आज के HR टेक वर्ल्ड में 'ह्यूमन' एलीमेंट ला रहा है यह स्टार्टअप
मानव संसाधन अर्थात ह्यूमन रिसोर्स की दुनिया काफी विकसित हुई है और इसने तकनीकी तौर पर भी काफी तरक्की की है। ऐसे में मानव संसाधन तकनीक की दुनिया को एक मानवीय स्पर्श की आवश्यकता है। इसी को लेकर दो मित्र और अब सहकर्मी कार-पूलिंग के दौरान ठीक-ठीक चर्चा करते थे।
हम बात कर रहे हैं आशीष मनचंदा और रीति वी. श्रीवास्तव की। ये दोनों इस बात को लेकर काफी अश्चर्यचकित हुए कि केवल गूगल जैसे संगठन ही क्यों अपने हितधारकों के लिए अनुपातहीन मूल्य पैदा कर सकते हैं, जबकि अन्य संघर्ष करते रहते हैं। उन्होंने इस बारे में भी सोचा कि कैसे मूल्य और संस्कृति सिर्फ एक फैंसी ऑफिस, मुफ्त की चीजें, फ्लेक्सी टाइमिंग और मुफ्त के भोजन की तुलना में अधिक गहराई तक जा सकती है।
आशीष कहते हैं,
''हम जानते थे कि इसका सलूशन मौजूद है, लेकिन चुनौती अलग-अलग संगठनों को अलग नजरिए से देखने की थी और ये थी कि तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इसे कैसे हल किया जाए।''
आशीष का कहना है कि उनका एचआर टेक स्टार्टअप कल्चरो (Culturro) कंपनियों को और अधिक उत्पादक बनाने के व्यवसाय में है। इसका टेक प्लेटफॉर्म - अगन्या - न केवल वर्कफोर्स को सुनता है, बल्कि सीएक्सओ, एचआर प्रमुखों और लाइन मैनेजर्स के लिए एक्शन योग्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है।
प्लेटफॉर्म क्या करता है?
अगन्या (Agnya) वर्कफोर्स के एक्सपीरियंस और उसको चलाने वाले जिन्हें ड्राइवर्स कहते हैं, उनकी पहचान करता है और एक्शन लेने लायक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह डिजायर्ड वर्कप्लेस एक्सपीरियंस बनाने के लिए व्यक्तियों में बिहेवियर मोडिफिकेशन को भी इन्फ़्लूयन्स करता है। पोस्ट एक्शन, यह लगातार प्रगति की निगरानी करता है। संक्षेप में, अगन्या एंड एंप्लाई के लिए उपयोग करने के लिए सरल है और संगठन में किसी भी निर्णय लेने वाले के लिए तीन बुनियादी सवालों के जवाब देता है।
- मेरे कर्मचारी किस कार्यस्थल के अनुभव से गुजर रहे हैं? अच्छे और बुरे एरियाज को हाईलाइट कीजिए।
- यह मेरे लोगों की परफॉर्मेंस को कैसे प्रभावित कर रहा है?
- मैं समस्या को कैसे ठीक कर सकता हूं और परफॉर्मेंस को बढ़ा सकता हूं?
वरिष्ठ निर्णय लेने वालों को पूरे संगठन के लिए सुधारात्मक उपाय भी मिलते हैं।
वे कहते हैं,
“पीछे की ओर, हमारे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-बेस्ड एनएलपी बॉट कंपनी के वर्कप्लेस के अनुभव और उसके ड्राइवर्स के बारे में निरंतर दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। हम संगठन में प्रचलित अंतर्निहित भावनाओं को समझते हैं। हमारी मशीन लर्निंग (एमएल) एल्गोरिदम कंपनी की संस्कृति का एक दृश्य देते हुए मौजूद कर्मचारी उत्पादकता स्तरों को मापता है। हम इसे भरोसेमंद बेंचमार्क के साथ तुलना करने में सक्षम हैं और जनसांख्यिकी के क्षेत्र में समस्या क्षेत्रों को इंगित करने के लिए माइक्रो लेवल तक ड्रिल करते हैं।"
वह कहते हैं,
"पावरफुल रिकमंडेशन इंजन लोगों के व्यवहार, प्रक्रियाओं, नीतियों और तदर्थ पहलों में परिवर्तन शुरू करने के लिए कार्रवाई योग्य सुझाव प्रदान करता है। ये वे जानकारियां हैं जिनके आधार पर हम कर्मचारियों के लिए वर्कप्लेस के अनुभव को सही करने और बनाए रखने के लिए रिकमंडेशन और बिहेवियर मोडिफिकेशन ट्रिगर प्रदान करते हैं और फिर लाइफटाइम वैल्यू (LTV) में वृद्धि करते हैं।"
आशीष का कहना है कि ज्यादातर संगठन चीजों को अपने एक खास तरीके से कर रहे थे। इसलिए, टीम ने कुछ चुनिंदा ग्राहकों के साथ काम करना शुरू किया, जिससे केस स्टडी बनाने में मदद मिली। 2017 में गुरुग्राम में तीन लोगों के साथ शुरू हुई कल्चरो, अब सात लोगों की टीम है। आशीष जहां एचईसी पेरिस से एमबीए हैं, वहीं रिती पुणे विश्वविद्यालय से एमबीए हैं।
बाजार
आज, एचआर टेक में तेज ग्रोथ देखी जा रही है। स्किलेट, डॉकबेल, जिम्यो जैसे कई स्टार्टअप हैं जो पीपल मैनेजमेंट देख रहे हैं। पीपल मैटर्स टेकएचआर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है, "जहां एचआर में टेक्नोलॉजी को अपनाना भारतीय कंपनियों के बीच बढ़ रहा है, वहीं उच्च क्षमता वाले व्यक्तियों, सक्सेसन प्लानिंग और स्ट्रेटजी वर्कफोर्स मैनेजमेंट की पहचान जैसे महत्वपूर्ण मानव संसाधन कार्यों में स्वचालन का स्तर काफी कम है।"
अध्ययन में यह भी पाया गया कि जहां तकनीक अपनाने का प्रचलन है और 70 प्रतिशत कंपनियों के पास एचआर प्रक्रियाओं में कुछ स्तर का स्वचालन (ऑटोमेशन) है, वहीं यह उच्च संभावित कर्मचारियों (HiPos) की पहचान और प्रोत्साहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कम है। HiPo (High Potential) मैनेजमेंट में, केवल 23 प्रतिशत भारतीय कंपनियों ने आधे से अधिक मानव संसाधन कार्यों को स्वचालित किया है।
नंबर और ग्रोथ
अपनी स्थापना के बाद से, कल्चरो ने टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग, कंसल्टिंग और सर्विस सेक्टर में आठ ग्राहकों के साथ काम किया है। वे कहते हैं,
“हमारे फुल-टाइम क्लाइंट्स के अलावा, हम वर्तमान में फिनटेक, डिजिटल मार्केटिंग और ईकॉमर्स क्षेत्रों में क्लाइंट्स के लिए पायलट चला रहे हैं। हमने अगस्त 2017 में अपने 15,000 रुपये के पहले चेक के साथ पैसे कमाना शुरू किया। तब से, हमारे राजस्व में लगातार वृद्धि हुई है और हमने हाल ही में प्रति माह 3.5 लाख रुपये का एमआरआर हिट किया है।"
आशीष कहते हैं कि हमारी वर्तमान पाइपलाइन, कुल 5,000 कर्मचारियों की है, जो हमें प्रति माह 10-12 लाख रुपये के एमआरआर तक ले जाने के लिए तैयार है, जो 3 गुना वृद्धि में तब्दील हो जाएगा। राजस्व मॉडल विशुद्ध रूप से SaaS है, जिसकी कीमत प्रति यूजर्स, प्रति माह के आधार पर तय की जाती है। मूल्य निर्धारण आवश्यक सुविधाओं, कॉन्ट्रैक्ट की अवधि, कर्मचारियों की संख्या आदि पर आधारित है, लेकिन सामान्य तौर पर, यह प्रति माह 400-800 रुपये प्रति कर्मचारी है।
भविष्य की योजनाएं
कुछ निश्चित एड-ऑन सर्विसेस हैं जो कल्चरो क्लाइंट्स को रिक्वेस्ट के आधार पर प्रदान करता है और उसी के हिसाब से प्राइस तय होते हैं। आशीष बताते हैं,
“हमारे पास योजनाएं हैं जो स्टार्टअप ग्राहकों के साथ-साथ उद्यमों के लिए उपयुक्त हैं। हमारे कुछ उल्लेखनीय ग्राहकों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों और वंडरमैन इंटरनेशनल, GetMyParking, मुकुंद फूड्स, और टूकिटकी जैसे फंडेड स्टार्टअप शामिल हैं।”
उन्होंने कहा कि कल्चरो इस समय 55 प्रतिशत के सकल मार्जिन पर चल रही है जो पिछले वर्ष के 30 प्रतिशत से अधिक है। उनका कहना है कि अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे के साथ, वे न्यूनतम बुनियादी ढांचे में वृद्धि के साथ 5,000-6,000 अतिरिक्त उपयोगकर्ताओं को बढ़ा सकते हैं।
आशीष कहते हैं,
“वित्त वर्ष 2021 के अंत तक, हमारा लक्ष्य 30 क्लाइंट्स के साथ साइनिंग करके और हमारे प्लेटफॉर्म पर 6000- 8000 यूजर्स बेस के साथ अपनी बाजार उपस्थिति को मजबूत करना है जो हमें MRR में 16-18 लाख रुपये तक ले जाएगा।"
वित्त वर्ष 22 तक, स्टार्टअप का लक्ष्य 70 से अधिक क्लाइंट्स के साथ कई भौगोलिक क्षेत्रों में मौजूदगी बढ़ाना और ऑपरेशनल ब्रेकवेवन के करीब होना है।
अशीष कहते हैं कि
"इसी समय के दौरान हम सीरीज ए फंडिंग जुटाने और खुद को स्केल मोड में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। 2025 तक हमारा लक्ष्य अपने प्लेटफॉर्म पर करीब 1000 क्लाइंट्स के साथ 100 करोड़ रुपये तक पहुंचने का है।"