कुछ इस तरह अपने इनोवेटिव एयर प्यूरिफायर्स के साथ एक स्वच्छ भविष्य की कल्पना कर रहा है यह स्टार्टअप
कंपनी शुरू करने के पीछे की प्रेरणा पर बात करते हुए क्लीन-टेक स्टार्टअप प्राण के संस्थापक 23 वर्षीय अंगद दरयानी कहते हैं, "हमारे माता-पिता की पीढ़ी एक रोमांचक भविष्य के वादे के साथ बड़ी हुई है और अब हमारी पीढ़ी एक अंधकारमय भविष्य के वादे के साथ बड़ी हो रही है।”
2017 में स्थापित प्राण कम लागत, फिल्टर-रहित और आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस-आधारित बाहरी एयर प्यूरिफिकेशन सिस्टम प्रदान करता है। इसका प्रमुख उत्पाद साढ़े छह फुट लंबा बेलनाकार आकार का एयर प्यूरिफायर है, जिसे आसपास की हवा को शुद्ध करने के लिए बाहर रखा जा सकता है।
ऐसा है उत्पाद
बदलने योग्य फिल्टर वाले अधिकांश प्यूरिफायर की तरह इस डिवाइस में भी एक पंखा होता है जो प्रदूषित हवा को खींचता है। जो इस उत्पाद को अलग बनाता है वो ये है कि उसने अपने एयरफ्लो को अनुकूलित किया है, इसलिए फ़िल्टर किए गए कण किसी भी प्लेट से चिपके रहने के बजाय एक कलेक्शन चैंबर में इकट्ठे हो जाते हैं। जैसे ही यह संग्रह कक्ष भर जाता है, प्राण शेष स्थान का पता लगाने के लिए सेंसर का उपयोग करता है और इसके भरने पर ग्राहक को सूचित करता है।
अंगद कहते हैं, “उसके बाद यह 30 सेकंड की प्रक्रिया है। आप इसे घुमाते हैं, यह बाहर आता है, आप इसे खाली करते हैं और इसे वापस अंदर लगा देते हैं।”
अटलांटा स्थित जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अंगद ने कॉलेज के दूसरे वर्ष में इसे एक साइड प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया था। अब यह एक कंपनी है जो टीम और उत्पाद को विकसित करने की योजना बना रही है। इस बीच उन्हें कम्यूनिटी से समर्थन मिला है, जिसमें इंजीनियरों और डिजाइनरों ने प्रोजेक्ट में स्वेच्छा से योगदान दिया है।
जल्द ही, उन्होंने टेक्नालजी का पेटेंट कराया और योगदान देने वालों के साथ इसका श्रेय साझा किया। उन्होंने उत्पाद बनाने के लिए अमेरिका और भारत में एक कंपनी भी पंजीकृत की है।
स्टार्टअप की फंडिंग
इस महीने की शुरुआत में प्राण ने बेटर कैपिटल, पैराडाइम शिफ्ट कैपिटल, अवाना कैपिटल और क्वालिटी ऑफ लाइफ इन्वेस्टमेंट्स टेक्सास (एंजेल सिंडिकेट) की भागीदारी के साथ सोशल इंपैक्ट कैपिटल के नेतृत्व में 1.56 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की है।
फंडिंग को लेकर सोशल इम्पैक्ट कैपिटल की संस्थापक और प्रबंध भागीदार सारा कोन ने कहा, "दुनिया में हर साल वायु प्रदूषण के कारण 70 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं, जिससे यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चुनौती बन जाती है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।"
उन्होने आगे कहा, "प्राण की डीपटेक विशेषज्ञता और मिशन-केंद्रित रवैया वास्तव में रोमांचक रहा है। और इस फंडिंग के साथ, हम एक जबरदस्त प्रभाव के साथ एक बहुत ही छोटी मानी जाने वाली इस बड़ी समस्या में बदलाव लाने के लिए आशान्वित हैं।”
बायोफोरमिस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी मौलिक मजमुदार सहित कई एंजेल निवेशक इस राउंड का हिस्सा थे, इसमें EnelX की सूर्या पंडिती, Innov8 के फाउंडर रितेश मलिक, Log9 मटीरियल के संस्थापक और सीईओ अक्षय सिंघल और डीएसपी डिजाइन आर्किटेक्ट्स के निदेशक मेहुल शाह शामिल रहे हैं।
कैसे काम करता है यह उत्पाद?
प्राण ने शुरू में सड़कों पर हर कुछ फीट पर 20 फीट लंबा एयर-प्यूरिफाइंग सिलेंडर रखना चाहा, लेकिन इस दौरान इसके बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं के आसपास आने वाली चुनौतियों को महसूस किया गया। अंगद ने कहा कि इसमें सरकारी स्तर की बहुत अधिक भागीदारी शामिल रही है, "जो एक कठिन लड़ाई थी।"
इसलिए, इसके बजाय अंगद कहते हैं, "हमने सोचा कि क्या हम कुछ ऐसा बना सकते हैं जिसके लिए किसी नए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं रहे और लगभग शून्य रखरखाव की आवश्यकता हो?”
अधिकांश एयर प्यूरीफायर बदली जाने योग्य फिल्टर का उपयोग करते हैं, जो लागत और रखरखाव के प्रयासों को जोड़ता है। ब्रांड का पेटेंट फिल्टर-लेस तकनीक में था, जो कि उत्पादन के लिए आगे बढ़ा।
अंगद कहते हैं, “हम बिना किसी फिल्टर को बदले हवा से प्रदूषण हटाते हैं। इसलिए इन उपकरणों को रखने में कोई रखरखाव लागत नहीं है। हमारा मिशन सभी के लिए स्वच्छ हवा है। ऐसे में हमारे हार्डवेयर की कीमत कम होनी चाहिए।"
वे आगे कहते हैं, "अगर भारतीय एक वैश्विक मानसिकता और निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं और उस विचार प्रक्रिया के साथ निर्माण कर सकते हैं, तो देश बदलाव के लिए एक महान प्लेटफॉर्म होगा।"
प्राण ने जून 2019 में भारत में अपना पहला उत्पाद तैनात किया था। समय के साथ, यह बेहतर मैनुफेक्चुरिंग गुणवत्ता और रिसर्च के साथ इसमें सुधार करता रहा, जिससे इसकी विश्वसनीयता में सुधार हुआ है।
अंगद कहते हैं, "और इसलिए समय के साथ हमारी लड़ाई को रोमांचक दिखने की जरूरत थी, क्योंकि आप इन उपकरणों को वहाँ रख रहे हैं, जहां पहले कुछ भी नहीं था और यह भी कि आप जहां रहते हैं वहां इसे पाकर आपको गर्व महसूस होता है।"
कैलिफ़ोर्निया और मुंबई स्थित स्टार्टअप ने एमके वन प्रॉडक्ट बनाने के लिए तीन मैनुफेक्चुरिंग कंपनियों के साथ साझेदारी की है।
स्टेनलेस स्टील से बने फिल्टर की अवधि पांच से सात साल है और यह सभी मौसम की स्थिति का सामना कर सकता है।
वायु की गुणवत्ता में परिवर्तनों के आधार पर, डिवाइस अपने प्रदर्शन को अनुकूलित करती है। प्रदूषकों की अधिक सांद्रता होने पर यह अधिक हवा सोख लेती है। पंखे की गति भी बढ़ती है, जिससे पार्टिकुलेट की चार्जिंग भी बढ़ जाती है। जब हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है, तो वे बिजली बचाने के लिए यह अपने आप बंद हो जाती है।
आगे का रास्ता
प्राण के अधिकांश उत्पाद महाराष्ट्र और गुजरात में निर्मित होते हैं और शेष जिनमें सेमीकंडक्टर और सेंसर होते हैं, वे चीन और ताइवान से आते हैं।
अभी तक प्राण अपने उत्पाद के आठवें या नौवें संस्करण पर है। डिवाइस को कार्य करने के लिए अपेक्षाकृत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह सौर ऊर्जा पर चल सकती है।
स्टार्टअप ने अपने शुरुआती बड़े ग्राहकों के रूप में औद्योगिक साइटों और स्कूलों वाली कंपनियों को पाया है। कुछ निर्माण कंपनियों को वायु गुणवत्ता के साथ समस्या है और वे प्राण के साथ काम कर रहे हैं और इसके उत्पाद का उपयोग कर रहे हैं। ये कंपनियां एक केंद्रीय कमांड सेंटर से उपकरणों को दूर से नियंत्रित कर सकती हैं।
अंगद कहते हैं, “हमने पूरे भारत में इन साइटों पर साइट मूल्यांकन शुरू कर दिया है। और उम्मीद है कि इस तिमाही में हम और अधिक तैनाती देखेंगे।”
प्राण अपने ग्राहकों को लीज पर प्रति उपकरण प्रति माह एक निश्चित राशि के लिए हार्डवेयर देता है और कारखाने या संपत्ति के आकार के आधार पर पूरे क्षेत्र को कवर करता है। यह सड़क के अनुसार, प्रदूषण की गतिशीलता और वायु प्रवाह को ध्यान में रखते हुए इन उपकरणों को रणनीतिक रूप से स्थानों पर रखता है। इसमें सड़क-दर-सड़क की समस्या को हल करने के लिए एक डेटा प्लेटफॉर्म भी है।
अंगद कहते हैं, "हमारे पास एक प्रोसेस है जहां हम साइट और प्रदूषण की गतिशीलता का अध्ययन करते हैं, हम सॉफ्टवेयर में इसका विश्लेषण करने में सक्षम होते हैं, अपने उपकरणों को सॉफ़्टवेयर में रखते हैं क्योंकि हम उन्हें वास्तविक दुनिया में रखते हैं, प्रभाव को समझते हैं, इसे अनुकूलित करते हैं और फिर स्थापित करते हैं।“
वे कहते हैं, "मैं इसे बनाने के लिए कच्चा माल खरीदने से पहले जानता हूं कि कितने उपकरण लगाने हैं और कहां लगाने हैं।"
जहां तक भविष्य की बात है, अंगद की योजना कंपनी की 10 सदस्यीय भारतीय टीम बनाने और उसका विस्तार करने की है। स्टार्टअप बी2बी के माध्यम से अपनी कोर तकनीक को बड़े पैमाने पर ले जाना चाहता है और मैनुफेक्चुरिंग को स्थिर करना चाहता है। इसकी पायलट डायरेक्ट एयर CO2 कैप्चर डिवाइस बनाने की भी योजना है।
Edited by Ranjana Tripathi