Brands
YS TV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

बेसहारों को फ्री में अस्पताल पहुंचाकर इलाज कराने वाले एंबुलेंस ड्राइवर शंकर

बेसहारों को फ्री में अस्पताल पहुंचाकर इलाज कराने वाले एंबुलेंस ड्राइवर शंकर

Saturday November 11, 2017 , 4 min Read

शहर में जिनके पास रहने को छत नहीं होती या जो अपना इलाज करवाने में सक्षम नहीं होते, शंकर उनके लिए काम करते हैं। मुंबई के कई बड़े-बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों से पूछ लीजिए, वे बता देंगे कि शंकर ने अब तक न जाने कितने लोगों की ऐसे ही मदद की है।

शंकर मुगलखोड

शंकर मुगलखोड


जेजे अस्पताल भयखला के पोस्टमॉर्टम विभाग के असिस्टेंट सचिन मयेकर कहते हैं, 'मैंने पिछले पांच सालों में देखा है कि शंकर ने करीब 60 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया होगा। 

 पहले तो शंकर ऑटो रिक्शॉ या किसी दूसरे साधन से मरीजों को अस्पताल ले जाते थे लेकिन बॉम्बे टीन चैलेंज नाम के एक एनजीओ ने उन्हें एंबुलेंस दे दी। जिसका इस्तेमाल वे अब करते हैं।

अभी पिछले हफ्ते 30 अक्टूबर की बात है। मुंबई के कमाठीपुरा इलाके में रहने वाले शंकर मुगलखोड के पास एक फोन आया कि 55 साल की एचआईवी पीड़ित महिला की तबीयत खराब है और उसे हर हाल में अस्पताल पहुंचाना है। मुगलखोड फटाफट अपनी ऐंबुलेंस स्टार्ट करते हैं और सीधे उस महिला के घर पहुंचते हैं। पीड़ित महिला काफी गरीब है और उसके पास इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं होते हैं। इसके बाद उन्होंने महिला को न केवल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया बल्कि उसकी दवाओं के लिए अपनी जेब से पैसे भी दिए।

यह किसी कल्पना की बात नहीं बल्कि हकीकत है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक शंकर पिछले 18 सालों से यह काम कर रहे हैं। पेशे से एंबुलेंस ड्राइवर शंकर बेसहारों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। शहर में जिनके पास रहने को छत नहीं होती या जो अपना इलाज करवाने में सक्षम नहीं होते, शंकर उनके लिए काम करते हैं। मुंबई के कई बड़े-बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों से पूछ लीजिए, वे बता देंगे कि शंकर ने अब तक न जाने कितने लोगों की ऐसे ही मदद की है।

टीबी सेवरी हॉस्पिटल के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. ललित आनंदे बताते हैं कि पिछले कई सालों से वे शंकर को बिना की स्वार्थ के असहाय लोगों की सेवा करते हुए देख रहे हैं। आनंदे ने बताया कि जिन लोगों का कोई सहारा नहीं होता है शंकर उन्हें बीमार हालत में अस्पताल ले आते हैं। इतना ही नहीं वह लोगों को अस्पताल पहुंचाते हैं और अगर मरीज की मौत हो जाती है और उसका इस दुनिया में कोई नहीं होता तो, शंकर उनका अंतिम संस्कार भी खुद ही करते हैं।

जेजे अस्पताल भयखला के पोस्टमॉर्टम विभाग के असिस्टेंट सचिन मयेकर कहते हैं, 'मैंने पिछले पांच सालों में देखा है कि शंकर ने करीब 60 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया होगा। और ऐसा नहीं है कि वह मरीज को सिर्फ अस्पताल पहुंचा के छुट्टी पा लेते हैं। वे मरीज का पूरा ख्याल रखते हैं और उनकी दवा-दारू का भी प्रबंध करते हैं।' शंकर बताते हैं कि उनकी भी जिंदगी काफी जहालत में गुजरी है इसलिए वे गरीबों का दर्द समझते हैं। उनके अपने अनुभव इस काम के लिए उन्हें प्रेरित करते हैं।

उन्होंने कहा, 'मैंने भूखे पेट दिन गुजारे हैं, मेरे पास न तो पहनने को कपड़े होते थे और न ही पैरों में चप्पल। हम कूड़ेदान में फेंके जाने वाले सामानों से अपना काम चलाते थे।' पहले तो शंकर ऑटो रिक्शॉ या किसी दूसरे साधन से मरीजों को अस्पताल ले जाते थे लेकिन बॉम्बे टीन चैलेंज नाम के एक एनजीओ ने उन्हें एंबुलेंस दे दी। जिसका इस्तेमाल वे अब करते हैं। वह कहते हैं, 'मैं मरीजों को झुग्गी-झोपड़ी या फिर सड़क से उठाता हूं। उनमें से कुछ की हालत तो काफी गंभीर होती है। कुछ मरीज महीनों बिना नहाए होते हैं।'

शंकर बताते हैं कि पुलिस भी उनकी मदद लेती है और जरूरत पड़ने पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने को कहती है। नागपाड़ा पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर तालीराम पाटिल कहते हैं कि शंकर बस एक फोन की दूरी पर रहते हैं। आप उन्हें फोन कर दो वो फौरन हाजिर हो जाते हैं। वाकई अगर देखा जाए तो आज समाज में शंकर जैसे रहनुमाओं की सख्त जरूरत है। शायद सही ही कहा गया है कि जिनका कोई नहीं होता उनका खुदा होता है। और शंकर जैसे लोग इस धरती पर किसी खुदा से कम भी नहीं हैं।

यह भी पढ़ें: 3 रुपये रोजाना कमाने वाले मजूमदार आज हैं 255 करोड़ की कंपनी के मालिक