Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

आखिर 1 जनवरी ही साल का पहला दिन क्यों होता हैं, जाने ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास

आखिर 1 जनवरी ही साल का पहला दिन क्यों होता हैं, जाने 
ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास

Saturday December 31, 2022 , 4 min Read

प्रत्येक वर्ष 01 जनवरी आने के साथ ही एक बहस छिड़ जाती है कि आज ही नया साल क्यों है? इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई? खासकर तब जब भारत में आज भी इस्तेमाल होने वाले विक्रम संवत, शक संवत जैसे पंचांग या कैलेंडर भी कई सदियों से प्रचलित हैं. तो ऐसा क्यूं है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) को समूचे विश्व में मान्यता प्राप्त है?

समय की गणना के लिए कैलेंडर का महत्व हज़ारों साल पहले ही मानव जाति ने समझ लिया था इसलिए सदियों से दुनियाभर में तमाम तरह के कैलेंडर माने जाते रहे हैं. दुनियाभर में कई देशों के जो अपने कैंलेंडर हैं उनमें नए वर्ष की शुरुआत फरवरी से अप्रैल के मध्य होती है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में 36 तरह के प्राचीन कैलेंडर वर्ष माने जाते हैं. हालांकि, इनमें से अधिकांश अब प्रचलन से बाहर हैं. भारत में विक्रम संवत, शक संवत, हिजरी सन और सप्तर्षि संवत आदि प्रचलित हैं.


वर्तमान ग्रिगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) की शुरुआत 438 साल पहले 15 अक्तूबर, 1582 को हुई थी. इस कैलेंडर को आखिरी बार पोप ग्रिगरी 13वें ने संशोधित किया था. ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार, क्रिसमस हर वर्ष 25 दिसंबर को निश्चित हो गया. जबकि 31 दिसंबर को साल का आखिरी दिन होता है और नया साल एक जनवरी को शुरू होता है.

रोमन कैलेंडर से जूलियन कैलेंडर

हजारों साल पहले रोमन कैलेंडर प्रचलित था लेकिन उसके बहुत जटिल होने के कारण, इटली (रोम) के जूलियस सिजर ने जूलियन कैलेंडर पेश किया.


जूलियन कैलेंडर का आधार यह ज्ञान था कि पृथ्वी सूरज का एक चक्कर लगाने में 365.25 दिनों का समय लेती है. इसी समय को एक वर्ष माना गया. जूलियन कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और आखरी फरवरी था.

जूलियन कैलेंडर की खामियां

असल में पृथ्वी सूरज की एक परिक्रमा 365.24219 दिनों में करती है. जूलियन कैलेंडर में एक वर्ष 365.25 दिनों की थी. लम्बे अंतराल में दोनों के डिफ़रेंस समय ध्यान देने योग्य हो जाता है. जूलियन कैलेंडर के इस्तेमाल से 128 वर्षों में एक दिन का अंतर आ गया. और यही मात्र 1 दिन लगभग 15 शताब्दियों बाद, सन 1500 आते-आते, 11 दिनों में तब्दील हो गए थे. यानी पृथ्वी हमारे हिसाब से 11 दिन आगे चली गयी थी. अगली कुछ शताब्दियों बाद समय में 1 महीने का अंतर पड़ जाता और यह बढ़ता ही जाता.

ग्रेगोरियन कैलेंडर की मान्यता

इसे ठीक करने के लिए रोम के 13वे पोप ग्रेगोरी ने यह आदेश दिया कि 4 अक्टूबर 1582 के बाद अगला दिन 15 अक्टूबर 1582 होगा. इस प्रकार एक ही दिन में पीछे से चली आ रही 11 दिनों की खामी हटा दी गयी. पोप के नाम पर इस कैलेंडर को 'ग्रेगोरियन कैलेंडर' कहा जाता है.

ग्रेगोरियन कैलेंडर क्या पूरी तरह सही है? 

सालों के अध्ययन से हम यह जानते हैं कि पृथ्वी सूरज की परिक्रमा लगभग 365.24219 दिनों में पूरा करती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर में लिया गया समय 365.2425 दिनों का है. ग्रेगोरियन कैलेंडर में एक वर्ष 365.2425 दिनों का माना गया है. इस प्रकार लगभग 3200 वर्षों बाद हमें एक दिन का अंतर दिखाई देगा. पर उस एक दिन को हम तब के समय से किसी वर्ष से लीप वर्ष हटाकर आसानी से संरेखित कर सकेंगे. ग्रेगोरियन कैलेंडर पूरी तरह से सही तो नहीं हैं लेकिन इसकी खामियों पर नज़र रख सही की जा सकती है.

भारत में यह कैलेंडर कब आया?

आज दुनिया के कोने कोने में स्वीकारा गया ग्रेगोरियन कैलेंडर को पूरी दुनिया ने एकसाथ नहीं अपनाया. बल्कि अलग-अलग देशों ने अलग-अलग समय में इस कैलेंडर को अपनाया.


भारत में ब्रिटेन ने 1752 में इस कैलेंडर को लागू किया और तब से आधिकारिक काम ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार किया जाता है.

 


Edited by Prerna Bhardwaj