Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

भारत में चिकनपॉक्स के टीकाकरण के 25 वर्ष कितने प्रभावी?

25 साल पहले जब से भारत में चिकनपॉक्स का टीका लगाने की शुरुआत हुई, तब से चिकनपॉक्स के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है. टीकाकरण से पहले 70 से 96 प्रतिशत भारतीय चिकनपॉक्स से संक्रमित हो चुके थे. बीते वर्षों में चिकनपॉक्स के टीकाकरण ने लाखों बच्चों को इसके संक्रमण से बचाया है.

भारत में चिकनपॉक्स के टीकाकरण के 25 वर्ष कितने प्रभावी?

Wednesday October 16, 2024 , 5 min Read

चिकनपॉक्स को अमूमन बच्चों को होने वाली एक असुविधाजनक बीमारी माना जाता है, जो ज्यादातर किसी के जीवन में बस एक बार होती ही है. ज्यादातर बच्चों को चिकनपॉक्स के कारण खुजली वाले लाल चकत्तों और बुखार का सामना करना पड़ता है. इससे उन्हें स्कूल से छुट्टी करनी पड़ती है और एक से दो हफ्ते तक खेलों-कूद से भी दूरी बनानी पड़ती है. हालांकि चिकनपॉक्स कभी-कभी सामान्य बीमारी से बड़ी साबित हो सकती है. इसके कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन, निमोनिया और इंसेफेलाइटिस होने का खतरा रहता है. कुछ मामलों में तो लक्षण ज्यादा गंभीर होने और अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति भी आ सकती है.

हालांकि 25 साल पहले जब से भारत में चिकनपॉक्स का टीका लगाने की शुरुआत हुई, तब से चिकनपॉक्स के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है. टीकाकरण से पहले 70 से 96 प्रतिशत भारतीय चिकनपॉक्स से संक्रमित हो चुके थे. बीते वर्षों में चिकनपॉक्स के टीकाकरण ने लाखों बच्चों को इसके संक्रमण से बचाया है.

चिकनपॉक्स वेरिसेला-जोस्टर वायरस के कारण होता है. यह वायरस काफी संक्रामक है, जो बहुत आसानी से एक से दूसरे बच्चे में फैलता है. भारत में चिकनपॉक्स से पीड़ित बच्चों को क्वारंटाइन नहीं किया जाता है और संक्रमण अक्सर उनके भाई-बहनों में फैल जाता है. हालांकि बड़े पैमाने पर ज्यादातर लोग यह नहीं जानते थे कि चिकनपॉक्स खतरनाक हो सकता है. यहां तक कि कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है. इतना ही नहीं, ठीक होने के बाद भी यह वायरस हमारी नर्व सेल्स में पड़ा रह सकता है और बड़ी उम्र में जब हमारी इम्युनिटी कमजोर होने लगती है, तब यह वायरस फिर से सक्रिय हो सकता है और ऐसे में शिंगल्स जैसी दर्दनाक नर्व डिसीज भी हो सकती है.

how-effective-is-chickenpox-vaccination-in-india-after-25-years

सांकेतिक चित्र (साभार: freepik)

पिछले 25 साल में चिकनपॉक्स के टीकाकरण को अपनाने की गति धीमी जरूर है, लेकिन सतत है. 2004-05 में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में टीकाकरण की कवरेज केवल 2.8 प्रतिशत थी, लेकिन अध्ययन बताते हैं कि 2015 में कुछ समुदायों में टीकाकरण बढ़कर 96 प्रतिशत पर पहुंच गया था. 2022 में हुए कुछ सामुदायिक अध्ययनों में सामने आया कि टीकाकरण की वजह से चिकनपॉक्स के कारण अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में 80 प्रतिशत तक की कमी आई है.

वैसे तो चिकनपॉक्स का टीकाकरण यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) का हिस्सा नहीं है, लेकिन बचाव के महत्वपूर्ण कदम के रूप में इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है. टीकाकरण से बीमारी और इसके कारण होने वाली जटिलताओं से बचने में मदद मिलती है. यह विशेषरूप से कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए या फिर ऐसे लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनमें गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा होता है.

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स बच्चों के लिए दो डोज वाले टीकाकरण की सिफारिश करती है, जिसमें पहली डोज 12 से 15 महीने की उम्र में और दूसरी डोज 4 से 6 साल की उम्र में लगाई जाती है. अध्ययन बताते हैं कि टीके की एक डोज इस बीमारी के सभी तरह के संक्रमणों से बचाने में 85 प्रतिशत तक प्रभावी है, जबकि दूसरी डोज से यह आकड़ा 92 से 98 प्रतिशत तक पहुंच जाता है.

चिकनपॉक्स के नए स्ट्रेन्स के प्रसार को देखते हुए बच्चों में, साथ ही ऐसे वयस्क जिन्होंने पहले टीका नहीं लिया है, उनके लिए चिकनपॉक्स का टीका लगवाना और भी जरूरी हो गया है. विशेषज्ञ अभी वायरस के नए स्ट्रेन्स के खतरे का आकलन कर रहे हैं, क्योंकि इनके कारण ऐसे लोगों में भी चिकनपॉक्स का खतरा है, जिन्हें पहले चिकनपॉक्स हो चुका है. इससे चिकनपॉक्स के मामले बढ़ सकते हैं. नए स्ट्रेन्स के प्रभाव को सीमित रखने और चिकनपॉक्स के खिलाफ लड़ाई में मिली जीत को गंवाने से बचने के लिए जरूरी है कि टीकाकरण की कवरेज को बढ़ाया जाए.

चिकनपॉक्स टीकाकरण से स्वास्थ्य को मिलने वाले सीधे लाभों के अतिरिक्त, इससे कुछ आर्थिक और सामाजिक लाभ भी देखने को मिले हैं. टीकाकरण से चिकनपॉक्स और इसके कारण होने वाली जटिलताओं के इलाज पर खर्च कम होता है, जिससे बचत होती है. इससे अस्पताल में भर्ती होने औऱ दवाओं पर होने वाला खर्च कम होता है. इसके कई सामाजिक प्रभाव भी हैं. टीकाकरण से बच्चों को संक्रमण के कारण बीमार होकर स्कूल से छुट्टी नहीं लेनी पड़ती है और माता-पिता भी निश्चिंत होकर अपने रोजमर्रा के काम आसानी से कर पाते हैं.

व्यापक टीकाकरण से सामुदायिक सुरक्षा या हर्ड इम्युनिटी में योगदान मिलता है, जिससे चिकनपॉक्स होने की आशंका कम होती है और ऐसे लोग भी बचते हैं, जो टीका लगवाने में सक्षम नहीं हैं या जिन्हें संक्रमण का ज्यादा खतरा है. चिकनपॉक्स के गंभीर मामलों के साथ-साथ बीमारी के प्रसार को रोकते हुए चिकनपॉक्स का टीकाकरण परिवारों और स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ने वाले स्वास्थ्य संबंधी और आर्थिक प्रभावों को कम कर सकता है.

माता-पिता को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को चिकनपॉक्स से बचाव के टीके की दोनों डोज लगें, जिससे सभी तरह के स्ट्रेन्स से अधिकतम सुरक्षा मिल सके. इससे न केवल प्रत्येक बच्चे को लाभ होगा, बल्कि इससे लगातार बढ़ने वाले संक्रमण की कड़ी भी टूटेगी और इस गंभीर वायरल डिसीज पर नियंत्रण होगा.

(feature image: AI generated)

यह भी पढ़ें
क्या आपको कोलेस्ट्रॉल के लिए व्यक्तिगत उपचार योजना की जरूरत है? जानें विशेषज्ञों की राय


Edited by रविकांत पारीक