सरकार ने माना, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का बढ़ता प्रयोग साबित हो रहा घातक, लगातार बढ़ रही है ई-कचरे की मात्रा
सरकार ने सोमवार को स्वीकार किया संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के लगातार बढ़ते प्रयोग के साथ ही देश में ई कचरे की मात्रा में भी लगातार इजाफा हो रहा है।
नई दिल्ली, सरकार ने सोमवार को स्वीकार किया संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के लगातार बढ़ते प्रयोग के साथ ही देश में ई कचरे की मात्रा में भी लगातार इजाफा हो रहा है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2017-18 में ई अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत सूचीबद्ध 21 बिजली के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संबंध में 244 उत्पादकों की बिक्री के आंकड़ों के आधार पर ई कचरे के सृजन की अनुमानित मात्रा लगभग 708445 टन थी।
इसके अगले साल 2018-19 में 1168 उत्पादकों की बिक्री के आंकड़ों के आधार पर ई कचरे का उत्पादन बढ़कर 771215 टन हो गया।
ई कचरे के पुन: उपयोग के बारे में जावड़ेकर ने बताया कि केन्द्रीय नियंत्रण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार 2017-18 में 69414 मीट्रिक टन और वर्ष 2018-19 के दौरान 164663 मीट्रिक टन ई कचरे को एकत्रित कर विघटित और पुनर्चक्रित किया गया।
दिल्ली के आसपास के इलाकों में ई कचरे को जलाकर धातु निकालने के अवैध कारखानों से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मुहैया करायी गयी सूचना के हवाले से बताया कि गाजियाबाद जिला प्रशासन द्वारा ऐसी 80 अनधिकृत इकाईयों को हटाया गया। इन इकाइयों से जब्त किए गए ई कचरे को नगर पालिका परिषद, लोनी कार्यालय में रखा गया है।