नाम है, चायबब्बल।
चायबब्बल, जैसा नाम वैसी ही चाय। भाप उठती, महक भरी। पर यहां सिर्फ एक नहीं दो सौ से अधिक तरह की चाय उपलब्ध हैं और दो सौ तरह की चाय के आगे ढेरों ज़ायके।
चायबब्बल में चाय के साथ-साथ खाने की खास रेसेपीज़ भी उपलब्ध हैं, जिन्हें पंकज और आशीष ने खुद तैयार किया है।
चायबब्बल के पीछे की कहानी भी अपने आप में रोचक है। चाय की दीवानगी की दास्तां है। पंकज शर्मा वैसे तो इंजीनियर हैं, लेकिन पेशेे के तौर पर इंजीनियरिंग को बहुत ही कम समय के लिए अपनाया। कुछ समय के लिए कपड़े का काम भी किया, लेकिन रास नहीं आया। वह ऐसा कुछ करना चाहते थे, जो उनके दिल में कई साल से दबा था। वे बताते हैं, कि कॉलेज के दिनों में वे शेफ बनना चाहते थे। लेकिन मां-बाप की ज़िद के आगे कुछ अधिक नहीं कर पाये और इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेना पड़ा। लेकिन ऐसा कुछ करने का शौक खत्म कभी नहीं हुआ।
पिछले पंद्रह साल से पंकज शर्मा देश-विदेश में योगा सिखा रहे हैं और योगी पंकज के नाम से दुनिया भर में जाने जाते हैं। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और जापान सहित कई देशों में पंकज शर्मा को योग ट्रेनिंग देने के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है।
पिछले पंद्रह साल से पंकज शर्मा देश-विदेश में योगा सिखा रहे हैं और योगी पंकज के नाम से दुनिया भर में जाने जाते हैं। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और जापान सहित कई देशों में पंकज शर्मा को योग ट्रेनिंग देने के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है, लेकिन यह मुकाम हासिल करने के बावजूद उनके मन में चाय के अपने शौक के लिए कुछ करने की इच्छा बनी रही। तीन साल पहले उन्होंने इस बारे में उनके एक दोस्त आशीष से बात की। आशीष भी चाय पीने के शौकीन हैं।
आशीष के परिवार का सर्जीकल उपकरण और औज़ार बनाने का काम था। वे यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन को सर्जीकल उपकरणों की सप्लाई करते थे। बाद में उन्होंने काम बदला और अमेरिका चले गए।
आशीष के परिवार का सर्जीकल उपकरण और औज़ार बनाने का काम था। वे यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन को सर्जीकल उपकरणों की सप्लाई करते थे। बाद में उन्होंने काम बदला और अमेरिका चले गए। अमेरिका के फिलाडेल्फिया राज्य में उन्होंने अपना कारोबार शुरु किया।
फिलाडेल्फिया में आशीष ने कुछ गैस स्टेशन खरीदे। तीन साल पहले भारत आने पर पंकज शर्मा ने उनसे चाय के शौक के बारे में चर्चा की। चर्चा का नतीजा यह निकला कि दोनों ने मिलकर चाय की एक आधुनिक दुकान खोलने का फैसला कर लिया। फिर शुरु हुई चाय पर चर्चा और चाय पर रिसर्च। चाय की किस्मों से लेकर चाय की मेडिसिनल प्रॉपर्टी की जानकारी। अन्य देेशों में चाय बनाने और पीने का तरीका और उससे जुड़े विश्वास। इसके बाद पिछले साल नवंबर में चायबब्बल का पहला आऊटलेट चंडीगढ़ के सैक्टर 10 में खुला।
पंकज का कहना है, कि उन्हें ये तो मालूम था कि शहर में चाय के शौकीन बहुत हैं, लेकिन चायबब्बल के प्रति लोगों में ऐसी दीवानगी होगी यह अनुमान नहीं था। चाय के शौकीन लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया है।
चायबब्बल में भारत की कांगड़ा और असम चाय के अलावा नेपाल, श्रीलंका और जापान से आयातित चाय भी उपलब्ध है।
चायबब्बल में चाय के साथ-साथ खाने की खास रेसेपीज़ भी उपलब्ध हैं, जिन्हें पंकज और आशीष ने खुद तैयार किया है। चायबब्बल आऊटलेट में बैठकर चाय का मजा लेने के अलावा आप चाहें तो चाय की पैकिंग भी करा सकते हैं। इसके लिए खास तरह के फ्लासक हैं जिनमें चाय डेढ़ घंटे तक गरम रहती है। इसके साथ देसी तरीके से चाय में डुबोकर खाने के लिए टाइगर बिस्कुट भी दिए जाते हैं। बच्चों के लिए खास तरीके की दूध वाली चाय भी उपलब्ध है।
आशीष कहते हैं, कि शाम के समय जब आजकल के युवा शराब पीने लगते हैं, ऐसे समय में यहां युवाओं को चाय पीते देखना अच्छा लगता है कि वे नशे से दूर हो रहे हैं। पंकज का कहना है, कि चायबब्बल के रिस्पॉन्स को देखते हुए वे जल्दी ही अन्य शहरों में भी आउटलेट खोलने की योजना पर काम कर रहे हैं।
लेखक: रवि शर्मा