रॉक बैंड से लेकर पेप्सिको की सीईओ बनने तक, जानें कैसा था इंदिरा नूई का ये सफर
कभी रॉक बैंड का हिस्सा होने से लेकर दिग्गज कंपनी पेप्सिको को सीईओ बनने तक का इंदिरा नूई का सफर संघर्ष, आश्चर्य और प्रेरणा से भरपूर है। हाल ही में एक मीडिया हाउस को दिये हुए इंटरव्यू में इंदिरा नूई ने अपने जीवन से जुड़े हुए तमाम उन पहलुओं के बारे में बात की है जिनके बारे में इससे पहले शायद ही अधिक लोग परिचित थे।
मीडिया कंपनी ब्रूट को दिये एक इंटरव्यू में इंदिरा नूई ने बताया है कि 60 और 70 के दशक में हर किशोर एक रॉकस्टार बनने का सपना देखा करता था और वे भी इससे जुदा नहीं थीं। इंदिरा नूई इस दौरान स्टेज पर भी परफॉर्म किया करती थीं।
इंदिरा ने मद्रास क्रिश्चयन कॉलेज से गणित और भौतिकी जैसे विषयों में स्नातक और बाद में आईआईएम कोलकाता से मास्टर्स डिग्री की है। इंदिरा ने अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है। वे अपने कॉलेज के दिनों में क्रिकेट भी खेला करती थीं।
मद्रास में जन्मीं क्रिकेट की शौकीन रहीं इंदिरा के अनुसार उस दौरान उनके पास क्रिकेट का सामान नहीं हुआ करता था और वे क्रिकेट खेलने के लिए सफ़ेद कपड़े भी अपने भाई और पिता से लिया करती थीं। इंदिरा के अनुसार क्रिकेट के मैदान पर बिताया वो समय उनमें आत्मविश्वास को भरने वाला और सशक्त करने वाला था।
मद्रास से पेप्सिको तक का सफर
आईआईएम कोलकाता से मास्टर्स करने के बाद इंदिरा नूई को अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से पब्लिक और प्राइवेट मैनेजमेंट की पढ़ाई करने का मौका मिला और यहाँ से ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होने बोस्टन में ही एक कंसल्टेशन फर्म जॉइन कर ली। इंदिरा के करियर का बड़ा पड़ाव तब आया जब साल 1986 में उन्होने मोटोरोला को कॉर्पोरेट स्ट्रैटजी में बतौर वाइस प्रेसिडेंट जॉइन किया।
पेप्सिको को सफलता के शिखर पर ले जाने वाली इंदिरा नूई ने पेप्सिको साल 1994 में जॉइन की थी और साल 2006 में इंदिरा नूई को कंपनी में सीईओ पद के लिए चुना गया था। लगातार 12 सालों तक पेप्सिको को वैश्विक बाज़ार में मजबूती से खड़ा करने के बाद इंदिरा नूई ने साल 2018 में रिटायरमेंट ले लिया था।
कैसे चलाई पेप्सिको जैसी कंपनी?
पेप्सिको जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनी के संचालन को लेकर इंदिरा नूई ने बात करते हुए बताया है कि ‘इस पद पर बैठे लोग हमेशा लोगों की नज़र में होते हैं। निवेशक और मीडिया समेत सभी आपका आंकलन कर रहे होते हैं। ऐसे में आपको सभी को अपनी तरफ लाना होता है जहां वे सभी आप पर भरोसा कर सकें।‘
इंदिरा के अनुसार इस दौरान आपको यह भी सुनिश्चित करना होता है कि कंपनी लगातार आगे बढ़ती रहे। साल 2007 में भारत सरकार ने इंदिरा नूई को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया था, जबकि फोर्ब्स पत्रिका भी उन्हें 30 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में जगह दे चुकी है।
घर पर मिला सामान्य माहौल
पेप्सिको जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनी की सीईओ रहने के दौरान भी इंदिरा नूई अपने घर में बेहद सामान्य ढंग से ही रहती थीं। अपने एक इंटरव्यू में एक किस्सा साझा करते हुए इंदिरा ने बताया था कि पेप्सिको की सीईओ बनने के बाद वे ये खबर अपनी माँ को सुनाने पहुंची थीं लेकिन उनकी माँ ने उन्हें पहले बाज़ार से दूध का पैकेट लाने के लिए भेज दिया था।
इंदिरा के अनुसार उनकी माँ का कहना रहा है कि वे सीईओ और प्रेसिडेंट घर के बाहर के लिए ही हैं, घर पर वे एक बहू, माँ और बेटी ही हैं। इंदिरा ने साल 1980 में एमएसओफ्ट सिस्टम्स के प्रेसिडेंट राज कुमार नूई से शादी की थी।
अमेरिका जाकर हुई थी खाने की दिक्कत
पहली बार अमेरिका पहुँचने के बाद इंदिरा नूई को शुद्ध शाकाहारी होने के चलते खाने को लेकर कुछ समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था। इंदिरा के अनुसार वो दक्षिण भारत के खाने की शौकीन रही हैं लेकिन अमेरिका पहुँचने के बाद उनके आस-पास वैसा खाना मौजूद नही था।
अमेरिका पहुँचते ही अगले कुछ दिनों तक इंदिरा नूई ने ब्रेड, टमाटर और कुछ चिप्स खाकर अपना समय गुज़ारा था। इंदिरा ने बताया है कि अमेरिका जाने के बाद वे लंबे समय तक दक्षिण भारतीय खाने को मिस करती रही हैं।
जब खरीदी ‘सबसे लग्जरी’ चीज
इंदिरा नूई ने अपने इंटरव्यू में ये भी बताया है कि उन्होने अपनी सबसे पहली कौन सी लग्जरी चीज खरीदी थी। इंदिरा के अनुसार वो लग्जरी चीज उनकी पहली कार टोयोटा कैमरी थी।
इंदिरा और उनके पति ने यह मिलकर तय किया था कि वे कभी भी लोन नहीं लेंगे और इसके चलते वह कार उनके लिए और खास हो गई क्योंकि उन्होने उस कार के लिए अपनी जमापूंजी का बड़ा हिस्सा लगाया था। इंदिरा के अनुसार उन्होने बाद में भले ही तमाम लग्जरी वस्तुएँ खरीदी हों लेकिन वो कार उनके लिए सबसे खास रहेगी।
Edited by Ranjana Tripathi