आईटी की नौकरी नहीं भाई तो किसानी में आजमाई किस्मत, आज घर बैठे कमा रहे हैं लाखों रुपए
हैदराबाद के रामपुर गाँव में जन्में आर नंदा किशोर रेड्डी का बचपन काफी साधारण से पारिवारिक माहौल में गुजरा था। पिता पेशे से किसान थे। जिस वजह से उन्हें किसानी करने का शौक भी बचपन से ही रहा है।
‘जिंदगी की राहों में अक्सर ऐसा होता है, फैसला जो मुश्किल होता है वही बेहतर होता है।’
कुछ ऐसी ही मुश्किल फैसले की घड़ी का सामना करना पड़ा था हैदराबाद के रहने वाले इस शख्स को जब इन्होंने आईसेक्टर की अच्छे वेतन वाली नौकरी छोड़ खेती का फैसला लिया था। लेकिन किसे पता था कि घर से बाहर निकलकर इस लड़के ने दुनियादारी को काफी बारीकी से समझ लिया है और उसके द्वारा लिया गया डिसीजन ही उसकी जिंदगी बदलने वाला है।
बचपन से ही खेती की ओर था रुझान
हैदराबाद के रामपुर गाँव में जन्में आर नंदा किशोर रेड्डी का बचपन काफी साधारण से पारिवारिक माहौल में गुजरा था। पिता पेशे से किसान थे। जिस वजह से उन्हें किसानी का करने का शौक भी बचपन से ही रहा है। लेकिन, समाज और परिवार को देखते हुए उन्होंने आई.टी इंजीनिरिंग का रास्ता अपनाया।
हालांकि, यह फील्ड उन्हें बहुत अधिक दिनों तक प्रभावित नहीं रख पाई और एक दिन ऐसा आया जब नंदा ने एक मोटी सैलरी वाली जॉब से रिजाइन दे दिया है और पिता के पास वापस गाँव चले गए। जहां उन्होंने खेतों में पारंपरिक तरीके से हो रही फसलों में बदलाव करके ऑर्गेनिक खेती पर जोर देना शुरू कर दिया।
कोविड ने किया किसान बनने के लिए प्रभावित
साल 2020 के मार्च महीने में आयी कोरोना महामारी ने नंदा किशोर रेड्डी को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। उन्होंने देखा कि जब आर्थिक कड़ियों के सारे रास्ते बंद हो गए थे तब बड़ी तादाद में लोग सब्जी और फलों का बिजनेस करने लगे थे। बहुत से लोगों की नौकरियां जाने लगीं। कश्मकश के उस दौर में उन्हें महसूस हुआ कि फार्मिंग एक ऐसा सेक्टर है जो कभी न रुकने और बुरे से बुरे समय में चालू रहना वाला काम है। इस महामारी के दौर ने उनके नजरिए को बदलकर रख दिया।
एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “घर पर पिता को खेती-किसानी करते लंबे समय तक देखा था। लेकिन, तब तक मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं था। जब पूरा देश महामारी से जूझ रहा था और प्रोफेशनल्स की नौकरियां जाने लगी। उस समय भी कोई थोक में खाद्य सामग्री खरीदकर इकठ्ठा कर रहा था तब मुझे कृषि की अहमियत समझ आई।”
मेहनत में जोड़ दी टेक्नोलॉजी
अक्सर खेतों में काम कर रहे किसान भाई बेहद ही कड़ी मेहनत करके फसलों को उगाते हैं जिसके बाद हम सबका भरण-पोषण हो पाता है। चूंकि, नंदा ने तकनीक की दुनिया में काफी समय तक काम किया था जिसका उन्हें यहां पर पूरा फायदा मिला। नई चीजों को समझना और उन्हें उपयोग में लाना उनके लिए काफी आसान काम था। इसलिए उन्होंने खेती को फायदेमंद बनाने और शारीरिक श्रम को कम करने के लिए अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया।
वह कहते हैं, “मैंने जैविक खेती और क्षेत्र में नए इनोवेशन के बारे में काफी जानकारी हासिल कर ली थी। इससे मुझे खेती में पूरा समय काम करने का हौसला मिला।”
इन फसलों की करते हैं खेती
नंदा ने घर वापसी करने के बाद पिता के साथ मिलकर खेतों में ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की। इसमें उन्होंने मल्टी फार्मिंग विकल्प को चुना। शुरुआत में उन्होंने एक एकड़ में पॉली हाउस और अन्य दो एकड़ में विदेशी खीरा व पालक उगाने लगे। एक साल में इसकी पैदावार 30 टन हुई। जिससे उनकी 3.5 लाख रुपए का मुनाफा हुआ। इस मुनाफे का गणित अब धीरे-धीरे उन्हें समझ आने लगा था। इसलिए उन्होंने इसका दायरा बढ़ा दिया। तीन महीने में पालक और खीरे की खेती समाप्त हो जाने वाले के बाद उन्होंने खाली पड़े खेतों में शिमला मिर्च, हरी मिर्च और भिंडी की खेती करनी शुरू कर दी।
वह कहते हैं, “मुझे 35 हजार रुपए वाली नौकरी छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। मैं बचपन से ही खेतों और किसानों के बीच बड़ा हुआ हूँ। जिस कारण खेती के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी मुझे पहले से ही थी। हालांकि, आईटी सेक्टर को छोड़कर कृषि की तरफ आना थोड़ा मुश्किल काम था लेकिन मैंने खुद को यह चैलेंज दिया। इस काम में मेरे पिता और मेरे एक दोस्त ने मेरी हर मोड पर काफी मदद की। मिट्टी की तरफ लौट कर आना मेरे लिए काफी फायदे का सौदा रहा।”
Edited by Ranjana Tripathi