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देश को आत्मनिर्भर बनाने के क्रम में, भारत सरकार ने अगरबत्ती बनाने के लिए कारीगरों के समर्थन में किया विस्तार

पहले के 200 के बदले अब अगरबत्ती बनाने की 400 स्वचालित मशीनें उपलब्ध कराई जायेंगी। लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से 5000 कारीगरों को लाभान्वित करने के लिए एसपीयूआरटीआई के तहत 10 क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे। हाथ से अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों और प्रवासी श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।

देश को आत्मनिर्भर बनाने के क्रम में, भारत सरकार ने अगरबत्ती बनाने के लिए कारीगरों के समर्थन में किया विस्तार

Monday September 07, 2020 , 3 min Read

समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए और हितधारकों की रुचि को देखते हुए, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) ने अगरबत्ती बनाने में शामिल कारीगरों और अगरबत्ती उद्योग के लिए पहुंच और समर्थन का विस्तार किया है। इसके लिए मंत्रालय ने 4 सितंबर, 2020 को नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।


इस उद्योग के लिए 30 जुलाई 2020 को समर्थन कार्यक्रम शुरू करने के बाद मंत्रालय ने सिर्फ अगरबत्ती बनाने के लिए मशीनों की आपूर्ति करने पर ही नहीं, बल्कि उद्योग के सभी पहलुओं पर ध्यान दिया है। इनमें इनपुट और कच्चे माल की आपूर्ति और मांग को सुनिश्चित करना शामिल है। अगरबत्ती की मांग पिछले एक साल में बहुत बढ़ गई है।


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फोटो साभार: ExportersIndia


नए कार्यक्रम के चार प्रमुख स्तंभ हैं –


 i) प्रशिक्षण, कच्चे माल, विपणन और वित्तीय सहायता के माध्यम से कारीगरों को लगातार समर्थन देना;


ii) इस उत्पाद के सभी पहलुओं पर काम करना, जैसे सुगंध और पैकेजिंग में नवाचार, नए / वैकल्पिक कच्चे माल का उपयोग, जैसे फूल का फिर से उपयोग, कॉयर पिथ आदि, कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर बांस की आपूर्ति आदि। इस उद्देश्य के लिए एफएफडीसी (फूल और सुगंध विकास केंद्र) कन्नौज में 'उत्कृष्टता केंद्र' स्थापित किया जा रहा है;


iii) एमएसएमई मंत्रालय की एसएफयूआरटीआई (पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए योजना) के तहत उचित विपणन व्यवस्था के साथ कुल 50 करोड़ रुपये की लागत से 10 क्लस्टर स्थापित करना। इससे 5000 कारीगरों को स्थायी रोजगार और बेहतर आय मिलने की उम्मीद है;


iv) आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए देश में मशीन निर्माण क्षमता को मजबूत करना और 2.20 करोड़ रुपये की लागत से आईआईटी / एनआईटी के साथ मिलकर 'उत्कृष्टता केंद्र' स्थापित करना तथा विभिन्न उत्पादों का विकास करना।


4 सितंबर को घोषित कार्यक्रम के तहत, देश भर में 20 पायलट परियोजनाओं के माध्यम से 400 स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीनें और अतिरिक्त 500 पेडल संचालित मशीनें 'स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)' और व्यक्तियों को वितरित की जाएंगी और उनके लिए कच्चे माल की आपूर्ति और उचित विपणन सुविधा भी सुनिश्चित की जायेगी। इस कार्यक्रम से लगभग 1500 कारीगरों को तत्काल लाभ होगा, उन्हें स्थायी रोजगार मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। कार्यक्रम के तहत हाथ से अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों और प्रवासी श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।


देश को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए, कार्यक्रम के कुल आकार को बढ़ाकर 55 करोड़ रुपये से अधिक का कर दिया गया है। लगभग 1500 कारीगरों को कुल 3.45 करोड़ रुपये का तत्काल समर्थन दिया जायेगा, 2.20 करोड़ रुपये की लागत से दो उत्कृष्टता केंद्र आईआईटी / एनआईटी व एफएफडीसी, कन्नौज में स्थापित किये जायेंगे और लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से 10 नए एसपीयूआरटीआई क्लस्टर का निर्माण किया जायेगा, जिससे लगभग 5000 कारीगरों को लाभ मिलेगा। पहले कार्यक्रम का आकार 2.66 करोड़ रुपये का था, जिससे लगभग 500 कारीगरों को लाभ मिलने की उम्मीद थी।


एमएसएमई मंत्रालय के तहत वैधानिक संगठन, खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) कार्यक्रम को कार्यान्वित करेगा और उचित लिंकेज और आवश्यक समर्थन के साथ कारीगरों और एसएचजी को सहायता प्रदान करेगा।


ये परियोजनाएँ, अगरबत्ती उद्योग को बढ़ावा देंगी और अगरबत्ती निर्माण के सभी क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमता के निर्माण में मदद करेंगी। इससे निर्यात में वृद्धि होगी और कारीगरों तथा उद्यमियों के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।


(सौजन्य से- PIB_Delhi)