डिज़ाइनर ज्वेलरी में इंडियन ऑनलाइन ज्वेलरी मार्केट का नया खिलाड़ी‘रोशा फैशन’
एक वक्त ऐसा भी आया, जब इन्हें अचानक से काफी ऑर्डर मिलने लगे। तीन लोगों की टीम होने की वजह से इन्हें सप्लाई चेन मैनेजमेंट, ऑर्डर हैंडलिंग, ग्राहक सेवा और मार्केटिंग सबकुछ संभालना पड़ता था।
माना कि मोहतरमा की खूबसूरती की चर्चा है, लेकिन सिर्फ हुस्न के कसीदे गढ़ने से काम थोड़ी चले जाएगा। कुछ तो आपको भी जतन करना पड़ेगा, उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगाने के लिए। 'रोशा फैशन' को इससे गुरेज़ नहीं है, फिर आपको क्यों...
सागर शाह द्वारा स्थापित रोशा फैशन भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में एक नया खिलाड़ी है, जो डिजाइनर जूलरी बाजार पर केंद्रित है। ऑस्ट्रेलिया में ग्रेजुएशन करने और फिर वहाँ दो साल तक नौकरी करने के बाद शाह कारोबार शुरू करने के मकसद भारत लौटे थे। शाह का जूलरी बाजार में उतरना तब शुरू हुआ, जब प्रेमिका की सलाह पर लाए डिज़ाइनर जूलरी के सैंपल को उनके रिश्तेदारों ने न सिर्फ काफी पसंद किया, बल्कि मुँहमाँगी कीमत देने को भी तैयार हो गए।
शाह का कहना है कि किसी प्रोडक्ट की डिज़ाइन ही उसकी सबसे बड़ी ख़ासियत होती है। उन्होंने बताया कि इस तरह के डिजाइनर जूलरी टीवी सीरियल्स में अभिनेत्रियाँ पहनती हैं। इनकी कम कीमत इनके प्रतियोगियों से इन्हें अलग करती हैं।
शाह को उनके भाई वरुण और प्रेमिका रुतु से पूरा समर्थन मिला। कॉलेज की पढ़ाई कर रहा वरुण ग्राहक सेवा का ख्याल रखता है। सागर ने बताया कि प्रोग्रामिंग का कोई बैकग्राउंड नहीं होने के बावजूद, वो इसे आगे ले जाने को दृढ़ संकल्प थे और उन्होंने सिर्फ एक दिन में रोशा फैशन की वेबसाइट को तैयार कर लिया।
उन्होंने बताया कि उन्होंने भारतीय बाजार के बारे में काफी कुछ सीखा है। उनके मुताबिक, सबसे ज्यादा जोखिम अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए उन्होंने कैश ऑन डिलिवरी पद्धति में उठाया। शुरुआत में इन्होंने ग्राहकों को पेमेंट के लिए बाकी विकल्पों के साथ कैश ऑन डिलिवरी का विकल्प भी दिया, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हुआ। फिर इन्होंने इस विकल्प को हटा दिया।
इस साल ये अपने ऑर्डर को तीन गुना करने की उम्मीद कर रहें हैं, इस तरह ये काफी चुनौती भरे समय का सामना कर रहे हैं, लेकिन इनके सामने सबसे बड़ी मुश्किल थी शुरुआत में ग्राहकों को हासिल करना। विज्ञापन पर खर्च करने और प्रोडक्ट मुहैया कराने में खर्च करने के बावजूद, कई लोग सौदा पूरा नहीं कर रहे थे। इससे निपटने के लिए इन लोगों ने उन ग्राहकों से निजी तौर पर फोन कर बात करना शुरू किया, जिन्होंने इनके प्रोडक्ट को तो देखा और जांचा-परखा तो जरूर, लेकिन खरीदा नहीं। इससे ग्राहकों के साथ इनका एक रिश्ता बनने लगा।
शाह ने बताया कि मुश्किल भरा एक वक्त ऐसा भी आया, जब इन्हें अचानक से काफी ऑर्डर मिलने लगे। तीन लोगों की टीम होने की वजह से इन्हें सप्लाई चेन मैनेजमेंट, ऑर्डर हैंडलिंग, ग्राहक सेवा और मार्केटिंग सबकुछ संभालना पड़ता था।
आखिर में शाह को तब खुशी मिलती है, जब ग्राहक खुश होता है और प्रोडक्ट सही सलामत ग्राहक तक पहुंचा दिया जाता है। अब ये ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में अपना काम बढ़ाना चाहते हैं। सागर ने बताया कि वो ऑस्ट्रेलिया के एक समूह के साथ बातचीत भी कर रहे हैं। उनका मानना है कि जैसे-जैसे उनका कारोबार बड़ा हो रहा है, वैसे-वैसे इसे लेकर लोगों की समझ भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि वेबसाइट पर सारी जानकारी होने से ग्राहकों के साथ-साथ सप्लायर्स के साथ भी अच्छे संबंध बनाए रखने में सुविधा हो रही है।
भारतीय जूलरी उद्योग का ऑर्गनाइज़ सेक्टर काफी छोटा है (ये कुल जूलरी बाजार का करीब 6% है), अगले चार साल में इसके 41% CAGR तक बढ़ने की उम्मीद है। मैककिंजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 में ब्रांडेड जूलरी का बाजार करीब 2.2 बिलियन डॉलर का था और अगले पांच साल में इसमें और वृद्धि की उम्मीद है।