Fuelling Digital India: इंटरनेट के बेहतर इस्तेमाल के लिए राजीव चंद्रशेखर के मिशन पर एक झलक
प्रस्तावित डिजिटल इंडिया बिल के माध्यम से सरकार गलत/फर्ज़ी सूचनाओं और अफवाहों से लड़ना चाहती है और अवैध साइबर गतिविधियों पर नकेल कसना चाहती है.
हाइलाइट्स
- भारत को सुरक्षित इंटरनेट की आवश्यकता है जिसका उपयोग समाज के सभी वर्गों द्वारा किया जा सके, चाहे वह किसी भी उम्र का हो.
- गलत जानकारी बिना जांच-पड़ताल के इंटरनेट पर नहीं जानी चाहिए. यह चिंता का विषय है.
- अभिव्यक्ति की आज़ादी एक मौलिक अधिकार है लेकिन यह नियंत्रण और संतुलन के साथ आता है.
एक दशक पहले, 2011 में, भारत में लगभग 100 मिलियन इंटरनेट यूजर थे. 2023 तक, इस संख्या में ग़ज़ब का उछाल देखा गया. आज, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 800 मिलियन इंटरनेट यूजर्स के साथ, भारत एक डिजिटल क्रांति से गुजरा है. इंटरनेट की पहुंच में तेजी से वृद्धि ने भारत के सीखने, संचार करने और जीने के तरीके को बदल दिया है. लेकिन, अगर बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी आती है, तो बड़ी प्रगति के साथ बड़े जोखिम भी होते हैं. और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) उन्हें हल करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
उद्यमी से नेता बने, मंत्री आगामी डिजिटल इंडिया बिल (Digital India Bill) कानून के माध्यम से एक ऐसा इंटरनेट बनाने के इच्छुक हैं जो हर नागरिक के लिए सुरक्षित और समावेशी हो. इसका मकसद भारत के नागरिकों को साइबर अपराधियों से बचाते हुए ऑनलाइन जाने के लिए सशक्त बनाना है.
इस परिवर्तन का यह बिलकुल सही समय है. भारत, आज, दुनिया में सबसे अधिक जुड़े हुए देशों में से एक है और IAMAI का अनुमान है कि 2025 तक देश में 900 मिलियन इंटरनेट यूजर होंगे. इंटरनेट यूजर्स की बढ़त के साथ, पुराने कानूनों में सुधार की आवश्यकता है. यह मंत्री और उनकी टीम के लिए एक केंद्र बिंदु बन गया है.
अनावश्यक नियमों में संशोधन की तत्काल भावना जाहिर करते हुए मंत्री कहते हैं, "हमारी इकोनॉमी की टेक्नोलॉजी इंटेंसिटी (तीव्रता) बढ़ रही है और इनोवेशन इकोसिस्टम बढ़ रहा है. लेकिन इस सेक्टर को कंट्रोल करने वाला कानून 22 साल पुराना है.”
YourStory के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार में हमें इस गति को जारी रखने की आवश्यकता महसूस हुई."
वह कहते हैं कि सरकार फ्री स्पीच की चिंताओं से अवगत है और क्या आगामी कानून इसमें बाधा उत्पन्न करेगा. लेकिन मंत्री ने तुरंत यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी गलत सूचना फैलाने या इंटरनेट पर नफरत फैलाने का लाइसेंस नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, “अभिव्यक्ति की आज़ादी एक मौलिक अधिकार है, पूर्ण अधिकार नहीं. यह कुछ प्रतिबंधों और चेतावनियों के अधीन है. मेरा मानना है कि जो लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी के 'कथित' नुकसान के बारे में शिकायत कर रहे हैं, वे रूबिकॉन को पार करते हैं और अवैध गतिविधियों में शामिल होते हैं. ये गलत काम करने वाले लोग अब अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ लेकर छुप नहीं सकते हैं."
इस प्रतिबद्धता का प्रमाण यह तथ्य है कि डिजिटल इंडिया बिल में नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को बनाए रखने के प्रावधान हैं. अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की आज़ादी) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) पर विशेष जोर दिया गया है.
डिजिटल इंडिया की नींव रखना
प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम (Digital India Act) वैश्विक मानकों के साथ इंटरनेट उपयोग के लिए एक कानूनी ढांचे की कल्पना करता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), गेमिंग और मेटावर्स जैसे सेक्टर्स में चेक और बैलेंस का एक सेट भी लागू किया जाएगा. मंत्री बताते हैं कि सरकार वास्तविक दुनिया और डिजिटल दुनिया के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए एक समतल खेल का मैदान तैयार करने का प्रयास कर रही है.
उन्होंने आगे कहा, "एआई और मेटावर्स जैसी उभरती टेक्नोलॉजी यूजर्स को गैसलाइटिंग और डॉक्सिंग का शिकार बना सकती हैं. यदि ये काम वास्तविक जीवन में अपराध हैं, तो उन्हें डिजिटल दुनिया में भी अपराध होना चाहिए."
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार वर्तमान में डिजिटल इंडिया बिल को अंतिम रूप देने के लिए सभी हितधारकों के साथ परामर्शी चर्चाओं में लगी हुई है. मंत्री ने दोहराया कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास (Sabka Saath, Sabka Vikas, and Sabka Vishwaas) का दर्शन विधायी प्रक्रिया के हर चरण में मार्गदर्शक होगा.
डिजिटल इंडिया के वादे को पूरा करने का एक अभिन्न हिस्सा महिलाओं के बीच इंटरनेट के उपयोग को बढ़ावा देना है. मंत्री का कहना है कि देश में लगभग 45% इंटरनेट यूजर महिलाएं हैं, लेकिन मुख्य रूप से एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस रखने वाले परिवारों के कारण अंतर मौजूद है.
मंत्री राजीव चंद्रशेखर कहते हैं, "अगर हम जनता के लिए सस्ते डिवाइस उपलब्ध करा सकते हैं, तो महिला इंटरनेट यूजर्स के अनुपात में वृद्धि की संभावना अधिक है. यह कार्य प्रगति पर है और हम डिजिटल रूप से समावेशी भारत के लिए सुधार शुरू करेंगे.”
भविष्य के लिए स्किल्स तैयार करना
भारत में 86,000 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें से 30% कंपनियां टेक्नोलॉजी सेक्टर से संबंधित हैं. आईटी मंत्री का मानना है कि भारत के युवा अब रोजगार पाने के लिए चिंतित नहीं हैं क्योंकि वे अपने लिए अवसर पैदा करने में व्यस्त हैं.
वे आगे कहते हैं, “कई दशकों से, हमें गरीब लोगों के देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था. आज के आत्मविश्वास से भरे युवा भारतीयों ने अपनी उद्यमशीलता की भावना के माध्यम से उस धारणा को बदल दिया है.”
डिजिटल इंडिया अधिनियम इस उद्यमशीलता की मानसिकता को आगे बढ़ाता है. मंत्री बताते हैं कि सुधार न केवल भारतीय स्टार्टअप्स को सफल होने में सक्षम बनाएंगे बल्कि वैश्विक स्टार्टअप्स के लिए गुरुत्वाकर्षण के डिजिटल केंद्र के रूप में भारत को फिर से स्थापित करेंगे.
डिजिटल रूप से समझदार भारत बनाने के लिए कौशल (Skill) निर्माण एक अनिवार्य टूल है. जबकि मंत्री पिछले आठ वर्षों में कौशल विकास की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना करते हैं, वह यह स्वीकार करने के लिए ईमानदार हैं कि भारतीय युवा अभी तक पूरी तरह से कुशल नहीं हैं.
लेकिन देश 2014 के दौर से काफी आगे निकल चुका है, जब मंत्री के अनुमान के मुताबिक कुल 420 मिलियन कर्मचारियों में से 320 मिलियन कर्मचारी अकुशल थे. कंपनियों की कौशल आवश्यकताओं और कार्यकर्ता क्षमताओं के बीच बड़ा अंतर था. धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, एक बदलाव हुआ. हालाँकि, AI और इससे जुड़े सेक्टर्स में 45,000 से अधिक खाली पदों के साथ, काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
मंत्री कहते हैं, “इस साल के बजट में एआई, ड्रोन और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए 8,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. प्रत्येक जिले के पास एक अद्वितीय कौशल विकास योजना होगी और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप इसे मैप किया जाएगा.”
मेकिंग इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड
देश में कुशल विनिर्माण क्षमताओं (manufacturing capabilities) के विकास के बिना डिजिटल इंडिया का वादा अधूरा है. मंत्री उत्तर प्रदेश और कर्नाटक को क्षमता निर्माण के उल्लेखनीय उदाहरणों के रूप में सूचीबद्ध करते हैं.
मिसाल के तौर पर उत्तर प्रदेश को ही लीजिए. छह साल पहले, राज्य को टेक्नोलॉजी सेंटर के रूप में देखना मुश्किल होता था. 2023 तक, राज्य उत्तर भारत में सबसे बड़ा डेटा सेंटर होस्ट करता है और भारत में मोबाइल फोन का सबसे बड़ा निर्यातक (exporter) भी है (Apple को छोड़कर).
उन्होंने आगे कहा, “जब से हमने यूपी में इन्वेस्टर समिट (Investor Summit in UP) का आयोजन किया है, तब से कहानी में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है. राज्य में तकनीकी क्षमताओं के निर्माण के प्रयासों से स्थानीय युवाओं को फिर से ऊर्जा मिली है."
टेक्नोलॉजी और डिजिटल भारत के बारे में चर्चा हमेशा कर्नाटक और उसके आईटी हब, बेंगलुरु को साथ लाती है. Apple जैसे वैश्विक निर्माताओं ने भारत में प्रोडक्सन शुरू करने का एक सचेत निर्णय लिया है. एक चमकदार उदाहरण Apple के पार्टनर Foxconn की बेंगलुरु के पास एक विनिर्माण सुविधा में 700 मिलियन डॉलर (~ 5,723 करोड़ रुपये) का निवेश करने की योजना है.
मंत्री बताते हैं कि कर्नाटक, जिसे कभी IT/ITeS हब के रूप में माना जाता था, अब स्टार्टअप्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजाइन के लिए इनोवेशन हब बन गया है.
मंत्री कहते हैं, “भारत में Apple के विस्तार से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में कर्नाटक को एक नया प्रोत्साहन मिलेगा. नया प्लांट रोजगार पैदा करेगा, विशेष रूप से महिलाओं के लिए यह देखते हुए कि Apple की फैक्टरियां 80% महिलाओं को रोजगार देती हैं.”
यह पीएम मोदी के नेतृत्व में तकनीकी क्रांति की शुरुआत है. 2025-26 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) विजन के लिए सक्षम विनियम (enabling regulations), एक कुशल कार्यबल और समावेशी विकास आवश्यक होगा. और आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर की निगाहें लक्ष्य पर टिकी हुई हैं.
(Translated by: रविकांत पारीक)