बड़े शहरों में किराये में 2019 की तुलना में हुई 25-30 फीसदी की वृद्धि: रिपोर्ट
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सकारात्मक रुझानों के बावजूद, न्यूयॉर्क, लंदन, दुबई और सिंगापुर जैसे ग्लोबल रियल एस्टेट सेंटर की तुलना में भारत के हाउसिंग रेंट में काफी ज्यादा अंतर है.
2019 के बाद से प्रमुख शहरों के टॉप माइक्रो मार्केट में हाउसिंग रेंट में 25-30 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस बीच, 2019 के पूर्व-महामारी दौर की तुलना में देश के शीर्ष 8 शहरों की आवासीय संपत्तियों के औसत मासिक किराए में 15-20 फीसदी की तेज बढ़त देखने को मिली है. किराए में इस बढ़त ने किराये से होने वाली आमदनी में मामूली बढ़त की है. देश के अग्रणी रियल एस्टेट टेक प्लेटफॉर्म Housing.com की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सकारात्मक रुझानों के बावजूद, न्यूयॉर्क, लंदन, दुबई और सिंगापुर जैसे ग्लोबल रियल एस्टेट सेंटर की तुलना में भारत के हाउसिंग रेंट में काफी ज्यादा अंतर है.
Housing.com की हालिया रिपोर्ट ‘रेसीडेंसियल रेंट्स ऑन राइज! ए रिपोर्ट ऑन रेंटल प्रॉपर्टी इन इंडिया’ से पता चलता है कि देश में मासिक औसत किराए में हुई बढ़त कैपिटल वैल्यू में हुई बढ़त से ज्यादा रही है.
इस रिपोर्ट से पता चलता है शीर्ष शहरों में संपत्ति की कीमतों में 2019 के पूर्व-महामारी स्तर की तुलना में 15-20 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. वहीं, औसत मासिक किराये में 25-30 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. इस अवधि में सर्विस सेक्टर के अधिकता वाले प्रमुख शहरों में कुछ प्रमुख इलाकों में किराए में 30 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली है.
न केवल औसत किराया, बल्कि Housing.com IRIS इंडेक्स के मुताबिक महामारी के बाद घर किराए पर लेने की मांग में भी बढ़त हुई है. प्लेटफ़ॉर्म पर ऑनलाइन खोज गतिविधि को ट्रैक करके आगामी मांग का अनुमान लगाने वाले इस इंडेक्स से पता चलता है कि महामारी के बाद ऑनलाइन किराये की खोज गतिविधि, खरीदारी गतिविधि से ज्यादा रही है. वर्तमान में, किराए के लिए IRIS इंडेक्स, खरीद इंडेक्स से 23 अंक ज्यादा चल रहा है.
ध्रुव अग्रवाल, ग्रुप सीईओ, Housing.com, PropTiger.com & Makaan.com, ने कहा "महामारी के बाद, खरीदारी और किराये दोनों उद्देश्यों के लिए आवास की मांग में तेजी से सुधार हुआ है. लगभग एक दशक के ठहराव के बाद पिछले दो सालों में आवास बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. शहर के स्तर पर औसत मूल्य बढ़त मामूली रही है, लेकिन टॉप के शहरों के कुछ प्रमुख स्थानों में तेज बढ़त हुई है."
Housing.com की शोध प्रमुख अंकिता सूद ने कहा, "उच्च ब्याज दरों और अधिग्रहण लागत जैसे कारकों के कारण भारत में किराये का रिटर्न ऐतिहासिक रूप से ग्लोबल समकक्षों से कम रहा है. हालांकि, महामारी के बाद की तेजी, जिसमें संपत्ति के बढ़ते मूल्य, संभावित खरीदारों के लिए सामर्थ्य की चुनौतियों और तैयार इन्वेंट्री की सीमित आपूर्ति शामिल है, ने किराये की मांग में उल्लेखनीय बढ़त की है. हमें गुरुग्राम, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद जैसे सर्विस सेक्टर वाले बड़े शहरों के सीबीडी में 25-30 फीसदी की उल्लेखनीय बढ़त देखने को मिली है."
अंकिता सूद ने आगे कहा, "अगले 2-3 सालो में ही बाजार में नई तैयार आपूर्ति आने वाली है, हमें उम्मीद है कि किराये की मांग में तेजी बनी रहेगी. इस निरंतर बढ़त ने मध्य और दीर्घकालिक दोनों निवेशकों की रुचि को समान रूप से बढ़ाया है, जिससे किराये के बाजार में आशाजनक अवसरों के संकेत मिल रहे हैं."
Housing.com रिसर्च ने प्रमुख वैश्विक शहरों के साथ भारत के प्रमुख आवास बाजार में किराये के रिटर्न की तुलना करने के लिए प्राइस-टू-रेंट अनुपात की भी गणना की है. प्राइस-टू-रेंट अनुपात एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के भीतर औसत संपत्ति मूल्य को औसत वार्षिक किराया मूल्य से विभाजित करके निर्धारित किया जाता है.
कम प्राइस-टू-रेंट अनुपात का मतलब संपत्ति मालिकों के लिए हाई रेंट यील्ड या निवेश पर मिलने वाला रिटर्न है. यह अनुपात किसी संपत्ति को खरीदने की तुलना में किराए पर लेने की तुलनात्मक क्षमता का मूल्यांकन करने में मदद करता है.