अर्बन प्लानिंग से लेकर महिलाओं के स्किल डिवेलपमेंट तक सफलता की इबारत लिख रही यह महिला
कृष्णा एक सीरियल ऑन्त्रप्रन्योर हैं और वह क्लेयर्स कैपिटल नाम से एक वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी कंपनी के साथ-साथ बृहटी नाम से एक फ़ाउंडेशन भी चलाती हैं। कृष्णा एक ऐसी शख़्सियत हैं, जिन्हें जोख़िम लेने से डर नहीं लगता और वह एक फ़ॉलोअर बनने के बजाय लीडर बनने में भरोसा रखती हैं।
कुछ वक़्त तक कृष्णा ने अपना पूरा समय अपनी बेटी की परवरिश को दिया और इसके बाद वह एक बार फिर अपने पैशन की ओर वापस लौटीं। कृष्णा ने 2016 में क्लेयर्स कैपिटल की शुरूआत की। इस कंपनी का उद्देश्य था, युवाओं को कम उम्र से ही ऑन्त्रप्रन्योरशिप के क्षेत्र में उतरने के लिए प्रेरित करना।
ज़िंदगी लगातार सीखने और आगे बढ़ते रहने का नाम है। सुनने में बेहद साधारण सी लगने वाली इस अप्रोच के साथ चलने वाले कभी चुनौतियों के आगे नहीं झुकते और एक पड़ाव पर हमेशा सफलता उनका इंतज़ार करती है। कुछ ऐसी ही कहानी है, गुजरात की कृष्णा हांडा की। कृष्णा एक सीरियल ऑन्त्रप्रन्योर हैं और वह क्लेयर्स कैपिटल नाम से एक वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी कंपनी के साथ-साथ बृहटी नाम से एक फ़ाउंडेशन भी चलाती हैं। कृष्णा एक ऐसी शख़्सियत हैं, जिन्हें जोख़िम लेने से डर नहीं लगता और वह एक फ़ॉलोअर बनने के बजाय लीडर बनने में भरोसा रखती हैं।
ज़िंदगी के लिए कृष्णा का नज़रिया साफ़ है। वह मानती हैं कि हमें हमेशा सॉल्यूशन पर ही फ़ोकस करना चाहिए। कृष्णा कहती हैं, "मेरा भरोसा सपने देखने में नहीं, बल्कि सिर्फ़ काम करने पर है। मैं चुनौतियों को नई राह खोजने का एक ज़रिया मानती हूं। यह सोच हमेशा मेले दिल के करीब रही है और जब भी मैं किसी नए आइडिया पर काम करती हूं तो इस सोच को ज़हन में रखकर ही आगे बढ़ती हूं।"
कृष्णा, गुजरात के एक व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। अब इसे इत्तेफ़ाक़ कहें या नियति, कृष्णा की शादी भी एक बिज़नेस फ़ैमिली में ही हुई। बायोटेक्नॉलजी और बायो-केमिस्ट्री में ग्रैजुएशन के बाद कृष्णा ने लॉ की पढ़ाई की। बिज़नेस ऐडमिनिस्ट्रेशन की विधिवत जानकारी के लिए कृष्णा ने सुफ़ोक यूनिवर्सिटी (बोस्टन) से एमबीए की डिग्री ली।
कृष्णा कहती हैं, "मुझे अगर कुछ आता था, तो वह थी ऑन्त्रप्रन्योरशिप। यह मेरी ख़ून में थी। मेरे ससुर ने मुझे बिज़नेस रिसर्च करना सिखाया और अपना काम शुरू करने से पहले मुझे कई वेंचर्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मेरी सास ने भी पूरा सहयोग दिया। उन्होंने बिज़नेस और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाने में मेरी भरपूर मदद की।"
इस दौरान ही जेनरिक ड्रग्स की इंडस्ट्री की तरफ़ कृष्णा का रुझान बढ़ा। कृष्णा कहती हैं कि मैंने बायोटेक्नॉलजी की पढ़ाई की और इस वजह से ही इस क्षेत्र पर मेरी नज़र गई। उन्होंने बताया कि आइडिया को एग्जिक्यूट कैसे करना है, इस बारे में उनकी सोच पूरी तरह से स्पष्ट नहीं थी। कृष्णा ने ऐपल इंक. के बारे में एक आर्टिकल पढ़ा और जाना कि ऐपल किस तरह से चीन से प्रोडक्ट डिवेलपमेंट की आउटसोर्सिंग कर रहा है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद कृष्णा को अपना ऐक्शन प्लान स्पष्ट हुआ। वह बताती हैं, "25 साल की उम्र में मैंने मार्केट रिसर्च की और इस निष्कर्ष पर पहुंची की कॉन्ट्रैक्टस आधारित रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट सर्विस के क्षेत्र में और ख़ासतौर पर जेनरिक दवाइयों की इंडस्ट्री में मौकों की भरमार है। मेरा आइडिया था कि एक बी टू बी (बिज़नेस टू बिज़नेस) कंपनी शुरू की जाए, जो रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट के क्षेत्र में बेहतरीन काम करे। इस आइडिया की बदौलत ही डॉरीज़ो लाइफ़साइंसेज़ की शुरूआत हुई।"
अपने शुरूआती पिचिंग एक्सपीरिएंस को याद करते हुए कृष्णा कहती हैं, "मैं एक महिला के सामने प्रेजेंटेशन दे रही थी और मीटिंग के बाद मुझे लगा वह मेरे आइडिया से सहमत थी और मेरी बातों की ठीक ढंग से समझ रही थी। हमने बिज़नेस प्लान्स के बारे में विस्तार से बात की। मीटिंग के बाद डील फ़ाइनल हो गई। बाद में मुझे पता चला कि मैं जिस महिला के सामने पिचिंग कर रही थी, वह महिला भी मेरी ही तरह एक ऑन्त्रप्रन्योरशिप के क्षेत्र में नई थी और शायद इसलिए ही वह मेरे आइडिया से पूरी तरह सहमत थी।" डॉरीज़ो, जेनरिक इनजेक्टेबल्स सेगमेंट में अपने क्लाइंट्स को प्रोडक्ट डिवेलपमेंट की सर्विसेज़ देता है।
कृष्णा बताती हैं, "मैंने एलो नाम से एक अपेयरल ब्रैंड भी शुरू किया था। ब्रैंड की शुरूआत अच्छी रही, लेकिन बिज़नेस को बढ़ाने के लिए एक ब्रैंड काफ़ी नहीं था और इसलिए मुझे कुछ और ब्रैंड्स के साथ आगे बढ़ना था। इस दौरान ही मैं मां बनीं और मेरी ज़िंदगी में मेरी बेटी के साथ एक और पन्ना जुड़ गया। मैंने फ़ैसला लिया कि अब मैं अपना पूरा समय अपनी बेटी को दूंगी और बिज़नेस से किनारा कर लूंगी। मैं मानती हूं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता है।"
कुछ वक़्त तक कृष्णा ने अपना पूरा समय अपनी बेटी की परवरिश को दिया और इसके बाद वह एक बार फिर अपने पैशन की ओर वापस लौटीं। कृष्णा ने 2016 में क्लेयर्स कैपिटल की शुरूआत की। इस कंपनी का उद्देश्य था, युवाओं को कम उम्र से ही ऑन्त्रप्रन्योरशिप के क्षेत्र में उतरने के लिए प्रेरित करना। इसके बाद कृष्णा ने बृहटी फ़ाउंडेशन की शुरूआत की और सॉल्यूशन सीकर की अपनी सोच को उन्होंने एक बिज़नेस वेंचर में तब्दील कर दिया। बृहटी अर्बन डिवेलपमेंट के क्षेत्र में काम करता है और अपनी मुहिम में आम नागरिकों को भी शामिल करता है। फ़ाउंडेशन अर्बन प्लानिंग, वेस्ट मैनेजमेंट, हेरिटेज कन्ज़र्वेशन (विरासत को सुरक्षित रखना) और एक स्थायी विकास के क्षेत्र में काम करता है।
कृष्णा बताती हैं, "बतौर ऑन्त्रप्रन्योर मैं चुनौतियों के जिस दौर से गुज़री, उनसे लगभग हर एक ऑन्त्रप्रन्योर को गुज़रना पड़ता है। मैं यह ज़रूर मानती हूं कि इन चुनौतियों के लिए जो मेरा नज़रिया है, वह बाक़ी लोगों से अलग हो सकता है। मैं हर चुनौती को बेहद सकारात्मक नज़रिए के साथ स्वीकार करती हूं।" कृष्णा, स्किल डिवेलपमेंट काउंसलिंग की मदद से प्रोफ़ेशनल और पर्सनल लाइफ़ की चुनौतियों के लिए तैयार रहने में लगभग 100 महिलाओं की मदद कर चुकी हैं और उनकी ज़िंदगी बदल चुकी हैं।
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए कृष्णा कहती हैं कि वह अपने वेंचर्स के माध्यम से टियर II और टियर III शहरों तक भी पहुंच बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। कृष्णा मानती हैं कि छोटे शहरों में नए एंटरप्राइजेज़ के लिए अच्छे मौकों और बेहतर ईको-सिस्टम की कमी है। कृष्णा बृहटी फ़ाउंडेशन के माध्यम से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अर्बन प्लानिंग और वेस्ट मैनेजमेंट आदि के बारे में जागरूक करना चाहती हैं।
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