कर्नाटक में एयरोस्पेस उद्योग आजादी के पहले से ही ‘मेक इन इंडिया’ पर काम कर रहा है
इन्वेस्ट कर्नाटक 2016 में आर कावेरी रंगनाथन, जो की एच ए एल बैंगलोर परिसर के सीईओ हैं, ने कहा कि “हम 1940 से ही मेक इन इंडिया के कार्यक्रम से जुड़े हैं। 75 सालों के सुनहरे सफर में एच ए एल ने 15 स्वदेशी विमान और हेलीकाप्टरों का निर्माण किया है।”
अनिल अंबानी ने घोषणा की कि बेलगाम और बेंगलुरू के सेज में एयरोस्पेस और रक्षा सामान का अनुसंधान, विकास और निर्माण किया जाएगा। उन्होने कहा कि हर कोई राज्य के विकास को लेकर आशावान हैं।
पावर हाउस का लाभ
टोयटा किरलोसकर के वी सी और सी आई आई के चैयरमैन शेखर विश्वनाथन ने कहा कि कर्नाटक में एयरोस्पेस के निर्माण के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं क्योंकि यहां के लोगों के पास ज्ञान व योग्यता दोनों है।
उन्होने कहा कि इस उद्योग के विकास के लिए कर्नाटक के पास योग्यता और मानव संसाधन दोनों ही हैं। शेखर ने आगे कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की तुलना में राज्य का विकास ज्यादा तेजी से हो रहा है।
महिंद्रा डिफेंस एंड एयरोस्पेस के ग्रुप चैयरमैन एस पी शुक्ला ने कहा कि इन सब के अलावा राज्य के पास संसाधनों का भी खजाना है।उन्होने कहा कि “कर्नाटक ने हमेशा से ही हर किसी का स्वागत किया है, यहां काम शुरू करने के लिए बहुत सुविधाएं हैं।”
एस पी शुक्ला ने साथ ही ये भी कहा कि सरकार ने अंतरिक्ष के क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है क्योंकि भारत की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए यह जरूरी था। उन्होने कहा कि महिंद्रा राज्य में 6000 से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार के मौके पैदा करेगा।
इसी मौके पर एयरबस इंडिया के अध्यक्ष श्रीनिवासन द्वारिकानाथ ने कहा कि एक दशक से लेकर अब तक एयर बस एच ए एल के साथ विमानन क्षेत्र में काम कर रही है। उन्होने कहा कि अगले कुछ सालों में मांग के देखते हुए 1300 एयकक्राफ्ट बनाने होंगे और कर्नाटक डिवीजन लगातार इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अग्रसर है। राज्य में ट्रैफिक जाम की समस्या के ध्यान में रखते हुए एस पी शुक्ला ने कहा कि राज्य में निजी विमानों की जरूरत बढ़ रही है, इसके लिए महिंद्रा राज्य के साथ मिलकर काम कर रही है।
योर स्टोरी का मानना है कि कर्नाटक में एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के विकास को लेकर पैनल के लोग और वक्ता दोनों ही उत्साहित हैं। साथ ही उन्होने एक आवाज में ट्रैफिक जाम और बुनियादी सुविधाओं के बारे में भी चिन्ता व्यक्त की। इसलिए जरूरी है कि केंद्र और राज्य दोनों को ही इन मुद्दों को जल्द सुलझाना चाहिए ताकि इससे राज्य के विकास में कोई बाधा उत्पन्न न हो। बावजूद शेखर को उम्मीद है कि कर्नाटक में जल्द ही एयरोस्पेस इंडस्ट्री 2000 करोड़ की हो सकती है।