एक जगह ऐसी भी जहां मनती है दिवाली पटाखों के बिना
पक्षी अभयारण्य के आसपास के आठ गांवों में दिवाली तो मनती है, लेकिन पटाखे नहीं छूटते।
तमिलनाडु के एक जिले ईरोड के एक पक्षी अभयारण्य के आसपास के आठ गांवों के लोग पिछले 17 वर्ष से बिना पटाखों को जलाए दिवाली मनाते हैं, क्योंकि उन्हें इस बात की आशंका है कि तेज आवाज से प्रवासी पक्षी डर कर भाग जाएंगे।
वर्ष 1996 में 80 हेक्टेयर भूमि में वेल्लोड पक्षी अभयारण्य की स्थापना हुई थी
ईरोड जिले के आसपास के आठ गांवों में करीब 750 परिवार रहते हैं।
इन गांवों के लोगों ने सत्रह वर्ष पहले दिवाली पर पटाखे नहीं जलाने का फैसला लिया था। इसके पीछे वजह सिर्फ इतनी थी कि यह अपने आसपास की जीवंतता को खतम नहीं करना चाहते थे। इन गांवों के निवासियों के यह डर था कि यदि वह दिवाली पर तेज़ आाज़ वाले पटाखे जलाएंगे तो गांवों के पास बने पक्षी अभयारण्य के सारे पक्षी तेज आवाज़ के कारण भयभीत होकर भाग जायेंगे।
इस पक्षी अभयारण्य में सितंबर से दिसंबर महीने के दौरान कुछ खास तरह के प्रवासी पक्षी आते हैं और यही वह महीना होता है, जब दिवाली का त्यौहार होता है।
गांव वालों का पक्षियों से यह लगाव सराहनीय है।