रिटायर्ड फौजी ने पीएफ के पैसों से बनवाई गांव की सड़क
34 साल देश की सेवा के बाद सूबेदार मेजर भग्गुराम मौर्य गांव पहुंचे तो उन्होंने पीएफ की राशि से गांव की सड़क बनाकर मिसाल पेश की। उन्होंने गांव में दस फीट चौड़ी और डेढ़ किमी सड़क बनवा दी।
रिटायर्ड फौजी ने बनवाई डेढ़ किलोमीटर लंबी एक ऐसी सड़क जिसने कई बस्तियों को जोड़ दिया विकास पथ से।
जो रास्ता कभी चलने के भी काबिल नहीं था, आज एक फौजी की कोशिश के चलते उस पर दौड़ती हैं साइकिल, बाइक और फोर व्हीलर। रिटार्ड फौजी भग्गूराम मौर्या ने अपनी ज़रूरतों और सुविधाओं को दरकिनार कर पीएफ के पैसों से सड़क बनवा डाली, जिसे बनवाने में उनके चार लाख के आसपास रुपये खर्च हो गये।
देश के जवान सीमा पर देश की रक्षा करते ही हैं साथ ही समाज की भलाई के काम में भी वे आगे रहते हैं। इस बात की मिसाल हैं वाराणसी के भग्गूराम मौर्य। 34 साल देश की सेवा के बाद सूबेदार मेजर भग्गुराम मौर्य गांव पहुंचे तो उन्होंने पीएफ की राशि से गांव की सड़क बनाकर मिसाल पेश की। उन्होंने गांव में दस फीट चौड़ी और डेढ़ किमी सड़क बनवा दी। डेढ़ किलोममीटर लंबी सड़क ने कई बस्तियों को विकास पथ से जोड़ा है। भग्गुराम मौर्य सेना में नायक पद से रिटायर्ड हैं। इस काम में भग्गुराम मौर्य के तकरीबन चार लाख रुपये खर्च हुए।
वाराणसी शहर से 20 किमी. दूर जंसा के रामेश्वर गांव की एक छोटी सी बस्ती हीरमपुर के भग्गुराम मौर्य सेना के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में रहे। बीते साल दिसम्बर में रिटायर्ड होने के बाद गांव आए। वह घर जाने के लिए गांव के ऐसे रास्ते से गुजरे, जिस पर साइकल चलाना भी मुश्किल था। इस पर उन्होंने पीएफ का पैसा लिया और घर व अपनी अन्य सुविधाओं को दरकिनार कर सड़क बनवाने में दिन-रात जुट गए। सात महीने की कोशिश के बाद अब उस रास्ते से साइकल, बाइक ही नहीं बल्कि फोर व्हीलर और ट्रैक्टर भी आसानी से गुजरने लगे हैं।
भग्गुराम बताते हैं कि सड़क बनवाने में कई मुश्किलें आईं। सड़क के दोनों ओर लोगों ने कब्जा कर उसे खेतों में मिला लिया था। तीन महीने काफी समझाने के लोग राजी हुए।
राष्ट्रपति से मिला है पुरस्कार
भग्गुराम मौर्य दो बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित हो चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी ने सराहनीय सेवा के लिए उन्हें पुरस्कृत किया। इसके अलावा उन्हें और कई पुरस्कार मिल चुके हैं। हालांकि उनका सड़क बनवाने का काम इतना आसान भी नहीं रहा। भग्गुराम बताते हैं कि सड़क बनवाने में कई मुश्किलें आईं। सड़क के दोनों ओर लोगों ने कब्जा कर उसे खेतों में मिला लिया था। तीन महीने काफी समझाने के लोग राजी हुए। ग्राम प्रधान विपिन कुमार ने इस काम में काफी सहयोग दिया। मंडी तक माल पहुंचाने में आसानी होने से किसानों के चेहरे पर खुशी देखते बन रही। ग्राम प्रधान ने बताया कि इस सड़क को जल्द ही पक्की कराने का प्रयास है।
अपने गांव के लोगों को अपने परिवार से ऊपर रखा और सात महीने के अथक प्रयास से अपने सपने को साकार कर इस समाज के लिए एक नायाब मिसाल पेश कर दी. फौजी भग्गुराम का कहना है कि सड़क होगी तभी गांव में खुशहाली आएगी। मैंने करीब पांच लाख रुपये सड़क बनवाने में लगा दिए। अब तो बस दाल-रोटी के लिए कुछ रुपये बचे है। भविष्य में भी अगर मैं सक्षम हुआ तो इसी तरह गांव के विकास में योगदान दूंगा।
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