हॉस्टल के छोटे से कमरे से शुरू हुआ था Garden-up, आज एक सफल बिजनेस में बदल चुका है
इकोलॉजी में पीएचडी करके एकता चौधरी बागवानी करने लगीं और बागवानी के शौक को सफल बिजनेस में बदल दिया.
पांच साल पहले 2017 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलुरू के हॉस्टल के एक छोटे से कमरे से ‘गार्डन अप’ की शुरुआत हुई. शुरुआत करने वाली थीं एकता चौधरी, जो उस इंस्टीट्यूट से इकोलॉजी में रिसर्च कर रही थीं. आज यूट्यूब पर उनके 14 करोड़ से ज्यादा फॉओवर हैं और इंस्टाग्राम पर उन्हें ढाई लाख लोग फॉलो करते हैं. बागवानी के अपने शौक के चलते शुरू किया गया एक यू-ट्यूब चैनल गार्डन-अप अब एक सफल स्टार्टअप बिजनेस में तब्दील हो चुका है.
हरियाणा के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मी एकता चौधरी का पेड़-पौधों के प्रति रूझान शुरू से था. उनके घर में ढेर सारे पेड़-पौधे थे, जिन्हें रोज पानी देने की जिम्मेदारी एकता की होती थी. कई बार ऐसा भी हुआ कि घर में पानी की किल्लत रही. एक समय ही पानी आता था. ऐसे में उन्हें बड़ी किफायत से संभलकर पौधों को पानी देना होता था. पेड़-पौधों का ख्याल करते, उनसे बातें करते हुए एकता का उनके साथ ऐसा रिश्ता बन गया, जैसा नए जन्मे बच्चे के साथ होता है. वो आपके होने का हिस्सा हो जाते हैं.
एकेडमिक पढ़ाई भी वनस्पतियों वाली
शायद यही वजह रही होगी कि उनके एकेडमिक्स का बड़ा हिस्सा भी पेड़-पौधों की पढ़ाई से जुड़ा है. 2010 में एकता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज मिरांडा हाउस से लाइफ साइंसेज में बीएससी की. उसके बाद देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से इनवायरमेंटल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया.
2012 से 2018 के बीच, जब वो बंगलुरू के साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट से इकोलॉजी में डॉक्टरेट कर रही थीं, उस दौरान अपने हॉस्टल के छोटे से कमरे में उन्होंने छोटे-छोटे गमलों में पौधे लगाना शुरू किया. देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान भी रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए अकसर गढ़वाल के घने जंगलों में जाना होता था. वहां तरह-तरह के पेड़-पौधों और वनस्पतियों के साथ घंटों गुजारने का मौका मिलता.
एकेडमिक नजरिए से देखा जाए तो सारे स्टूडेंट पढ़ तो एक ही विषय रहे थे. सब उन्हीं जंगलों में, उन्हीं पेड़-पौधों के बीच जाते, लेकिन एकता की बात अलग थी. उनका वनस्पतियों, वृक्षों, जंगलों से जुड़ाव बहुत निजी था.
एकता जितने प्यार से पौधों से बात करती हैं
यह जुड़ाव कितना गहरा है, इसकी अनुभूति उनके बोले और लिखे शब्दों में भी होती है. जब वह पौधों के बारे में बात कर होती हैं, जब गोड़ाई, सिंचाई जैसी रोजमर्रा की बातों के पीछे का विज्ञान और उसकी अहमियत समझा रही होती हैं तो सिर्फ साइंटिफिक और एकेडमिक ढंग से बात नहीं करतीं. वो ऐसे बात करती हैं, जैसे पौधे उनकी बातें सुन रहे हैं और महसूस भी कर रहे हैं. हम उनसे जितनी आत्मीयता और मुहब्बत से बात करेंगे, वो उतने हरे रहेंगे. पौधों की हरियाली का अर्थ है उनकी खुशी. और देखने वाली चीज होती है यह सब बोलते हुए एकता के चेहरे की खुशी और आंखों की चमक.
हॉस्टल के कमरे में 35 पौधे और लैब में किचन गार्डन
एकता कहती हैं, “2017 में पहली बार मैंने यूट्यूब पर पहला वीडियो बनाकर डाला. हॉस्टल के मेरे छोटे से कमरे में उस वक्त तकरीबन 30-40 छोटे-छोटे पौधे थे. मैंने लैब में भी एक छोटा सा किचन गार्डन बना रखा था.” एकता कहती हैं कि पीएचडी काम काम बहुत लंबा और थकाने वाला होता है. घंटों लैब में बैठे रहना पड़ता है. ऐसे में एक लंबे और थकान भरे दिन के बाद शाम को कुछ वक्त अपने पौधों के साथ बिताना बहुत राहत देता है.
धीरे-धीरे उन्होंने छोटे-छोटे वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डालना शुरू किया. वह वीकेंड में खुद ही अपने मोबाइल कैमरे से वीडियो शूट करतीं. सुबह जल्दी उठकर लैब में चली जातीं ताकि वहां के किचन गार्डन को सुबह की रौशनी में शूट कर सकें. उनके शुरुआती वीडियो की क्वालिटी भी बहुत बेसिक थी, लेकिन चूंकि उनकी बातों में एक तरह की सुंदरता, गहराई और जुड़ाव था तो लोग उनके चैनल से जुड़ते चले गए.
गार्डन अप कंपनी की शुरुआत
2017 में शौकिया शुरू हुए यूट्यूब चैनल गार्डन अप ने 2018 में कंपनी का रूप ले लिया. एकता ने ऑनलाइन रीटेल की स्टोर की शुरुआत की, जहां आपको तरह-तरह के पौधों, प्लांटर्स के अलावा गार्डनिंग से जुड़ी हरेक चीज मिलेगी. यहां सिर्फ प्रोडक्ट ही नहीं मिलते, बल्कि उनके बारे में सारी जानकारी भी दी जाती है.
आपकी खास जरूरतों के हिसाब से आपको कौन से पौधे लगाने चाहिए, उनकी किस तरह देखभाल करनी चाहिए, इससे जुड़ी सभी जानकारियां और हर तरह के सवालों का जवाब गार्डन अप पर मिलता है. अगर आप मुंबई में रहते हैं तो आपके पौधों की जरूरत दिल्ली वाली पौधों से अलग होगी. गार्डन अप जब आपको अपने घर को हरा बनाने से जुड़ी सलाह दे रहा होता है तो वह हरेक पहलू पर नजर रखता है, जैसे आपके घर का आकार, शहर का मौसम, आपकी बालकनी या छत पर धूप की मात्रा आदि.
अपने ब्लॉग और यूट्यूब चैनल पर एकता न सिर्फ गार्डनिंग से जुड़ी जानकारियां देती हैं, बल्कि बहुत सरल और आसान भाषा में उसके पीछे का बहुत सारा विज्ञान भी समझाती हैं. जैसे अपनी एक पोस्ट में मैंग्रूव्स के बारे में एकता लिखती हैं,
“कोस्टल (समुद्रतटीय) इकोसिस्टम बहुत कमाल का है. क्या आपको पता है कि मैंग्रूव्स हमारी धरती को तूफान, साइक्लोन और सुनामी से बचाते हैं. इन पौधों में गुरुत्वाकर्षण के विपरीत दिशा में अपनी जड़ों को बढ़ाने की जादुई क्षमता होती है. यह धरती की रक्षा करते हैं.”
एकता कहती हैं, “मेरे लिए गार्डनिंग मेडिटेशन की तरह है. रोज सुबह उठने के बाद मैं कुछ वक्त पौधों के साथ बिताती हूं. पीले सूखे पत्तों की छंटाई, गमलों की गोड़ाई, उन्हें पानी देना, कुछ को धूप में रखना तो कुछ को छांव में. हर पौधे की अलग जरूरत होती है. सुबह का ये वक्त मेरे पूरे दिन को तरोताजा बनाए रखने के लिए जरूरी है. यह ध्यान की तरह है. इससे मेरे मन को खुशी मिलती है.”
कॉरपोरेट वर्कशॉप और गार्डनिंग क्लसेज
दो साल पहले कोविड और लंबे लॉकडाउन की वजह से लोग लंबे समय के लिए अपने घरों में बंद हो गए. लॉकडाउन का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत नकारात्मक असर पड़ रहा था. एकता कहती हैं, “बहुत सारे वैज्ञानिक शोधों से यह पता चलता है कि पेड़-पौधों और गार्डनिंग का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पॉजिटिव असर पड़ता है. यह चित्त को शांत और एकाग्र रखने में भी मददगार
होता है.”
लॉकडाउन में बहुत से लोगों ने बागवानी के अपने शौक को पूरा करने की कोशिश की और इस तरह अपने मन को भी पॉजिटिव बनाए रखा. लेकिन कई कॉरपोरेट कंपनियों ने भी इस दौरान अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें मोटिवेट करने और क्रिएटिवली इंगेज करने के लिए गार्डनिंग की कॉरपोरेट वर्कशॉप करवाना शुरू किया.
एकता की कंपनी गार्डन अप ने शुरू में कई कॉरपोरेट वर्कशॉप ऑनलाइन की. बाद में लॉकडाउन खत्म होने और सामान्य जीवन की वापसी के बाद ये कॉरपोरेट वर्कशॉप फिजिकली भी होने लगीं. आज गार्डन अप कॉरपोरेट्स, इंस्टीट्यूट और अन्य संगठनों के लिए गार्डनिंग वर्कशॉप का आयोजन करता है. इसके अलावा एकता गार्डनिंग के कोर्स और क्लास भी चलाती हैं.
1000 स्क्वायर फीट के घर में 100 से ज्यादा पौधे
मुंबई में एकता के 1000 स्क्वायर फीट के घर में 1000 से ज्यादा पौधे हैं. इसके अलावा उनके पास एक छोटा किचन गार्डन भी है, जिसमें तरह-तरह की साग-सब्जियां उगती हैं. एकता अपने चैनल और ब्लॉग पर सही पौधे खरीदने, घर में खाद बनाने और पौधों को प्रपोगेट करने के तरीके भी बताती हैं. इसके अलावा वह कॉन्ट्रैक्ट पर लोगों के गार्डन डिजाइन करने का काम भी करती हैं.
आज एकता की कंपनी में पांच लोग फुल टाइम काम कर रहे हैं और इसके अलावा वो बहुत सारी महिलाओं, कलाकारों और समूहों के साथ कोलैबोरेशन में काम कर रही हैं. गार्डन अप पर जो सजावटी गमले और होम डेकोरेशन के सामान बिकते हैं, उन्हें मुंबई और आसपास के शहरों, गांवों में रहने वाली महिला कारीगर और दस्तकार बनाते हैं. शौकिया शुरू हुआ ये प्लेटफॉर्म आज एक सफल बिजनेस में बदल चुका है, जिसके जरिए एकता बहुत सारे लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रही हैं.