रात में तिरंगा फहराने की आजादी... ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के लिए नियमों में ये बदलाव किए गए
'हर घर तिरंगा' अभियान की घोषणा के पहले से ही केंद्र सरकार ने नियम-कानूनों में ऐसे बदलाव करने शुरू कर दिए थे, जिससे कि इस अभियान को बड़े पैमाने पर सफल बनाने में मदद मिल सके.
आजादी की 75वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रही भारत सरकार ने 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की घोषणा की है. इसके तहत देशभर में 20 करोड़ राष्ट्रीय ध्वजों को बेचने और फहराने का लक्ष्य रखा गया है.
'हर घर तिरंगा' अभियान की घोषणा के पहले से ही केंद्र सरकार ने नियम-कानूनों में ऐसे बदलाव करने शुरू कर दिए थे, जिससे कि इस अभियान को बड़े पैमाने पर सफल बनाने में मदद मिल सके.
तिरंगे में मौजूद केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है, जबकि हरा रंग संपन्नता का प्रतीक होता है. अशोक चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है. तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था.
आइए हम आपको केंद्र सरकार द्वारा किए गए ऐसे बदलावों के बारे में बताते हैं, जिन्हें पिछले कुछ महीनों के अंदर किया गया है. हालांकि, इससे पहले हम आपको बताते हैं कि तिरंगे को फहराने के लिए दिशानिर्देश तय करने वाला फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 क्या कहता है?
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 क्या कहता है?
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 देश में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के यूज, डिस्प्ले और फहराने को नियंत्रित करता है. यह 26 जनवरी, 2002 को लागू हुआ, और इससे पहले राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित गतिविधियां प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 के प्रावधानों द्वारा संचालित होती थीं.
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 के अनुसार, किसी भी आम जनता, प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन या एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के सदस्य को ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुसार सभी दिनों और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति है.
कोड को तीन भागों में बांटा गया है. पहले भाग में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण दिया गया है. दूसरा भाग आम जनता, निजी संगठनों और अन्य संस्थानों के सदस्यों द्वारा ध्वज के प्रदर्शन के नियमों के बारे में बात करता है. तीसरे भाग में केंद्र और राज्य सरकारों, और उनके संगठनों/एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के डिस्प्ले के विवरण और नियम शामिल हैं.
इन नियमों का पालन अनिवार्य
1. तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए.
2. झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए. इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए.
3. अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.
4. झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है.
5. गाइडलाइन के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज के निस्तारण के दो तरीके हैं. एक दफन करना और दूसरा जलाना. बेहद गंदे या किसी कारण फट गए राष्ट्रीय ध्वज को दफन करने के लिए लकड़ी का ही बॉक्स लेना होगा. इसमें तिरंगे को सम्मानपूर्वक तह लगाकर रखना होगा. फिर बहुत ही साफ स्थल पर जमीन में दफन करना होगा. इसके बाद उस स्थान पर दो मिनट तक मौन खड़े रहना होगा.
6. दूसरा तरीका जलाने का है. इसके लिए साफ स्थान पर लकड़ी रखकर उसमें आग लगानी होगी. अग्नि के मध्य में इसे सम्मानपूर्वक तह लगाकर डालना होगा.
पहला बदलाव
हर घर तिरंगा अभियान को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर, 2021 को फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में पहला संशोधन किया था. फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 के तहत राष्ट्रीय ध्वज को बनाने के लिए केवल हाथ से काती या हाथ से बुनी हुई खादी का ही इस्तेमाल हो सकता था.
30 दिसंबर, 2021 को फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में संशोधन के बाद राष्ट्रीय ध्वज अब हाथ से काते और हाथ से बुने या मशीन से बने, कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम खादी बंटिंग से बनाया जा सकता है.
सरकार ने यह संशोधन इसलिए किया ताकि कम समय में बड़े पैमाने पर मशीन से तिंरगा बनाया जा सके और तिरंगे को बनाने में लगने वाली लागत को कम किया जा सके. बता दें कि, हाथ से बुनी हुई खादी की लागत बहुत अधिक आती है.
दूसरा बदलाव
हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने दूसरा बदलाव पिछले महीने जुलाई में किया. हाल ही में, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने बताया कि फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 को 20 जुलाई, 2022 को एक आदेश के माध्यम से एक और बार संशोधित किया गया है.
यह संशोधन मुख्य रूप से तिरंगे को सूर्यास्त के बाद भी फहराने की मंजूरी देने के लिए किया है. इस संशोधन के तहत राष्ट्रीय ध्वज को खुले में या आम जनता के घर पर दिन-रात कभी भी फहराया जा सकता है. इससे पहले, मौसम से प्रभावित हुए बिना तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी.
बदलावों का खादी उद्योग ने किया विरोध
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में संशोधन किए जाने का देशभर के खादी उद्योग से जुड़े संगठन विरोध कर रहे हैं. BIS द्वारा मंजूर झंडा बनाने वाली एकमात्र ईकाई कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि इस संशोधन से पूरा खादी सेक्टर प्रभावित होगा. मैसूर के खादी नुलुगरारा बालागा ने इसके विरोध में ध्वज सत्याग्रह करने का फैसला किया है.
YourStory से बात करते हुए कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग के सेक्रेटरी शिवानंद ने कहा कि पॉलिएस्टर से तिरंगा बनाने के लिए फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में बदलाव कर सरकार ने गलत किया है. उसमें साइज सही नहीं है, बीच में चक्र भी राउंड में नहीं है. इसके साथ ही ऊपर की स्टिचिंग भी ठीक ढंग से नहीं की गई है.
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हमारे यहां लाइन लगाकर लोग तिरंगा खरीद रहे हैं. लेकिन हमें डर है कि पॉलिएस्टर की मंजूरी जारी रही तो भविष्य में खादी उद्योग को नुकसान होगा. खादी में हाथ से तिरंगा बनता है इसलिए उसकी लागत अधिक आती है जबकि पॉलिएस्टर का तिरंगा मशीन से फैक्ट्री में बनेगा और साफ है की उसकी लागत कम आएगी. अगर राष्ट्रीय ध्वज तो पॉलिएस्टर में बनाने की मंजूरी दी जाएगी तो खादी का कौन इस्तेमाल करेगा. इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं.