सरकार ने लोहे और स्टील पर से हटाई कस्टम ड्यूटी, रियल एस्टेट सेक्टर ने किया स्वागत
हाल ही में वित्त मंत्रालय ने 11 लौह और इस्पात (Iron and Steel) प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क (Import Duty) घटाई है. इसके साथ ही कुछ स्टील प्रोडक्ट्स पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का ऐलान किया है.
स्टील प्रोडक्ट्स के घरेलू उत्पादन की लागत को कम करने के लिए, कोकिंग कोल और एन्थ्रेसाइट (उच्च ऊर्जा वाले कोयले) पर आयात शुल्क को 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जबकि कोक और सेमी-कोक पर इसे 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है. लौह और निकल (nickel) युक्त मिश्र धातु फेरोनिकल (ferronickel) पर आयात शुल्क 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है.
लौह और कुछ स्टील प्रोडक्ट्स की स्थानीय उपलब्धता बढ़ाने के लिए, एक आइटम पर निर्यात शुल्क बढ़ा दिया गया है और 10 अन्य वस्तुओं पर शुल्क नए सिरे से लगाया गया है. लौह अयस्क और सांद्र (concentrates) की सभी श्रेणियों पर शुल्क को बढ़ाकर 50% कर दिया गया है, जो 30% से अधिक है जो अब 58% से अधिक लौह सामग्री पर लागू होता है. लौह अयस्क पेलेट के मामले में, जिस पर वर्तमान में निर्यात शुल्क नहीं लगता है, उस पर 45% शुल्क लगाया गया है. लौह अयस्क और इस्पात मध्यवर्ती के नौ अन्य वर्गों के मामले में 15% निर्यात शुल्क लगाया गया है. इसमें लोहे या गैर-मिश्र धातु इस्पात के फ्लैट-रोल्ड प्रोडक्ट्स शामिल हैं.
प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के घरेलू उत्पादन की लागत को कम करने के लिए, नेफ्था पर आयात शुल्क को 2.5% से घटाकर 1% कर दिया गया है. फर्नीचर में फोम जैसी वस्तुओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्रोपलीन ऑक्साइड पर आयात शुल्क को आधा कर 2.5% कर दिया गया है. वेनाइल क्लोराइड के पॉलिमर पर आयात शुल्क 10% से घटाकर 7.5% कर दिया गया है.
गौरतलब हो कि सरकार ने शनिवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करने की घोषणा की थी. पेट्रोल पर ₹8 प्रति लीटर और डीजल पर ₹6 प्रति लीटर के केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी भी रविवार से प्रभावी है.
अलग से सरकार सीमेंट की उपलब्धता में सुधार के लिए भी कदम उठा रही है. सीमेंट की लागत कम करने के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स के जरिए ऐसा किया जा रहा है.
रियल एस्टेट ने किया स्वागत
सरकार द्वारा कुछ स्टील प्रोडक्ट्स पर निर्यात शुल्क लगाने, स्टील और प्लास्टिक के लिए चुनिंदा कच्चे माल पर आयात शुल्क कम करने और बेहतर लॉजिस्टिक्स के माध्यम से सीमेंट की आपूर्ति को बढ़ाने की मांग के एक दिन बाद, रियल एस्टेट विशेषज्ञों ने कहा कि यह 'सरकार ने सही समय पर ये निर्णय' लिए हैं. हाल के दिनों में स्टील, सीमेंट की इनपुट लागत में लगभग 40-45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे डेवलपर्स को कीमतों में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया गया है.
अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रियल एस्टेट डेवलपर्स ने कहा कि लौह और स्टील प्रोडक्ट्स के आयात शुल्क में कमी से घरेलू स्तर पर कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ेगी, स्टील प्रोडक्ट्स की कीमतों में कमी आएगी और परियोजनाओं की कीमतों में वृद्धि को रोकने में मदद मिलेगी.