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पिता-पुत्र की यह जोड़ी वेयरहाउस ऑटोमेशन सॉल्यूशंस सेक्टर पर हासिल कर रही है जीत

मैनुफेक्चुरिंग कन्वेयर से वेयरहाउस ऑटोमेशन सेगमेंट में प्रवेश करने के लिए फरीदाबाद स्थित सैफी कॉन फैब सिस्टम्स ने काफी लंबी यात्रा तय की है। योरस्टोरी के साथ बातचीत में दूसरी पीढ़ी के उद्यमी फ़राज़ आलम ने बताया कि कैसे उनका और उनके पिता का लक्ष्य कंपनी को इस सेगमेंट में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाना है।

पिता-पुत्र की यह जोड़ी वेयरहाउस ऑटोमेशन सॉल्यूशंस सेक्टर पर हासिल कर रही है जीत

Friday February 11, 2022 , 6 min Read

कोरोना महामारी की शुरुआत के साथ व्यवसायों ने महसूस किया है कि वे टेक्नालजी का लाभ उठाए बिना अपनी इच्छानुसार आगे नहीं बढ़ सकते। महामारी के आने के बाद अपनाई गई टेक्नालजी ने व्यवसाय की गति को बढ़ा दिया है।

इसका मतलब यह भी है कि भारत एक 'नई औद्योगिक क्रांति' की शुरुआत कर रहा है, जिसे IoT, कनेक्टिविटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ऑटोमेशन, एडवांस इंजीनियरिंग और ऐसी बहुत सी तकनीकों के इस्तेमाल से परिभाषित किया जा रहा है।

योरस्टोरी ने हाल ही में एटमॉस सिस्टम्स के सह-संस्थापक और सैफी कॉन फैब सिस्टम्स के बिजनेस डेवलपमेंट हेड फ़राज़ आलम से बात की।

फरीदाबाद स्थित Saifi Con Fab Systemsकी शुरुआत उनके पिता खुर्शीद आलम ने साल 1987 में की थी। एक साधारण सामग्री निर्माण कंपनी से लेकर कन्वेयर बनाने तक, सैफी ने पिछले 35 वर्षों में काफी विस्तार किया है। यह कंपनी भारत के विकसित हो रहे मैनुफेक्चुरिंग और वेयरहाउस इकोसिस्टम का भी साक्षी रही है।

भारतीय मैनुफेक्चुरिंग उद्योग में तेजी से उभरने वाले नवीनतम रुझानों में से एक वेयरहाउस ऑटोमेशन है। यह एक ऐसा बाजार है जो उत्पादन की लागत प्रभावी पद्धति की बढ़ती आवश्यकता के कारण महत्वपूर्ण वृद्धि प्रदर्शित कर रहा है।

इस प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए, सैफी ने 2020 में एक स्मार्ट ऑटोमेशन सोल्यूशंस प्रोवाइडर ब्रांड एटमॉस सिस्टम्स लॉन्च किया है।

योरस्टोरी के साथ बातचीत में, फ़राज़ ने सैफी की यात्रा के बारे में बात की है और बताया है कि एटमॉस के लॉन्च के कारण क्या थे।

ऐसे हुई शुरुआत

खुर्शीद आलम जो पहले जूता बनाने वाली कंपनी बाटा के साथ काम कर रहे थे, उन्होने साल 1987 में अपने मैनेजर के साथ टकराव के बाद नौकरी छोड़ दी थी और अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया था।

उन्होंने जूता बनाने की मशीनों के भागों के निर्माण के लिए अपनी मशीन का उपयोग करना शुरू किया और लगभग 1997 तक इसे जारी रखा। इसके बाद उन्होंने बाजार में अन्य अवसरों की तलाश शुरू कर दी और उन्होंने भारतीय मैनुफेक्चुरिंग क्षेत्र में प्रमुखता के साथ काम किया।

विशेष रूप से साल 1991 में अपनी अर्थव्यवस्था के खुलने को देखते हुए उस समय भारत को बेहतर तकनीक और उपकरणों की सख्त जरूरत थी। तब घरेलू कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी, जिन्होंने बाजार में प्रवेश ही किया था। तब पहचानी गई जरूरतों में से एक कन्वेयर भी थी, यह धातु की एक यांत्रिक पट्टी होती है, जिसका उपयोग वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता है।

खुर्शीद ने देखा कि भारत में कई कन्वेयर-निर्माता नहीं थे और जिन कंपनियों को उनकी जरूरत थी, उन्हें इसे आयात करना पड़ता था, जिससे उत्पादन की लागत में वृद्धि हुई। तभी उन्होंने कन्वेयर कारोबार तब तेजी से शुरू हुआ जब बजाज, रिलैक्सो, गोदरेज, आयशर, वीडियोकॉन, जेबीएम जैसे बड़े खिलाड़ी इसके ग्राहक के रूप में बोर्ड पर आए। फिर, साल 2004 में खुर्शीद फरीदाबाद में एक बड़े कारखाने में शिफ्ट हो गए और बाद के वर्षों में दो और इकाइयाँ स्थापित कीं। बहुत सारे शोध करने के बाद, उन्होंने कई अन्य प्रकार के कन्वेयर पेश किए जिनमें स्टोरेज ओवरहेड कन्वेयर, फ्लोर कन्वेयर, आई-बीम ओवरहेड कन्वेयर और भी बहुत से कन्वेयर शामिल थे।

फ़राज़ याद करते हैं कि पहले 10 वर्षों के लिए ख़ुर्शीद ने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए लोगों द्वारा इसकी चर्चा करना ही अपनाई गई मार्केटिंग का एकमात्र रूप था। धीरे-धीरे, जैसे ही इंटरनेट बूम ने भारत में प्रवेश किया उन्होंने अपनी वेबसाइट लॉन्च की और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए इंडियामार्ट जैसे बी 2 बी प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध हो गए।

कारोबार तब तेजी से शुरू हुआ जब बजाज, रिलैक्सो, गोदरेज, आयशर, वीडियोकॉन, जेबीएम जैसे बड़े खिलाड़ी इसके ग्राहक के रूप में बोर्ड पर आए। फिर, साल 2004 में खुर्शीद फरीदाबाद में एक बड़े कारखाने में शिफ्ट हो गए और बाद के वर्षों में दो और इकाइयाँ स्थापित कीं।

Saifi Con Fab Systems की फरीदाबाद में तीन विनिर्माण इकाइयां हैं

Saifi Con Fab Systems की फरीदाबाद में तीन विनिर्माण इकाइयां हैं

वेयरहाउस ऑटोमेशन सेगमेंट में प्रवेश

भारत में 2010 से 2015 के बीच के दशक में ई-कॉमर्स में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन और अमेरिका के बाद भारत में ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों का सबसे बड़ा ग्राहक आधार है।

जैसे ही भारतीय बाजार में ऑनलाइन डिलीवरी ने गति पकड़नी शुरू की तब खुर्शीद आलम की नजर भी इसपर थी और साल 2018 में उनके बेटे फ़राज़ आलम उनके साथ जुड़ गए थे।

फ़राज़ कहते हैं, "ई-कॉमर्स कंपनियों ने महसूस किया है कि वे किसी वेयरहाउस से किसी व्यक्ति के घर तक उत्पाद पहुंचाने में लगने वाले समय को कम नहीं कर सकते हैं, इसलिए उनके पास वेयरहाउस संचालन को यथासंभव सहज और उत्पादक बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"

साल 2018 में खुर्शीद और फ़राज़ ने एक अलग ब्रांड विकसित करना शुरू किया जो केवल स्मार्ट वेयरहाउस ऑटोमेशन समाधानों पर केंद्रित था। शोध और विकास में दो साल लगे और आखिरकार साल 2020 में पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने एटमॉस सिस्टम्स लॉन्च किया।

मोर्डोर इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वेयरहाउस ऑटोमेशन बाजार का मूल्य 2020 में 86.2 मिलियन डॉलर था और यह 26.4 प्रतिशत के सीएजीआर पर 2026 तक 51.22 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

इस बाजार के कुछ प्रमुख खिलाड़ी दाइफुकु इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, आर्मस्ट्रांग लिमिटेड, स्पेस मैग्नम लिमिटेड के साथ ही कुछ अन्य भी हैं। ईकॉमर्स दिग्गज, अमेज़ॅन ने भी भारत में स्वचालित गोदाम स्थापित करने के लिए 5 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की है।

बिजनेस मॉडल

एटमॉस सिस्टम्स इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ऑटोमेशन और अन्य जैसी तकनीकों का उपयोग करके टर्नकी वेयरहाउसिंग सोल्यूशंस प्रदान करता है।

एटमॉस पहले किसी कंपनी की विशिष्ट वेयरहाउसिंग जरूरतों की पहचान करता है, फिर स्मार्ट कन्वेयर और सॉफ्टवेयर समाधान सहित सही समाधान बनाने पर काम करना शुरू कर देता है जिसे पूरा होने में लगभग 15 दिन लगते हैं। एक बार सब कुछ हो जाने के बाद, यह क्लाइंट को इसे पेश करने से पहले परीक्षण करता है।

अपने ब्रांड के तहत, एटमॉस वस्तुओं को बुद्धिमानी से चुनने और संभालने के लिए ऑटोनॉमस केस-हैंडलिंग रोबोटिक सिस्टम और रोबोटिक पैलेटाइजिंग सिस्टम जैसे समाधान प्रदान करता है, जिसका उपयोग पैलेट का उपयोग करके भारी वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता है।

डाइमेंशनिंग वेटिंग स्कैनिंग (डीडब्ल्यूएस) सिस्टम उत्पाद आयामों और वजन के स्वचालित कैप्चरिंग के लिए एक आदर्श उत्पाद है। फ़राज़ का दावा है कि सॉर्टेशन सिस्टम परिभाषित विशेषताओं के आधार पर उत्पादों को छाँटने में सटीकता प्रदान करता है।

फराज़ कहते हैं, "एटमॉस ने नायका को अपने पहले ग्राहक के रूप में शामिल किया और आज उसके पास एस्कॉर्ट्स, हीरो और ओनिडा जैसे बड़े समूह भी हैं। एक प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत आमतौर पर 50 लाख रुपये होती है और स्थापना और पैकेजिंग लागत सहित 10 करोड़ रुपये तक बढ़ जाती है।"

एटमॉस अपने ग्राहकों को एक साल की वारंटी भी देता है और पहले कुछ महीनों के लिए इन कंपनियों के साथ काम करने के लिए अपने कुछ तकनीशियनों को तैनात करता है ताकि ग्राहकों को मशीनों और सिस्टमों की जानकारी मिल सके।

एटमॉस ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक 10 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। फ़राज़ का कहना है कि पिता-पुत्र की जोड़ी का लक्ष्य आने वाले वर्षों में एटमॉस को एक शीर्ष वेयरहाउस समाधान प्रदाता बनाना है।


Edited by Ranjana Tripathi