सरकार ने 31 अक्टूबर 2023 तक 1,14,902 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी
यह जानकारी लोकसभा में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने एक लिखित उत्तर में दी.
देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम में इनोवेशन, स्टार्टअप और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए सरकार द्वारा 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल आरंभ की गई थी. यह जानकारी लोकसभा में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने एक लिखित उत्तर में दी.
सरकार ने इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए स्टार्टअप्स के लिए एक कार्य योजना आरंभ की जिसमें देश में एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के लिए स्कीमों और प्रोत्साहनों की परिकल्पना की गई है. कार्य योजना में "सरलीकरण और आरंभिक सहायता", "वित्त पोषण सहायता और प्रोत्साहन" और "उद्योग-शिक्षा क्षेत्र भागीदारी और इनक्युबेशन" जैसे क्षेत्रों में फैले 19 कार्य मद शामिल हैं.
सरकार द्वारा स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत विशिष्ट उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम लागू किए जाते हैं. निरंतर प्रयासों के परिणाम स्वरूप, सरकार ने 31 अक्टूबर 2023 तक 1,14,902 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी है.
स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना के कार्य मदों को ध्यान में रखते हुए, सरकार स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत स्टार्टअप्स को उनके व्यवसाय चक्र के विभिन्न चरणों में सहायता देने के लिए जिससे कि स्टार्टअप उस स्तर तक पहुंच सकें जहां वे निवेश जुटाने या ऋण लेने में सक्षम हों, प्रमुख योजनाओं जैसे स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) और स्टार्टअप्स की सहायता के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS) को लागू कर रही है.
स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत कार्यान्वित तीन प्रमुख स्कीमों में से प्रत्येक का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है...
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम को 945 करोड़ रुपये की राशि के साथ 2021-22 से आरंभ होने वाले 4 वर्ष की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है. इस स्कीम का उद्देश्य अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. यह योजना 1 अप्रैल 2021 से कार्यान्वित की गई है. एसआईएसएफएस के तहत विशेषज्ञ सलाहकार समिति (ईएसी), एसआईएसएफएस के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिए उत्तरदायी है. स्कीम के तहत ईएसी धन के आवंटन के लिए इनक्यूबेटरों का मूल्यांकन और चयन करता है. स्कीम के प्रावधानों के अनुसार, चयनित इनक्यूबेटर स्कीम दिशानिर्देशों में उल्लिखित मापदंडों के आधार पर स्टार्टअप्स का चयन करते हैं.
स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS) स्कीम: स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स स्कीम को जून 2016 में 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ अनुमोदित और आरंभ किया गया था, जिसमें कार्यान्वयन की प्रगति के आधार पर 14वें और 15वें वित्त आयोग चक्र में योगदान दिया गया था जिससे कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को आवश्यक बढ़ावा दिया जा सके और घरेलू पूंजी तक पहुंच को सक्षम बनाए जा सके. यह स्कीम भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रचालित है. एफएफएस के तहत, यह स्कीम सीधे स्टार्टअप्स में निवेश नहीं करती है, बल्कि सेबी-पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) को पूंजी प्रदान करती है, जिन्हें डॉटर फंड के रूप में जाना जाता है, जो बदले में इक्विटी और इक्विटी-लिंक्ड उपकरणों के माध्यम से बढ़ते भारतीय स्टार्टअप में धन निवेश करते हैं. सिडबी को उपयुक्त डॉटर फंडों के चयन और प्रतिबद्ध पूंजी के संवितरण की देखरेख के माध्यम से इस फंड के प्रचालन का अधिदेश दिया गया है. एफएफएस के तहत समर्थित एआईएफ को स्टार्टअप्स में एफएफएस के तहत प्रतिबद्ध राशि का कम से कम 2 गुना निवेश करना आवश्यक है.
स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS): सरकार ने सेबी के तहत पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंडों के तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और वेंचर डेट फंड्स (वीडीएफ) द्वारा DPIIT मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को दिए गए ऋणों पर क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के लिए स्टार्टअप्स हेतु क्रेडिट गारंटी स्क्रीम की स्थापना की है. CGSS का उद्देश्य पात्र उधारकर्ताओं अर्थात DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को वित्तपोषित करने के लिए सदस्य संस्थानों (एमआई) द्वारा दिए गए ऋणों के विरुद्ध एक निर्दिष्ट सीमा तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करना है. CGSS का प्रचालन नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा किया जाता है.