दिल्ली यूनिवर्सिटी में पहली बार मां-बेटी ने एक साथ हासिल की पीएचडी की डिग्री
माला दत्ता ने कॉलेज छोड़ने के चौंतिस साल बाद पीएचडी की डिग्री हासिल की. ये वाक्या उन सभी के आंख पर बंधी पट्टी खोलने के लिए काफी है जो पढ़ाई को एक निश्चित उम्र के खांचे में देखते हैं. लेकिन माला दत्ता के लिए यह उपलब्धि अपनी पीएचडी हासिल करने के लिए ही नहीं जाना जायेगा. बल्कि इसके साथ एक रोचक रिकॉर्ड और भी जुड़ा है। 15 मार्च 2019 को माला दत्ता के साथ उनकी बेटी श्रेया मिश्रा को भी दिल्ली विश्वविद्यालय ने पीएचडी की डिग्री दी।
माला दत्ता भारतीय आर्थिक सेवा की अधिकारी हैं जो रक्षा मंत्रालय में काम करती हैं। हिंदुस्तान टाईम्स से बात करते हुए माला बताती हैं कि 1985 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स करने के बाद हमेशा से उनकी इच्छा रही थी कि वो पीएचडी पूरा करें।
वे बताती हैं, “2012 में जब मेरी छोटी बेटी का बारहवीं बोर्ड की परीक्षा थी तो मैंने अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेकर वित्त में पीएडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया। फिर मंत्रालय से स्टडी लिव लेकर पिएचडी पूरा करने के लिए गंभीरता से काम करना शुरू कर दिया।“
माला के साथ ही अपनी पीएचडी पूरी करने वाली उनकी बेटी श्रेया मिश्रा विश्व बैंक में कंसलटेंट हैं। श्रेया ने अपनी पिएचडी मनोविज्ञान में किया है। श्रेया कहती हैं,
“रजिस्ट्रेशन कराने के बाद हमें अहसास हुआ कि इसे एक साथ पूरा करके हम अपने लिए यादगार बना सकते हैं। हम दोनों के पीएचडी का विषय एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न है फिर भी मैं मां से सलाह लेती रही। कड़ी मेहनत के बाद तीन साल में ही अपनी पीएचडी मां के साथ पूरी कर ली।”
हिंदुस्तान टाइम्स को माला बताती हैं कि पीएचडी करने का यह सफर मेरे लिए बहुत आनंददायक था। क्लासेज में कभी-कभी मेरे प्रोफेसर भी मुझे मैम बुला देते थे। अपनी बेटी के उम्र के विद्यार्थियों के साथ पढ़ना सच में मजेदार था। दिल्ली विश्वविद्यालय का कहना है कि विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि मां-बेटी ने एक साथ पीएचडी पूरी की है।
मां-बेटी की पीएचडी पूरा करने की यह कहानी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणास्रोत साबित हो सकता है। और उनका यह ज़ज्बा दिखाता हैं कि अगर आप ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है।
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