सरकार ने की राष्ट्रिय वीरता पुरस्कार 2019 की घोषणा, एक बच्चे को मरणोपरांत मिलेगा अवार्ड
भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा राष्ट्रिय वीरता पुरस्कार 2019 के लिए बच्चों के नामों की घोषणा कर दी गई है। इस बार 10 लड़कियों और 12 लड़कों को यह अवार्ड दिया जाना है। अपने दोस्तों की जान बचाते हुए खुद मौत को गले लगाने वाल मोहम्मद मोहसिन को यह अवार्ड मरणोपरांत दिया जाएगा।
सरकार ने राष्ट्रिय वीरता पुरस्कार 2019 की घोषणा कर दी है। इस बार यह पुरस्कार 10 लड़कियों और 12 लड़कों को दिया जा रहा है। आईसीसीडबल्यू (इंडियन काउंसिल फॉर चिल्ड्रेन वेलफेयर) ने वीरता के लिए दिये जाने के वाले इन अवार्ड के लिए इस बच्चों के नामों की घोषणा की है।
राष्ट्रिय वीरता पुरस्कार हर साल 26 जनवरी यानाई गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या को बहादुर बच्चों को दिया जाता है। इस पुरस्कार के अंतर्गत इन बच्चों को एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि प्रदान की जाती है। पुरस्कार की शुरुआत ICCW यानी भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा 1957 में की गई थी। यह पुरस्कार जीतने वाले बच्चों को उनकी स्कूली पढ़ाई पूरी होने तक वित्तीय सहता भी उपलब्ध कराई जाती है। पुरस्कार 6 साल से 18 साल की आयु के बीच के बच्चों को दिया जाता है।
इस बार यह पुरस्कार एक बच्चे को मरणोपरांत दिया जाएगा। केरल के कोझिकोड़े में समुद्र में अपने तीन दोस्तों की जान बचाते हुए मोहम्मद मोहसिन की डूबने से मौत हो गई थी।
केरल के ही 15 साल के आदित्य कुमार को भारत अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। आदित्य ने सफर के दौरान बस में हुए हादसे में 40 लोगों की जान बचाई थी। यह हादसा तब हुआ जब बस में डीजल का रिसाव हो रहा था, आदित्य ने आनन फानन में हथौड़े की मदद से बस की खिड़कियों के काँच तोड़कर सभी को बस से बाहर निकालने में मदद की, जिसके फौरन बाद बस ने भीषण आग पकड़ ली थी।
ICCW इस बार 5 विशेष तरह के अवार्ड दे रहा है, जिनमें आईसीसीडबल्यू मार्कन्डेय अवार्ड, आईसीसीडबल्यू ध्रुव अवार्ड, आईसीसीडबल्यू अभिमन्यु अवार्ड, आईसीसीडबल्यू प्रह्लाद अवार्ड और आईसीसीडबल्यू श्रवण अवार्ड शामिल हैं।
अवार्ड जीतने वाले बच्चों में दो नाम जम्मू कश्मीर से भी शामिल हैं। एलओसी के पास रहने वाले सरताज मोहिउद्दीन मुगल ने पाकिस्तान की ओर से हो रही भीषण गोलीबारी के दौरान अपने परिवार को सकुशल बचाया था, हालांकि इस हमले में उनका घर पूरी तरह नष्ट हो गया था, वहीं बडगाम में एयरस्ट्राइक के दौरान मुदासिर अशरफ ने भारतीय वायु सेना की मदद की थी।