उच्च शिक्षा में लड़कों से ज्यादा लोन ले रही हैं लड़कियां
उच्च शिक्षा ले रहीं लड़कियां अब बैंकों से लोन लेने के मामले में पुरुषों से आगे निकल चुकी हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में लड़कियां अब तक बीस प्रतिशत ज्यादा लोन ले चुकी हैं। उनके द्वारा लिए गए लोन का औसत पैंतीस प्रतिशत अधिक रहा है। बैंक भी कारोबारी किस्म की महिलाओं को वैभव लक्ष्मीत, सिंड महिला शक्ति, मुद्र
आजकल देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सरकारें ऋण आदि देकर खुद ही तरह-तरह के प्रयास, प्रयोग और सहयोग कर रही हैं लेकिन इस बीच कंज्यूमर लेंडिंग फिनटेक कंपनी जेस्टमनी की सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि उच्च शिक्षा ले रहीं लड़कियां अब बैंकों से लोन लेने के मामले में पुरुषों से आगे निकल चुकी हैं। आमतौर से कम से कम भारतीय समाज में तो ऐसी धारणा पहले से ही बनी हुई है कि पुरुष ज्यादा लोन लेते होंगे लेकिन सच ये है कि बैंकों द्वारा अदा किए गए इस किस्म के (एजुकेशन) ऋण में छात्राओं को बीस फीसदी ज्यादा लोन दिया गया है, जबकि पुरुष अभ्यर्थियों की हिस्सेदारी मात्र छह प्रतिशत रही है।
सर्वे का निष्कर्ष है कि छात्रों की तुलना में छात्राओं के लोन की औसत रकम भी करीब 35 फीसदी ज्यादा रह रही है। इस साल 2019 में अब तक महिलाओं ने लोन के बदले ईएमआई के रूप में औसतन करीब 20,000 रुपये, तो पुरुषों ने 15,000 रुपये का भुगतान किया है।
जहां तक हमारे देश में बैंकिंग सेक्टर की बात है, फिलहाल, महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में देश की सरकारी और निजी क्षेत्र की बैंक अहम भूमिका निभा रही हैं। इससे महिलाएं अब कारोबार के क्षेत्र में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में अब उनकी भी भूमिका महत्वपूर्ण हो चुकी है। बैंक अब महिलाओं को वैभव लक्ष्मीव, सिंड महिला शक्ति, मुद्रा स्की म जैसी तमाम स्कीकमों पर सस्तीर दरों पर लोन दे रही हैं। इन योजनाओं को वुमन स्पेशल स्कीम्सी के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा कई महत्चपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
ऐसी कई योजनाओं को तो सिर्फ महिलाओं के लिए ही लागू किया गया है। अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए नई मशीनरी या इक्विपमेंट लेने से लेकर नए बाज़ारों में पहुंच बनाने तक, ऐसी सभी बिज़नेस महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए महिलाओं को इन सरकारी स्कीमो के माध्यम से 30 लाख रुपए तक के लोन दिए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि भारत में ईएमआई पर लोन लेने का ट्रेंड भी बढ़ता जा रहा है। जेस्टमनी का ही सर्वे बताता है कि टियर-3 शहरों में बीते एक साल में ईएमआई पर लोन लेने के चलन में एक हजार प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इस ग्रोथ ने टियर-1 और टियर-2 श्रेणी के महानगरों की संयुक्त ग्रोथ को पीछे छोड़ दिया है। अध्ययन से पता चला है कि वित्त वर्ष 2018-19 में टियर-3 शहरों के 46 फीसदी ग्राहकों ने ईएमआई पर कर्ज लिए, जबकि टियर-1 और टियर-2 शहरों में यह आंकड़ा 54 फीसदी रहा। यह सर्वे रिपोर्ट बताती है कि फिनटेक कंपनियों की भारत में पैठ लगातार बढ़ती जा रही है। इन कंपनियों से लोन लेने में देश के युवाओं, युवतियों का भी रुझान बढ़ रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेत्र में कारोबार कर रही मंहिलाओं के सशक्तीकरण के लिए मुद्रा स्कीीम चल रही है। इसके अंतर्गत बिना गारंटर के 50 हजार रुपए से 10 लाख रुपए तक के लोन का लाभ किसी भी बैंक से लिया जा सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा महिलाओं के लिए वैभव लक्ष्मीन स्कीम, विजया बैंक वी शक्ति स्कीम, सिंडिकेट बैंक सिंड महिला शक्ति स्कीम चला रहा है, तो एचडीएफसी बैंक महिला ग्राहकों को 'ईजी शॉप एडवांटेज कार्ड' के साथ लॉकर, कैश बैक, रिवॉर्ड प्वाइंट जैसी सुविधाएं दे रहा है।
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