GST काउंसिल मासिक GST पेमेंट फॉर्म में बदलाव पर करेगी विचार, बढ़ेंगे ई-इनवॉइसिंग पोर्टल भी
केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद (GST Council) की 47वीं बैठक 28-29 जून को होगी और इसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे. बैठक के दौरान राज्यों के क्षतिपूर्ति तंत्र और राजस्व की स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है.
इस बैठक में सरकार मासिक कर भुगतान फॉर्म (monthly tax payment form) ‘जीएसटीआर-3बी’ (GSTR-3B) में बदलाव करने संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. इसमें स्वत: बिक्री रिटर्न से संबंधित आपूर्ति आंकड़ें और कर भुगतान तालिका शामिल होगी जिसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा.
इस कदम से डुप्लीकेट बिलों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. दरअसल विक्रेता GSTR-1 में अधिक बिक्री दिखाते हैं जिससे खरीदार इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा कर सकें लेकिन GSTR-3B में कम बिक्री दिखाते हैं ताकि GST देनदारी कम रहे.
करदाताओं के लिए मौजूदा GSTR-3B में इनपुट टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट स्वत: तैयार होते हैं जो B2B (कंपनियों के बीच) आपूर्तियों पर आधारित होते हैं। इसमें GSTR-A और 3B में डिस्क्रेपेंसी पाए जाने पर उसे अंडरलाइन भी किया जाता है.
जीएसटी काउंसिल की लॉ कमेटी ने जिन परिवर्तनों का प्रस्ताव दिया है उनके मुताबिक GSTR-1 से मूल्यों की स्वत: गणना GSTR-3B में होगी और इस तरह करदाताओं और कर अधिकारियों के लिए यह और अधिक स्पष्ट हो जाएगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि इन बदलावों से GSTR-3B में उपयोगकर्ता की तरफ से जानकारी देने की आवश्यकता न्यूनतम रह जाएगी और GSTR-3B फाइलिंग की प्रक्रिया भी आसान होगी.
इसके अलावा, सरकार ई-इनवॉइसिंग (e-invoicing) रजिस्टर करने के लिए पोर्टलों की संख्या केवल एक से बढ़ाकर छह कर रही है.
ई-इनवॉइसिंग के दायरे का विस्तार करने के लिए पोर्टल नवीनतम कदम हैं - 2020 में ₹500 करोड़ के रेवेन्यू वाली कंपनियों के लिए इसे अनिवार्य बनाने के साथ, मानदंड अब ₹20 करोड़ रेवेन्यू वाले व्यवसायों के लिए है.
प्रवर्तन (enforcement) और अनुपालन (compliance) उपायों के परिणामस्वरूप बढ़ते टैक्स रेवेन्यू से लाभान्वित होने के बाद, सरकार अब अधिक मात्रा में लेनदेन की सुविधा के लिए ई-इनवॉइसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार कर रही है. क्योंकि इसका दायरा आगे बढ़ रहा है.
पिछले साल के आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि पात्र जीएसटी आइडेंटीफिकेशन नंबर (GSTINs) में से केवल आधे ही इनवॉइस तैयार कर रहे थे.
सिंगल ई-इनवॉइसिंग पोर्टल अब तक केंद्र के स्वामित्व वाले नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) द्वारा चलाया जाता है, जो अब एक और पोर्टल स्थापित करना चाहता है.
ट्रांसपोर्टेशन, इंश्योरेंस और बैंकिंग कंपनियों, दूसरे वित्तीय संस्थानों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, माल परिवहन एजेंसियों और यात्री परिवहन सेवाओं जैसे क्षेत्रों को ई-इनवॉइसिंग से छूट दी गई है. इसके अलावा, विशेष आर्थिक क्षेत्रों की इकाइयों को भी इससे छूट दी गई है.
गौरतलब हो कि लखनऊ में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि राज्यों को राजस्व की कमी के लिए मुआवजे का भुगतान करने की व्यवस्था अगले साल जून में समाप्त हो जाएगी.
देश में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को एक जुलाई 2017 से लागू किया गया था और राज्यों को जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान के एवज में पांच साल की अवधि के लिए क्षतिपूर्ति का आश्वासन दिया गया था.