फ्री स्टील बर्तन बैंक के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण से जंग लड़ रही है गुरुग्राम की यह केंद्रीय सरकारी कर्मचारी

फ्री स्टील बर्तन बैंक के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण से जंग लड़ रही है गुरुग्राम की यह केंद्रीय सरकारी कर्मचारी

Monday November 11, 2019,

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सिंगल यूज प्लास्टिक पर सरकार ने पूरी तरह रोक नहीं लगाने का फैसला किया है। ऐसे में सड़कों पर जमा होने वाला और नालियों को बंद करने वाला प्लास्टिक कचरा जल्द ही समाप्त होने वाला नहीं है। लेकिन, लोग प्लास्टिक उत्पादों, जैसे बैग, कटलरी और अन्य डिस्पोजेबल वस्तुओं के प्रति सचेत हुए हैं। प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए हालिया पहलों ने भी निश्चित रूप से देश भर में अपना प्रभाव छोड़ा है।


इसके अलावा प्लास्टिक के उपयोग में एक बड़ा बदलाव लाने के लिए, गुरुग्राम की एक केंद्र सरकार की कर्मचारी 45 वर्षीय समीरा सतीजा ने स्टील के बर्तन बैंक ( steel utensil bank) की स्थापना करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।


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समीरा सतीजा

चम्मच से लेकर प्लेटों तक, 'क्रॉकरी बैंक फॉर एवरीवन' के पास सभी प्रकार के बर्तन उपलब्ध हैं, और सामाजिक और धार्मिक समारोहों के लिए बड़े पैमाने पर जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। खास बात ये है कि यह बर्तन बैंक सब मुफ्त में प्रदान करता है।


जिस किसी को भी इन बर्तनों की जरूरत होती है तो उसे केवल इस पहल के फेसबुक पेज पर जाकर उन्हें एक मैसेज करने की जरूरत होती है। फिर वे सरकार द्वारा अप्रूव आईडी कार्ड दिखाकर बैंक से आवश्यक बर्तन हासिल कर सकते हैं। बैंक यूजर्स को उपयोग करने के बाद बर्तन धोने और सुखाने के लिए कहता है। बैंक उनसे कहता है कि इस्तेमाल करके बर्तनों को वापस दे जाएं।


समीरा ने 'गुड़गांव मॉम्स' से बात करते हुए कहा,

“किसी को अपने निवासी कल्याण संघ (RWA) या वार्ड के पार्षद द्वारा हस्ताक्षरित एक लिखित पत्र देना होगा, जिसमें क्रॉकरी आइटम की संख्या, तिथि, दिन आदि की जानकारी होगी, यदि उपरोक्त में से कोई भी संभव नहीं है, तो समूह से कोई भी दो सदस्य दो आईडी की कॉपी दे सकते हैं; एक प्रूफ आधार कार्ड जरूर होना चाहिए।”



स्टील के जरिए प्लास्टिक से बचाने का यह आइडिया समीरा को 22 जून, 2018 को आया, जब उन्होंने छबील (सिख धर्म में मुफ्त जल सेवा) में स्टील के गिलास और भंडारा (मुफ्त भोजन सेवा) में अपने समुदाय के समारोहों में केवल स्टील के गिलास परोसने शुरू किए। समय के साथ, समीरा की पहल ने अन्य समुदायों को शहर भर में बैंक की शाखाएं खोलने के लिए प्रेरित किया, जो समीरा जैसे नागरिकों द्वारा स्वेच्छा से चलाए जा रहे हैं।


जब Sheroes ने उनसे पूछा कि वह अपनी इस पहल के जरिए बर्तन फ्री में क्यों देती हैं, तो समीरा ने कहा,

“क्योंकि मैं अधिक से अधिक लोगों को बैंक का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहती हूं जहां उन्हें लगे कि वे इससे पैसे बचा रहे हैं और पर्यावरण को सुरक्षित कर रहे हैं। और इस मुफ्त सेवा को शुरू करने का मेरा कारण डिस्पोजेबल प्लास्टिक के उपयोग को कम करना है। अपनी शुरुआत के चार महीनों के भीतर, मैं डिस्पोजेबल प्लास्टिक की 1, 00, 000 वस्तुओं को बचाने में सक्षम रही हूं, और गुरुग्राम और दिल्ली में लगभग नौ शाखाएं स्थापित की गई हैं।”


समीरा के प्रयासों के अन्य सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं। क्योंकि समीरा बताती हैं कि जो लोग बर्तन उधार ले जाते हैं अब वे लोग भी अपने बर्तन उनकी बैंक के साथ जोड़ रहे हैं। इन बर्तनों को धोना एक बड़ी टास्क होती है, इसलिए इस युनिक बर्तन बैंक ने अपने बर्तनों को धोने के लिए कार्बनिक साबुन या रीठा पाउडर का उपयोग करने का विकल्प चुना है। वॉलेंटियर एक कदम आगे जाकर बर्तन धुलने के लिए वॉटर प्लांट्स द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट पानी का इस्तेमाल करते हैं।