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ग्लोबल मंदी के दौरान खुद से नौकरी छोड़ भारत में कैशकरो ऐप की शुरुआत करने वाली स्वाति भार्गव

देश का पहला कैशबैक ऐप कैशकरो लॉन्च करने वाली स्वाति भार्गव...

ग्लोबल मंदी के दौरान खुद से नौकरी छोड़ भारत में कैशकरो ऐप की शुरुआत करने वाली स्वाति भार्गव

Saturday September 23, 2017 , 6 min Read

स्वाति भार्गव, जिन्होंने कैशबैक के नए बाजार को न सिर्फ समय रहते पहचाना बल्कि अपने बिजनेस पार्टनर और पति के साथ मिलकर अपनी कंपनी की एक अलग पहचान बनाने में भी सफल रहीं। स्वाति के हिस्से में भारत में पहला कैशबैक ऐप 'कैशकरो' लॉन्च करने की उपलब्धि है। 

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स्वाति का मानना है कि भारत में एक अच्छी टीम बनाना थोड़ा मुश्किल काम है। यहां कॉलेज में बच्चों को सोशल और कम्युनिकेशन्स स्किल्स नहीं सिखाया जाता है और ऑनलाइन बिजनेस में यही सबसे जरूरी चीज होती है। महिला उद्यमियों के लिए यहां निजी सुरक्षा भी किसी चुनौती से कम नहीं होती। आज भी यहां महिलाएं आसानी से अकेले सफर नहीं कर पातीं और बिजनेस की राह में यह एक बड़ा रोड़ा है। 

ई-कॉमर्स का बाजार हर जगह तेजी से बढ़ रहा है और स्वाति सामने आ रहे मौकों का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहती हैं। कंपनी के निवेशकों में अब रतन टाटा का नाम भी जुड़ चुका है।

स्वाति भार्गव, जिन्होंने कैशबैक के नए बाजार को न सिर्फ समय रहते पहचाना बल्कि अपने बिजनेस पार्टनर और पति के साथ मिलकर अपनी कंपनी की एक अलग पहचान बनाने में भी सफल रहीं। स्वाति के हिस्से में भारत में पहला कैशबैक ऐप 'कैशकरो' लॉन्च करने की उपलब्धि है। स्वाति अब 500 से भी ज्यादा ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे यात्रा, जबॉन्ग, अमेजॉन आदि को इस कॉन्सेप्ट का हिस्सा बना चुकी हैं। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी पढ़ने वाली स्वाति ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहती थीं, पर जब यहां पढ़ाई करने का मौका मिला तो इसके बजाय उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स को चुना। भविष्य में स्वाति और रोहन कैशकरो डॉट कॉम को ना सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विस्तार करना चाहते हैं। ई-कॉमर्स का बाजार हर जगह तेजी से बढ़ रहा है और स्वाति सामने आ रहे मौकों का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहती हैं। कंपनी के निवेशकों में अब रतन टाटा का नाम भी जुड़ चुका है।

स्वाति का मानना है कि भारत में एक अच्छी टीम बनाना थोड़ा मुश्किल काम है। यहां कॉलेज में बच्चों को सोशल और कम्युनिकेशन्स स्किल्स नहीं सिखाया जाता है और ऑनलाइन बिजनेस में यही सबसे जरूरी चीज होती है। महिला उद्यमियों के लिए यहां निजी सुरक्षा भी किसी चुनौती से कम नहीं होती। आज भी यहां महिलाएं आसानी से अकेले सफर नहीं कर पातीं और बिजनेस की राह में यह एक बड़ा रोड़ा है। आज भी लोग यह विश्वास नहीं कर पाते हैं कि महिलाएं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं। स्वाति कहती हैं, ‘मुझे भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, पर मैंने लोगों की परवाह नहीं की। अगर आगे बढ़ना है तो उसके लिए खुद पर और अपने आइडिया पर विश्वास करना जरूरी है। लोग तो आपकी क्षमताओं पर शक करेंगे ही, पर आगे बढ़ने के लिए आपको खुद पर विश्वास करना सीखना होगा। वे ऐसा बिजनेस करना चाहती थीं जो एक नए आइडिया पर आधारित हो।

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खुद पर भरोसा है सफलता की पहली सीढ़ी-

इसी विचार के साथ स्वाति ने अपना जॉब छोड़ दिया। स्वाति के मुताबिक, उस वक्त मंदी का दौर था और लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा था। ऐसे में, मैंने खुद नौकरी छोड़ने का फैसला लिया था। ये सुनकर कुछ दोस्तों को आश्चर्य भी हुआ था, लेकिन मुझे लगा था कि मैंने जो डिजीसन लिया है, वो सही है।जॉब छोड़ने के बाद बिजनेस आइडिया के बारे में सोचते हुए स्वाति ने देखा कि यूके में कैश बैक का कॉन्सेप्ट काफी फेमस है। उन्होंने कैश बैक के लिए यूके की वेबसाइट क्यूइड्को का इस्तेमाल करते थे हुए कैश बैक का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने शुरुआत के कुछ महीने कैश बैक इंडस्ट्री और ई-कॉमर्स को समझा।

दुनिया की बड़ी इन्वेस्टमेंट कंपनियों में से एक गोल्डमैन सैक्स में इंटर्नशिप करने के बाद स्वाति को वहीं नौकरी करने का भी मौका मिला। चार साल वहां सीनियर मैनेजमेंट के साथ काम करने के दौरान न सिर्फ उन्हें काम सीखने का अवसर मिला बल्कि क्लाइंट मैनेजमेंट के गुर भी स्वाति ने वहां सीखे। चार साल बाद स्वाति ने यह नौकरी छोड़ दी और पोअरिंग पाउंड्स नाम से युनाइटेड किंगडम में कैशबैक का अपना बिजनेस शुरू किया। इस कॉन्सेप्ट के लिए ब्रिटेन के इन्वेस्टर्स से 5 करोड़ रुपए मिले, कलारी कैपिटल्स से 25 करोड़ और रतन टाटा से भी इन्वेस्टमेंट मिला। शुरुआत के पहले ही साल में कैशकरो के बिजनेस में अच्छी-खासी वृद्धि हुई। आज रोजाना 3000 से ज्यादा ट्रांजैक्शन हो रहा है और करोड़ों रुपए का कैश बैक दिया जा रहा है।

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आपसी सामंजस्य से दौड़ रही है बिजनेस की गाड़ी-

लंदन में ही स्वाति की मुलाकात रोहन से हुई। रोहन अब न सिर्फ उनके जीवनसाथी हैं बल्कि पोरिंग पाउंड्स और कैशकरो डॉट कॉम के सह-संस्थापक भी हैं। स्वाति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वालों में रोहन प्रमुख हैं। स्वाति के मुताबिक, ‘रोहन में उत्साह की कमी कभी नहीं होती। उद्यमी बनना आसान काम नहीं है, पर अगर जीवनसाथी अच्छा हो तो लक्ष्य तक पहुंचने की राह थोड़ी आसान हो जाती है।’ कैशबैक का यह आइडिया ग्राहकों के बीच शुरू में ही लोकप्रिय हो गया, पर असल चुनौती थी, अपने ब्रांड को आगे बढ़ाने के लिए अच्छे निवेशक की खोज। पोरिंग पाउंड्स के लिए जैसे ही पहला निवेश मिला, आगे की राह आसान हो गई। पोरिंग पाउंड्स की सफलता के बाद स्वाति और रोहन ने अप्रैल, 2013 में भारत में अपना बिजनेस शुरू किया। स्वाति जानती थीं कि भारत और इंग्लैंड दोनों जगह के उपभोक्ता बचत करने पर यकीन करते थे। कैशबैक का पूरा आइडिया इसी बचत पर आधारित है।

भारत में अपने व्यापार के विस्तार के लिए इन दोनों ने मात्र 48 घंटे में फंड इकट्ठा कर लिए। स्वाति ने एक इंटरव्यू में बताया, 'हम दोनों एक-दूसरे की जरूरतों और मजबूरियों को समझते हैं। एक-दूसरे की कमी को भी समझते हैं और उसे सॉल्व करते हैं। रोहन टेक्निकली साउंड हैं, जबकि मेरी इन्वेस्टमेंट और कम्युनिकेशन में अच्छी पकड़ है। दोनों ने जिम्मेदारियां बांट रखी हैं। हालांकि, साथ काम करने में कुछ छोटे-मोटे नुकसान भी हैं। कभी-कभी बिजनेस को लेकर हम दोनों में बहस भी हो जाती है। लेकिन फिर बैठकर कर हम समस्या का हल कर लेते हैं।"स्वाति और रोहन दोनों ही फिटनेस का पूरा ध्यान रखते हैं। रोहन रोजाना जिम जाना पसंद करते हैं, वहीं स्वाति मॉर्निंग वॉक और योगा करती हैं। स्वाति ने एक इंटरव्यू में बताया, 'हमारी एनर्जी का असर न सिर्फ हम पर, बल्कि हमारे स्टाफ पर भी होता। हम फिट नहीं होंगे तो काम भी सही तरीके से नहीं कर पाएंगे।' 

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