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छोटे बच्चों को मजेदार तरीके से पढ़ाने के लिए गूगल ने लॉन्च किया नया ऐप

छोटे बच्चों को मजेदार तरीके से पढ़ाने के लिए गूगल ने लॉन्च किया नया ऐप

Thursday April 11, 2019 , 5 min Read

गूगल बोलो ऐप


पिछले महीने गूगल ने भारत में एक नया ऐप लॉन्च किया जिसका नाम है, 'बोलो'। यह एक स्पीच आधारित ट्यूर रीडिंग ऐप है जिसकी मदद से बच्चे आसानी से टेक्स्टबुक्स पढ़ सकेंगे। Google का कहना है कि यह पहला ऐसा ऐप है जिसकी मदद से देश में बच्चों के साक्षरता स्तर को बेहतर बनाने में मदद की जाएगी खासतौर पर इसका फायदा उत्तर भारत के ग्रामीण लोगों को मिलेगा जहां प्रमुख रूप से हिंदी बोली जाती है। गूगल बच्चों के अभिभावकों से इस ऐप को डाउनलोड करने का आग्रह कर रहा है ताकि बच्चों के पढ़ने के कौशल को बेहतर बनाया जा सके।


इसे छह साल से लेकर 12 साल के बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है और यह गूगल के स्पीच रिकॉगनिशन और टेक्स्ट-टू-स्पीच तकनीक द्वारा संचालित है। इसे मजेदार बनाने के लिए इसमें एक डिजिटल असिस्टेंट भी ऐड किया गया है जिसका नाम 'दिया' है। दिया बच्चों को अपनी आवाज में पढ़ाती है, समझाती है और उनकी सहायता करती है। वह शब्दों के अर्थ भी समझा सकती है। इससे बच्चों की पढ़ाई में माता-पिता का हस्तक्षेप नहीं रहता। दिया हर कदम पर बच्चों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती है।


गूगल के बोलो ऐप पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री फ्री है और इसे स्टोरीवीवर से लिया गया है। इसमें 50 कहानियां हिंदी में और अंग्रेजी में 40 कहानिया हैं। गूगल अपने अन्य पार्टनर्स की सहायता से इस प्लेटफॉर्म पर और सामग्री मुहैया कराने पर काम कर रहा है। इसमें बच्चे जैसे-जैसे अगले चरण में जाते हैं वैसे ही कठिननाई का स्तर बढ़ता जाता है। ऐप की मदद से बच्चे गेम और क्विज भी खेल सकते हैं जिसकी उनकी पढ़ाई और बेहतर होती है।


इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर में जुड़े अभी एक महीने ही हुआ है और इस एक महीने में इसे 100,000 से अधिक लोगों ने डाउनलोड कर लिया है। इसे लोगों का इतना सकारात्मक रिस्पॉन्स मिला कि इसकी रेटिंग 5 में से 5 है। हालांकि अभी यह ऐप केवल गूगल के एंड्रॉयड प्लेस्टोर पर है जिसे किटकैट ऑपरेटिंग सिस्टम और उससे ऊपर के वर्जन में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।


गूगल की तरफ से कहा गया है कि यह ऐप अभी सिर्फ हिंदी बोलने और समझने वालों के लिए लॉन्च किया गया है लेकिन आने वाले समय में इसे अन्य भारतीय भाषाओं में लाने की कोशिश की जाएगी। आइए देखते हैं कि ऐप कैसे कामम करता है।


बोलो को सबसे पहले ऑडियो परमिशन की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह प्राथमिक तौर पर वॉइस इनपुट पर काम करता है।


अगला पेज माता-पिता के लिए है, जो उन्हें ऐप की गोपनीयता नीतियों की जानकारी देता है। जारी रखने के लिए ‘I Agree’ पर क्लिक करें। (डिफ़ॉल्ट रूप से, यह पृष्ठ हिंदी पाठ के साथ खुलता है। लेकिन आप अगले पृष्ठ पर अंग्रेज़ी में स्विच कर सकते हैं।)



मुखपृष्ठ आपको दिन के पाठ या 'आज की पढाई' तक ले जाता है। इस पृष्ठ पर जाते ही आप दिया की आवाज़ सुन सकते हैं। वह अनुमानित समय पढ़ने की घोषणा करती है: 10 मिनट या उससे कम।



अब आप स्क्रॉल करते हुए कहानियां सेलेक्ट कर सकती हैं। अगर आप अंग्रेजी में कहानी पढ़ना चाहते हैं तो ऊपर दिख हे 'A'बटन पर क्लिक करें और अगर आप हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो 'अ' पर आपको टैप करना होगा।


आप चाहें तो कहानियों को लाइब्रेरी में सेव कर सकते हैं। आप इन्हें ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं। 


स्टोरी पर क्लिक करें और पढ़ना शुरू करें।



आप जिस वाक्य को पढ़ेंगे वह हरे रंग में बदल जाएगा। अगर आप किसी शब्द को छोड़ देंगे तो उसका रंग काला हो जाएगा।


आप किसी भी शब्द पर टैप करके दिया की मदद ले सकते हैं। वह आपको शब्द को पढ़ कर भी बताएगी और उसका मतलब भी बताएगी। कहानी पढ़ने के बाद आपको इनाम भी मिलेगा।


हर पाठ एक शब्द के खेल के साथ समाप्त होता है, जो बच्चों को अपनी वर्तनी सुधारने में मदद करता है।


हर पाठ के अंत में 'बोलो' ऐप आपको नंबर देता है। गूगल का कहना है कि इससे बच्चे आगे के पाठ पढ़ने के लिए प्रेरित होंगे।

प्रत्येक पाठ के अंत में, बोलो एक अंक प्रदर्शित करता है - एकत्र किए गए अंकों की संख्या। Google का कहना है कि यह बच्चों को दैनिक पाठ लेने के लिए प्रेरित रखने के लिए है।


आखिरी टैब में इनामों की लिस्ट है। यहां पर आपके बैज और आपके इकट्ठा किए गए पुरस्कारों की लिस्ट होगी।



अगर माता पिता चाहें तो देख सकते हैं कि उनका बच्चा कितना और कैसे पढ़ रहा है।


भारत में साक्षरता की दर बहुत अच्छी नहीं है। गैरलाभकारी संगठन 'असर' द्वारा दारी एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत के राज्य द्वारा संचालित स्कूलों में पांचवी कक्षा के आधे से अधिक बच्चे दूसरी कक्षा की किताबें नहीं पढ़ पाते हैं।


Google का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में, उसने उत्तरी भारत के 200 गाँवों में ऐसे स्कूलों में 'बोलो ऐप' का संचालन किया है। शुरुआती परिणाम बहुत उत्साहजनक हैं, और हमने पाया कि 64 प्रतिशत बच्चों ने केवल तीन महीनों में बच्चों के स्तर में काफी सुधार आया है। इस तरह से देखें तो बोलो ऐप ग्रामीण भारत में शिक्षा व्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की ओर अग्रसर है।


इस ऐप्लिकेशन की एक खास बात और यह है कि इसमें ग्राफीक कार्ड्स, रंगीन चित्र बड़े फॉन्ट और आकर्षक संगीत का इस्तेमाल किया गया है। इसे 10 साल की अधिक आयु वाले बच्चे बिनना किसी मार्गदर्शन के आसानी से उपयोग कर सकते हैं।


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