भारत के युवा एथलीटों को अपने दम पर ओलंपिक के लिए तैयार कर रहा ये शख्स
रोहित ने हाल ही में इंडोनेशिया के जकार्ता में संपन्न हुए एशियन गेम्स में आठ सदस्यीय नौकायान टीम का हिस्सा रह चुके हैं। उन्हें इसी साल अगस्त में यूथ ओलंपिक गेम्स में यंग चेंज मेकर अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।
'ओलंपिक में हर देश को बराबरी की नजर से देखा जाता है। इसके अलावा ओलंपिक में खेलना एक अलग ही स्तर की बात होती है वहां पर बराबरी दिखती है। मैं उसी लक्ष्य को लेकर अपने देश में काम करना चाहता हूं।'
नौकायान में एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले रोहित मरदप्पा भारत के गरीब और कम संसाधन वाले युवा खिलाड़ियों को ओलंपिक के लिए तैयार कर रहे हैं। रोहित ने हाल ही में इंडोनेशिया के जकार्ता में संपन्न हुए एशियन गेम्स में आठ सदस्यीय नौकायान टीम का हिस्सा रह चुके हैं। उन्हें इसी साल अगस्त में यूथ ओलंपिक गेम्स में यंग चेंज मेकर अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। देश के लिए खेलने के साथ ही 23 वर्षीय रोहित तमिलनाडु के तमाम अन्य युवाओं को भी ओलंपिक के लिए तैयार कर रहे हैं।
रोहित कहते हैं, 'मैं हमेशा से साफ सुथरे और बराबरी वाले खेल के लिए जुनूनी रहा हूं। और मेरे लिए ओलंपिक एक ऐसा ही मंच है जहां ये संभव हो पाता है।। मैं अपने देश के गरीब और कमजोर तबके के खिलाड़ियों को ओलंपिक में खेलते देखना चाहता हूं। ओलंपिक में हर देश को बराबरी की नजर से देखा जाता है। इसके अलावा ओलंपिक में खेलना एक अलग ही स्तर की बात होती है वहां पर बराबरी दिखती है। मैं उसी लक्ष्य को लेकर अपने देश में काम करना चाहता हूं।'
रोहित का उद्देश्य है दूरदराज के प्रतिभावान खिलाड़ियों को विश्वस्तर पर पहचान दिलाना। वे अपनी अकैडमी में कई तरह की वर्कशॉप आयोजित करवाते हैं जिसमें भारत समेत कई देशों के खिलाड़ी शामिल होते हैं और खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं। वे कहते हैं, 'मेरा काम भारत के एथलीट और ओलंपिक हीरो के बीच के गैप को भरना है। हम इसके साथ ही इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि खिलाड़ियों को भाषा संबंधित कोई दिक्कत न हो।'
रोहित बताते हैं कि उन्होंने भारत के आम बच्चों और स्लम में रहने वाले बच्चों के बीच काफी फर्क है, फिर चाहे वह अवसर की बात हो या फिर सुख सुविधाओं की। वे कहते हैं, 'स्लम के इन बच्चों में काफी संभावनाएं हैं, बस इन्हें तराशने की जरूरत है।' वे इन्हीं सब समस्याओं को दूर करते हुए लगातारा काम कर रहे हैं। वे कहते हैं कि इससे गरीब बच्चों के अंदर आत्मविश्वास आएगा और उन्हें खुशी मिलेगी कि वे देश के लिए कुछ अच्छा कर रहे हैं। रोहित खिलाड़ी होने के साथ ही ओशोका यूनिवर्सिटी द्वारा यंग इंडिया फेलोशिप पा चुके हैं।
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