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इंडिया में कैसे शुरू करें अपना ईकॉमर्स बिजनेस

बिल गेट्स ने एक बार कहा था, 'अगर आपका बिजनेस ऑनलाइन नहीं है तो वो बिजनेस से बाहर हो जाएगा.' इंडिया में अपना ईकॉमर्स बिजनेस शुरू करने की ये है प्रक्रिया.

इंडिया में कैसे शुरू करें अपना ईकॉमर्स बिजनेस

Thursday September 01, 2022 , 9 min Read

ईकॉमर्स इंडस्ट्री इन दिनों इंडियन इकॉनमी की बदलती धारा को लीड कर रही है. अगर आप भी प्रॉफिट की इस दुनिया में कदम रखना चाहते हैं तो ये आपके लिए बिल्कुल सही समय है. ऐमजॉन से लेकर फ्लिकार्ट, और स्नैपडील आज जहां पहुंच चुके हैं उसे देखकर कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ईकॉमर्स ही कल का भविष्य है. इन कंपनियों ने जिस तरह से ईकॉमर्स में मौजूद संभावनों को पहचाना और उसे भुनाया है आज उसी का नतीजा है कि ये तीनों कंपनियां इस मुकाम पर खड़ी हैं. फ्लिपकार्ट के को फाउंडर बिन्नी और सचिन बंसल ने एक बार कहा था, हम उस समय नबंर नहीं देख रहे थे, लेकिन हमें इतना जरूर मालूम था कि अगर मेहनत करते रहे तो ईकॉमर्स की बदलौत हम जरूर कुछ बड़ा कर सकते हैं.  

2017-18 के इकॉनमिक सर्वे के मुताबिक इंडिया में ईकॉमर्स मार्केट 33 अरब डॉलर होने का अनुमान लगाया गया है जो 2016-17 के मुकाबले 19.1 फीसदी अधिक है. नैसकॉम के स्ट्रैटजिक सर्वे, 2018 में ईकॉमर्स मार्केट 33 अरब डॉलर रहने का अनुमान दिया गया था लेकिन दावा है कि यह 38.5 अरब डॉलर पहुंच चुका है. ये नंबर इस बात की गवाही हैं कि इंडिया में ईकॉमर्स बिजनेस का जलवा रहने वाला है. अगर आप भी अपना ईकॉमर्स बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आपको नीचे बताए तरीकों से मदद मिल सकती है.

1. बिजनेस प्लान और मॉडल चुनें

सबसे पहले बहुत सोच समझकर दिमाग लगाकर एक ईकॉमर्स बिजनेस प्लान और बिजनेस मॉडल पर पहुंचना होगा. ईकॉमर्स के लिए दो तरह के बिजनेस मॉडल हैं. या तो आप सिंगल वेंडर मॉडल चुन सकते हैं या फिर मल्टी वेंडर ईकॉमर्स स्टोर के साथ शुरू कर सकते हैं. बजट के हिसाब से आप पहले या तो कोई एक प्रॉडक्ट बेचना शुरू कर सकते हैं या फिर प्रॉडक्ट्स की रेंज ला सकते हैं.

सिंगल वेंडर मार्केटप्लेस

इस कैटिगरी में दो ही लोग होते हैं. एक सेलर जो आपका प्रॉडक्ट बेचता है और दूसरा उसे खरीदने वाला. इस सिस्टम में दो एंटिटी होती हैं इसलिए ट्रांजैक्शन ट्रैक करना आसान होता है और लागत भी कम होती है. इनवेंट्री पर पूरी तरह आपका कंट्रोल होता है. 

मल्टी-वेंडर मार्केटप्लेस

इस मॉडल में आपके पास एक ही सामान को बेचने वाले कई वेंडर यानी दुकानदार होते हैं. सभी वेंडर्स आपकी साइट के साथ रजिस्टर होते हैं. इस सिस्टम का फायदा ये होता है कि अगर किसी एक वेंडर के पास प्रॉडक्ट न हो तो दूसरे वेंडर सप्लाई के लिए मौजूद रहते हैं.

इस तरह डिमांड बढ़ने पर भी आपको ऑर्डर मैनेज कर सकते हैं. सप्लाई चेन में दिक्कत नहीं आती. इस कैटिगरी में भी आप चाहें तो कोई इकलौता प्रॉडक्ट अपने ही ऑनलाइन स्टोर पर बेच सकते हैं और बाकी वेंडर्स को भी आपके प्लैटफॉर्म पर प्रॉडक्ट बेचने की मंजूरी दे सकते हैं. दूसरा अपने प्रॉडक्ट को किसी और प्लैटफॉर्म पर बेच सकते हैं. 

2. ब्रैंडिंग है जरूरी

प्रॉडक्ट, टारगेट ऑडियंस, और बिजनेस मॉडल चुनने के बाद अब आती है ब्रैंड बनाने की बारी. इसके लिए चाहिए होगा एक दमदार नाम. नाम छोटा और याद करने में आसान होना चाहिए. नाम में आपके ब्रैंड की झलक मिलनी चाहिए. नाम थोड़ा हटकर हो, किसी और भाषा में उसके कोई और मायने न निकलते हों. कंपनी के लोगो के लिए एक डिजाइन भी तैयार कर लें.

brand

इन सबके बाद आता है कंपनी की कैटिगरी चुनने का काम. इंडिया में अमूमन चार तरह की कंपनियां होती हैं. 

  • सोल प्रॉप्राइटरशिप
  • वन पर्सन कंपनी 
  • लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP)
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी

कंपनी अकेले चलाना चाहते हैं या पार्टनरशिप में चलाना चाहते हैं उस आधार पर आप कैटिगरी चुन लें. अगर कॉरपोरेट या पार्टनरशिप वाली कैटिगरी चुनी है तो टैक्स रिटर्न भरना होगा. एक टैक्स आईडी नंबर भी लेना होगा. अगर ऑनलाइन मॉडल के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो एंप्लॉयर आईडेंटिफिकेशन नंबर चाहिए होगा. इस नंबर के साथ आप अपना बिजनेस बैंक अकाउंट खोल सकते हैं और उसी आधार पर बिजनेस टैक्स देना होगा.

EIN आपके बिजनेस की आईडी की तरह काम करता है और यह हर बिजनेस के लिए अलग होता है. अगर आपने अकेले बिजनेस चलाने का फैसला किया है तो आपको टैक्स आईडी नंबर लेने की जरूरत नहीं होगी. आप उसकी जगह सोशल सिक्योरिटी नंबर इस्तेमाल कर सकते हैं.

3. ईकॉमर्स बिजनेस रजिस्ट्रेशन

registration

ईकॉमर्स बिजनेस का अगला स्टेप है रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, और सभी कानूनी काम पूरे करना. 

  • डायरेक्टर्स आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN)के लिए अप्लाई करें, जिसे मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स की साइट से डाउनलोड करके भर सकते हैं. आप जरूरी कागजात अटैच और अपलोड करके भी DIN के लिए अप्लाई कर सकते हैं. 
  • पैन कार्ड और डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट दोनों तैयार रखें. 
  • DIN मिलने के बाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के पास अप्लाई करके ये चेक कर सकते हैं कि आपने जो नाम चुना है उस नाम की कोई और कंपनी पहले से तो नहीं. मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स पर भी इसे चेक कर सकते हैं.
  • नाम पर कनफर्मेशन मिलने के बाद छह महीने के अंदर आपको कंपनी शुरू करनी होगी. बाद में नाम बदलने का मन करे तो कुछ फीस देकर नाम बदला जा सकता है.
  • जीएसटी सर्टिफिकेशन, शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट लाइसेंस, और प्रोफेशनल टैक्स के लिए अप्लाई करें. 
  • प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन के पास पीएफ खाता खुलवाएं. मेडिकल इंश्योरेंस के लिए एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के पास अप्लाई करें. 
  • इन सबके बाद आखिर में कंपनी के इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करें जिसके तहत आपकी एंटिटी को कंपनी एक्ट, 2013 के तहत रजिस्टर किया जाएगा. 

4.बैंक अकाउंट खुलवाएं

कंपनी रजिस्टर होने के बाद उसके लिए बैंक अकाउंट खुलवाएं. खाता किसी भी बैंक में खुल सकता है मगर खुलेगा कंपनी के नाम पर ही. अगर बिजनेस के लिए प्रॉप्राइटरशिप मॉडल चुना है तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसकी मदद से ही आप अपने ऑनलाइन बिजनेस के नाम पर बैंक में अकाउंट खुलवा पाएंगे. खाता बन जाने के बाद आप अपनी साइट पर प्रॉडक्ट्स को लिस्ट कर सकते हैं. 

5.वेबसाइट भी चाहिए

आप चाहें तो बनी बनाई टेंप्लेट को चुन सकते हैं, या फिर एक-एक हिस्सा खुद की पसंद से डिजाइन करवा सकते हैं. दोनों के अपने फायदे होते हैं. लेकिन वेबसाइट की सारी चीजें अलग- अलग अपनी पसंद के हिसाब से बनाना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. 

प्री-बिल्ट टेंप्लेट चाहिए तो वर्डप्रेस या विक्स जैसे प्लैटफॉर्म पर जा सकते हैं. साइट का हर हिस्सा अपनी पसंद से बनाना चाहते हैं तो WooCommerce, Magento, Shopify, Zepo और KartRocket जैसे प्लैटफॉर्म पर जा सकते हैं.

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इन बातों पर भी ध्यान दें

  • तय कर लें कि वेबसाइट खुद होस्ट करना चाहते हैं या किसी प्रोफेशनल के जिम्मे छोड़ना चाहते हैंं. 
  • हर दिन आपकी सर्विस या आपके सामान के बारे में पोस्ट या फिर पिक्चर्स जरूर अपलोड हों. 

6. पेमेंट गेटवे

ऑनलाइन बिजनेस प्रॉफिटेबल होने के लिए आपका पेमेंट गेटवे तगड़ा होना चाहिए. क्योंकि यहीं से आपके सभी तरह के ट्रांजैक्शन होंगे. साइट के लिए पेमेंट गेटवे चलाने के लिए आपको ये कागज जमा कराने होंगे-

  • बिजनेस के नाम पर बना बैंक अकाउंट
  • बिजनेस का पैन कार्ड
  • इनकॉरपोरेशन का सर्टिफिकेट 
  • मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन 
  • आर्टिकल्स ऑफ असोसिएशन 
  • आईडी प्रूफ 
  • अड्रेस प्रूफ
  • किस काम के लिए पेमेंट गेटवे चाहिए
  • वेबसाइट की प्राइवेसी पॉलिसी

इन जानकारियों को देने के बाद आपको आपके ऑनलाइन बिजनेस के लिए पेमेंट गेटवे मिल जाएगा. अमूमन कंपनियां PayPal, PayU और RazorPay का इस्तेमाल करती हैं. 

7. लॉजिस्टिक्स

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एक ऑनलाइन बिजनेस को सफल बनाने में लॉजिस्टिक्स का बहुत बड़ा रोल होता है. लॉजिस्टिक्स के अदंर कस्टमर को ऑर्डर पैक करके भेजना या फिर मर्चेंट्स को इनवेंट्री भेजना. जब तक आपका सामान पहुंच नहीं जाता तब तक आपको सामान का स्टेटस भी ट्रैक करना होता है. इससे आप सामान को खोने से बचा सकते हैं. कस्टमर को ऑर्डर का स्टेटस भी अपडेट कर सकते हैं. लॉजिस्टिक मैनेजमेंट के अंदर आपको डिस्ट्रीब्यूटर कंपनियों को पहचानना होता है जो आपका सामान पहुंचा सकें. ज्यादातर ईकॉमर्स बिजनेस किसी ऐसी कंपनी को हायर करते हैं जो ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज के बिजनेस में हैं.

8. वेबसाइट पर ट्रैफिक कैसे लाएं 

वॉलमार्ट के पूर्व सीईओ जोल एंडरसन कहते हैं, सिर्फ वेबसाइट खोलकर ये नहीं उम्मीद कर सकते कि आपकी साइट पर लोग खुद अब खुद भागे चले आएंगे. अगर आप सच में सफल होना चाहते हैं तो आपको साइट पर ट्रैफिक लाना ही होगा.

SEO मार्केटिंग

सर्च इंजन ऑप्टमाइजेशन (SEO) इस समय पूरी दुनिया में सबसे पॉपुलर मार्केटिंग स्ट्रैटजी है.  SEO मार्केटिंग ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स को आपकी साइट पर ला सकती है. यह आपको सर्च इंजन मैप पर टॉप पर लाता है. डेटा के मुताबिक 44 फीसदी ऑनलाइन खरीदार कुछ खरीदने के लिए सबसे पहले सर्च इंजन पर ही पहुंचते हैं. इसलिए आपको सर्च रिजल्ट में टॉप पर आना ही होगा. 

सही कीवर्ड चुनें 

रिपोर्ट की मानें तो एक मिनट में गूगल पर करीबन 7 लाख सर्च होते हैं. इसमें आपकी साइट भी दिखाई पड़े इसके लिए आपको टारगेटेड कीवर्ड की लिस्ट तैयार रखनी होगी. 

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ऐडवर्टाइजमेंट 

कस्टमर का ध्यान खींचने के लिए विज्ञापन सबसे कारीगर और पुराना तरीका रहे हैं. फेसबुक, इंस्टाग्राम को पैसे देकर आप अपने बिजनेस का ऐड चला सकते हैं. 

रिटार्गेटिंग 

कई बार ऐसा होता है कि यूजर आपकी साइट पर आता है और बिना कुछ खरीदे चला जाता है. रिटार्गेटिंग में ऐसे यूजर्स के कम्प्यूटर में कूकीज डाल दी जाती हैं. ऐसे में वो यूजर जब भी कोई वेबसाइट चलाता है वहां उसे आपकी साइट का ऐड नजर आएगा. वैसे तो ये थोड़ा महंगा रास्ता है मगर इसके फायदे भी देखे गए हैं.

वर्ड ऑफ माउथ 

अगर आपके पास विज्ञापन जैसी चीजों में लगाने के लिए पैसे नहीं हैं तो आप वर्ड ऑफ माउथ टेकनीक पर खेल सकते हैं. आप कस्टमर्स को आपके ब्रैंड को अपने दोस्तों, साथी, रिश्तेदारों को सुझाने को भी कह सकते हैं. प्रोफेशनल ब्लॉगर्स के साथ टाइअप करके भी प्रॉडक्ट या सर्विस रिव्यू करने को कह सकते हैं. उनके रिव्यू की मदद से आपके प्रॉडक्ट के बारे में यूजर्स के मन में भरोसेमेंद राय बन सकेगी. 

कुल मिलाकर कहें तो इंडिया में खासकर ऑनलाइन बिजनेस शुरू करने का इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता. लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह समझ लें कि सारे दिन एक जैसे नहीं होने वाले. रिजस्ट्रेशन और लीगल प्रक्रिया में आपको कई दिक्कतें आ सकती हैं. एक बार इस प्रक्रिया को झेल जाएंगे तो आपके बिजनेस को पहचान मिल जाएगी. इसके बाद आपका सामना होगा आपके जैसे प्रतिद्वंदियों से जहां आप कई बार खुद को डगमगाता हुआ महसूस करेंगे लेकिन आपको हार नहीं माननी है और अपने विजन पर टिके रहना है.

(Translated & Edited By- Upasana)