किसान आंदोलन का 33वां दिन : कड़ाके की सर्दी के बीच भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं अन्नदाता
कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
"केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 33वां दिन है। किसानों ने शनिवार को सरकार को चिट्ठी लिखी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। आपको बता दें कि आंदोलन में शामिल एक और किसान की मृत्यु हो गई है। उन्होंने टिकरी बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन से थोड़ी दूरी पर जाकर ज़हर खा लिया। आंदोलन में अब तक दो किसानों ने आत्महत्या कर ली है और आंदोलन से जुड़े हुए लगभग 26 किसानों की अब तक जान जा चुकी है।"
पीटीआई के अनुसार केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान एक महीने से अधिक समय पहले सिंघू बॉर्डर पहुंचे थे। प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों ने शनिवार को केंद्र सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला किया था और अगले चरण की बातचीत के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने यह भी निर्णय लिया था कि 30 दिसंबर को कुंडली-मानेसर-पलवल राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 33वां दिन है। किसान सरकार से बात करना चाहते हैं और उन्होंने बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला लेते हुए शनिवार को सरकार को चिट्ठी लिखी। किसानों ने मंगलवार 11 बजे मीटिंग करने का वक्त दिया था। मीटिंग में उन्होंने 4 शर्तें भी रखीं, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक किसानों को कई जवाब नबीं मिला है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार का जवाब आज शाम तक उन्हें मिल जायेगा।
दिल्ली की गला देने वाली सर्दी के बीच अपने घर-परिवारों से दूर किसान अब भी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान आंदोलन से जिस तरह के उत्साह, मनोरंजन और सौहार्द के वीडियोज़ और फोटोज़ सामने आ रहे हैं, उसके विपरीत एक कड़वा सच ये भी है कि किसान बॉर्डर पर अपनी जान हथेली में लेकर खड़े हुए हैं। वे अपने हक के लिए कितनी भी लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। दिन चाहें जितने गुज़र गए हों, लेकिन किसानों का जोश और गुस्सा अब भी फीका नहीं पड़ा है। इसी बीच आंदोलन में शामिल सीनियर एडवोकेट अमरजीत सिंह राय ने रविवार को आत्महत्या कर ली। वे पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद के थे। उन्होंने टिकरी बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन से 5 किलोमीटर दूर जाकर जहर खा लिया।
आत्महत्या करने से पहले अमरजीत सिंह राय ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी को तानाशाह बताया। वे आंदोलन में सुसाइड करने वाले दूसरे किसान हैं। आंदोलन में अब तक लगभग 26 किसानों की जान जा चुकी है।
रविवार शाम सिंघु बॉर्डर पहुंचकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों से मुलाकात की। वे एक महीने में दूसरी बार कल सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे। उनके साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी थे।
किसानों से मिलकर केजरीवाल ने कहा,
"केंद्र सरकार को किसानों के साथ ओपन डिबेट करने चुनौती देता हूं। इससे साफ हो जाएगा कि ये कानून कैसे नुकसान पहुंचाएंगे।"
आपको बता दें, कि किसान प्रदर्शन के चलते इन दिनों दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी है और सिंघू, गाजीपुर एवं टीकरी बॉर्डर पर सैकड़ों सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। इन्हीं सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन की वजह से यातायात प्रभावित हुआ है जिस वजह से पुलिस को गाड़ियों के मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा है। दिल्ली यातायात पुलिस ने रविवार को ट्विटर पर लोगों को उन मार्गों के बारे में जानकारी दी, जो आंदोलन की वजह से बंद किए गए हैं और उन्हें वैकल्पिक रास्तों के बारे में बताया।
पुलिस ने ट्वीट किया,
“किसानों के प्रदर्शन की वजह से नोएडा और गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर बंद हैं। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, अपसरा, भोपरा और लोनी बॉर्डर का इस्तेमाल करें।“
साथ ही उन्होंने यह भी कहा,
“सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद हैं। कृपया लमपुर सफियाबाद, पल्ला एवं सिंघू स्कूल टोल टैक्स बॉर्डर वाले वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करें। मुकरबा और जीटीके रोड से यातायात का मार्ग बदला गया है। कृपया आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर जाने से बचें।"
वहीं दूसरी तरफ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा, कि नये कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने के प्रयास सफल नहीं होंगे।हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर नीत भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नये कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाएंगे, लेकिन कांग्रेस उन्हें (किसानों को) गुमराह कर रही है।
सिंह ने डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब कभी कभी सुधार लागू किए जाते हैं, तब इसके सकारत्मक परिणाम दिखने शुरू होने में कुछ साल लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे वह तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गये 1991 के आर्थिक सुधार हों या फिर वापजेयी सरकार के दौरान लाए गए अन्य सुधार हों, उनके सकारात्मक परिणाम दिखने में चार-पांच साल लग गए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा,
‘‘इसी तरह, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए कृषि सुधारों के सकारात्मक परिणामों को देखने के लिए यदि हम चार-पांच साल इंतजार नहीं कर सकते हैं, तो हम कम से कम दो साल तो इंतजार कर ही सकते हैं।’’
गौरतलब है, कि नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान करीब एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।