हिंडनबर्ग रिपोर्ट का असर, अडानी ने कारोबार विस्तार की योजनाओं को टाला
सालों तक कॉरपोरेट धोखाधड़ी करने के हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी ग्रुप को जनवरी से अब तक 100 खरब रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है.
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी और रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से चौतरफा संकट में घिरे अडानी ग्रुप ने दो महीने बाद अपने कारोबार विस्तार की योजनाओं का पुनर्मूल्यांकन करने के मजबूर कर दिया और अडानी ग्रुप अब अपनी महत्वाकांक्षाओं को कम करता हुआ दिख रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, सालों तक कॉरपोरेट धोखाधड़ी करने के हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी ग्रुप को जनवरी से अब तक 100 खरब रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है. मामले की जानकारी रखने वाले सोर्सेज ने बताया कि इसका असर यह हुआ है कि अडानी ग्रुप ने नए सेक्टरों में विस्तार की योजनाओं को फिलहाल के लिए टाल दिया है.
अडानी ग्रुप ने नए सेक्टरों में निवेश करने के लिए देश में सबसे अधिक कर्ज लिया है, वह अब पेट्रोकेमिकल्स से पीछे हट रहा है और पश्चिमी भारत के मुंद्रा में 4 अरब के ग्रीनफ़ील्ड कोल-टू-पॉलीविनाइल क्लोराइड परियोजना के साथ भी आगे बढ़ने की संभावना नहीं है.
सोर्सेज का कहना है कि अडानी ग्रुप अब एल्यूमिनियन, स्टील और सड़क परियोजनाओं में भी आगे बढ़ने से पीछे हट रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों से बेहद करीब से जुड़े हुए गौतम अडानी इसके बजाय अपनी मुख्य परियोजनाओं पर वापस करेंगे. इसमें बिजली उत्पादन, बंदरगाह और ग्रीन एनर्जी से जुड़ी हुई नई पहलें शामिल हैं.
इन मुख्य क्षेत्रों में भी, अडानी अलग तरीके से ही आगे बढ़ेंगे. लोगों ने कहा कि मार्जिन-लिंक्ड, शेयर-समर्थित फंडिंग के 2.15 बिलियन डॉलर के कर्ज को समय से पहले चुकाने के के लिए परिवार के शेयरों को बेचने के बाद, अडानी ग्रुप इस तरह के उच्च जोखिम वाली फंडिंग से बचने का इरादा रखता है.
यह अडानी की पिछले साल की रणनीति से बिल्कुल अलग है. साल 2022 में अडानी का कद और दौलत आसमान छू रही थी. एक समय पूर्व हीरा व्यापारी एशिया के सबसे अमीर आदमी थे और उनका निवेश मीडिया, महिला क्रिकेट और डेटा केंद्रों सहित - अपने पारंपरिक भारी बुनियादी ढांचे के दांव से परे क्षेत्रों में फैला हुआ था.
Edited by Vishal Jaiswal