क्यों ये पद्मश्री डॉक्टर पिछले 43 सालों से चला रहे हैं गरीबों के लिए मुफ्त क्लीनिक
अमिताभ बच्चन का इलाज करने वाले डॉक्टर ने गांव के लोगों को समर्पित कर दी है अपनी जिंदगी...
डॉ. राव हर रविवार को बेंगलुरु से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर बेंगुलुर-पुणे हाइवे पर स्थित नेलामंगला ताल्लुक के अंतर्गत आने वाले गांव टी. बेगुर में कैंप लगाने जाते हैं। उन्हें मेडिकल के क्षेत्र में 40 साल से भी ज्यादा का अनुभव है।
डॉ. राव पिछले कई सालों से गरीबों को मुफ्त में इलाज देते हैं और इसलिए उन्हें 2010 में भारत सरकार ने मेडिसिन के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने की वजह से पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा है।
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। वजह भी वाजिब है। इंसानों के रूप में काम करने वाले ये भगवान न जाने कितने लोगों की जिंदगी बचा लेते हैं। हालांकि देश में निजीकरण के बाद बहुत सारे प्राइवेट डॉक्टरों की भरमार हो गई है जो गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों की जेब पर डाका डालने का काम करते हैं। लेकिन इस अंधकार में आशा की ज्योति जलाने वाले भी कई डॉक्टर हैं। डॉ. बी रमन राव ऐसे ही एक डॉक्टर हैं। कंसल्टिंग फिजीशियन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमन ने देश की कई प्रतिष्ठित हस्तियों जैसे, अमिताभ बच्चन, कन्नड़ अभिनेता स्वर्गीय राजकुमार, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स का इलाज कर चुके हैं।
बड़ी हस्तियों का इलाज करने के नाते वे काफी प्रसिद्ध हैं, लेकिन उन्होंने कभी इस प्रसिद्धि का गलत फायदा नहीं उठाया। बेंगलुरु के बेगुर गांव में वे पिछले 43 सालों से गरीबों के लिए मुफ्त क्लीनिक चला रहे हैं। उन्होंने1974 में इस क्लिनिक की शुरुआत की थी। हैदराबाद के पश्चिमी गोदावरी जिले में जन्मे डॉ. राव पिछले कई सालों से गरीबों को मुफ्त में इलाज देते हैं और इसलिए उन्हें 2010 में भारत सरकार ने मेडिसिन के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने की वजह से पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा है। उन्हें ग्रामीण इलाके में मेडिकल सेवाएं देने के लिए 2008 में डॉ. अब्दुल कलाम भी सम्मानित कर चुके हैं।
डॉ. राव हर रविवार को बेंगलुरु से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर बेंगुलुर-पुणे हाइवे पर स्थित नेलामंगला ताल्लुक के अंतर्गत आने वाले गांव टी. बेगुर में कैंप लगाने जाते हैं। उन्हें मेडिकल के क्षेत्र में 40 साल से भी ज्यादा का अनुभव है। सप्ताह के बाकी दिनों में वे अपने क्लिनिक पर मरीजों को देखते हैं वहीं हर रविवार को वे सीधे गांव पहुंच जाते हैं और वहां के लोगों का इलाज करते हैं। वे बताते हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें समाज सेवा करने की प्रेरणा दी है। मणिपाल के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डॉ. राव ने कॉलेज खत्म करने के बाद से ही गांव के लोगों की सेवा करनी शुरू कर दी थी।
वे अपनी टीम के साथ गांव पहुंचते हैं और वहां जरूरतमंदों का इलाज आरंभ करते हैं। वे इस काम के लिए किसी भी ग्रामीण से कोई फीस नहीं लेते। वे कहते हैं कि गांव में मेडिकल व्यवस्था की हालत काफी बदहाल है, लेकिन इन्हें भी पूरे सम्मान के साथ जीने का हक है और इस वजह से उन्हें मेडिकल सर्विस से वंचित नहीं किया जा सकता। गांव के लोगों का चेकअप होता है और जरूरत के मुताबिक उन्हें इंजेक्शन या दवाएं भी दी जाती है। ये इलाज पूरी तरह से जांच के बाद ही होता है। इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर डॉक्टर और उनकी टीम गांव वालों को अच्छा खाना भी मुहैया करवाती है।
उनकी इस नेक पहल से गांव ही नहीं बल्कि आसपास इलाके के लोग भी काफी प्रभावित होते हैं। गांव वालों के अलावा लगभग 100 किलोमीटर दूर से मरीज इलाज की आस में हर रविवार बेगूर आ जाते हैं। ताकि वे डॉक्टर राव से सही इलाज करा सकें। उनसे इलाज करवाने के लिए लोगों की काफी लंबी लाइन भी लगती है। डॉक्टर राव बताते हैं कि वक्त के साथ इलाज के काफी महंगे हो जाने के कारण उनके पास इलाज कराने वालों की भीड़ में कई गुना इजाफा हो गया है। क्योंकि गांव के लोग मंहगे अस्पतालों की फीस वहन ही नहीं कर सकते। इस क्लिनिक को चलाने के लिए डॉक्टर को हर महीने चार से पांच लाख रुपयों की जररत होती है। उनके क्लिनिक के लिए सुरना एंड माइक्रोलैब्स, हिमालया जैसी कंपनी दवा उपलब्ध करवाती हैं। कई सारे बड़े लोग उनके इस नेक काम के लिए दान भी देते हैं।
डॉक्टर राव का काम सिर्फ इलाज करने तक सीमित नहीं है। वे गांव के बच्चों को पढ़ाई में भी मदद करते हैं। वे उनकी किताबें, यूनिफॉर्म और कई सारी जरूरतें पूरी करते हैं। उन्होंने गांव के आसपास 50 स्कूलों को गोद लिया है और 700 टॉयलट बनवाने में मदद की है। गांव में पीने के पानी और पर्यावरण के लिए भी डॉक्टर ने काफी कुछ किया है। डॉक्टर राव के इस काम में उनकी पत्नी और दो डॉक्टर बेटे भी मदद करते हैं। उनका एक बेटा डॉ. चरित भोगराज फेमस कार्डियोलॉजिस्ट है तो वहीं दूसरा बेटा अभिजीत भोगराज एंडोक्रिनोलॉजिस्ट है।
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