मिलें इस युवा उद्यमी से जो कार्पोरेट को अलविदा कहने के बाद उगाने लगे कीवी और सेब, आज कमा रहे हैं लाखों

मनदीप ने जमीन की मिट्टी के हिसाब से सेब और कीवी की खेती करने की शुरुआत की। इसे उगाने में उन्हें केमिकल का इस्तेमाल न करने का फैसला लिया। हिमालय की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी वैसे भी नहीं रहती है जिसका उन्हें पूरा लाभ मिला।

मिलें इस युवा उद्यमी से जो कार्पोरेट को अलविदा कहने के बाद उगाने लगे कीवी और सेब, आज कमा रहे हैं लाखों

Thursday April 07, 2022,

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“खोल दो पंख मेरे अभी और भी उड़ान बाकी है, जमीन नहीं है मंजिल मेरी अभी तो पूरा आसमान बाकी है।” कुछ ऐसे ही बड़े सपने थे इस नौजवान के। जो दिल्ली शहर से आईटी सेक्टर में मिलने वाली अच्छी सैलरी की नौकरी छोड़कर बिजनेस करके खुद का आसमान बनाने की जिद पर चल पड़ा। आज यह शख्स गाँव में रहकर पाँच एकड़ जमीन में ऑर्गेनिक सेब और कीवी फल उगाकर पूरे देश में स्वास्थ्य की बिक्री करके लाखों रुपये भी कमा रहा है।

एमबीए के बाद कर रहे थे अच्छे वेतन वाली नौकरी

मूलरूप से हिमालय की तह में बसे शिल्ली नामक गाँव के रहने वाले मनदीप वर्मा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2010 में एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें दिल्ली की आईटी कंपनी में आकर्षक सैलरी वाली नौकरी मिल गई है। जहां रहते हुए उन्होंने पूरे तीन साल काम किया। यहाँ पर काम करते हुए वह एक दिन में आठ क्लाइंट संभालते थे। इस काम से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। साथ ही साथ उन्हे कई सारे कनेक्शन भी मिले।

कैसे आया खेती करने का आइडिया

दिल्ली में रहते हुए उन्होंने करीब चार साल से अधिक समय तक काम किया। इस दौरान उन्हें अच्छा एक्सपोजर और अच्छी सैलरी भी मिल रही थी। लेकिन मन को शांति नहीं मिल पा रही थी। क्योंकि वह शुरू से ही खुद का व्यापार करना चाहते थे। अंतत: उन्हें निर्णय लेना पड़ा और उन्होंने कार्पोरेट की नौकरी को छोड़ दिया और अपने गाँव वापस जाने का फैसला बनाया।

कीवी की खेती

कीवी की खेती

एक इंटरव्यू के दौरान वह कहते हैं कि,”मैं नौकरी छोड़ तो आया था लेकिन तब तक मुझे यह नहीं पता था कि अब आगे क्या करना है। क्योंकि हमें बचपन से लगभग यही सिखाया जाता है कि पढ़ने का मतलब, पारंपरिक सरकारी या प्राइवेट नौकरी हासिल करना है। काफी रिसर्च करने के बाद उन्हें समझ आया कि जो शिक्षा और स्किल उनके पास है। उसे कैसे अलग तरीके से प्रयोग कर सकते हैं। काफी सोचने-समझने के बाद, 38 वर्षीय इस नौजवान ने स्वास्तिक फार्म की शुरुआत करने का निर्णय किया।”

पत्नी ने निभाया पूरा साथ

मनदीप ने नौकरी छोड़ने की बात अपनी पत्नी को बताई। उन्होंने मनदीप के विचारों का पूरा समर्थन किया। इसके बाद गाँव में ही परिवार की पुश्तैनी जमीन में खेती करने का निर्णय लिया गया। यह खेती करीब 4.84 एकड़ के करीब थी लेकिन सालों से बंजर थी। शुरुआती दौर में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

पढ़ाई- लिखाई करने के बावजूद खेती का सही ज्ञान न होने के कारण कई बार आर्थिक नुकसान भी सहना पड़ा। उन्हें मार्केटिंग करना आता था लेकिन इस बात की जानकारी नहीं थी, कि कौन-सी सब्जी कब उगाई जाए। किस फसल के लिए कैसे जमीन और कितनी पाँस की आवश्यकता होगी।

किसानी सीखने के लिए पढ़ी किताबें और मैग्जीन

सच में खेती करना उतना आसान नहीं होता है जितना देखने पर लगता है। इस बात का अंदाजा मनदीप को उस दिन हुआ जब बंजर और ऊबड़-खाबड़ पड़ी हुई जमीन को समतल कराया। जंगली पौधों को हटाकर जमीन को खेती करने लायक बनाया। इसमें कई दिनों तक कड़ी मेहनत और लगन के साथ काम करना पड़ा। खेती करने के लिए उन्होंने कई किताबें और मैग्जीन का भी सहारा लिया था।

ऑर्गेनिक सेब व कीवी की करते हैं खेती

मनदीप ने जमीन की मिट्टी के हिसाब से सेब और कीवी की खेती करने की शुरुआत की। इसे उगाने में उन्हें केमिकल का इस्तेमाल न करने का फैसला लिया। हिमालय की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी वैसे भी नहीं रहती है जिसका उन्हें पूरा लाभ मिला। खेती को और बेहतर बनाने के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों से भी संपर्क किया। जिन्होंने उनकी काफी मदद की।

कीवी

मीडिया रिपोर्ट में साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया कि,”कीवी एक अलग तरह का विदेशी फल है इसलिए इसका बाजार भी अच्छा है। मैंने एलिसिन और हेवर्ड किस्मों के 150 कीवी के पौधे खरीदे और उन्हें जमीन के एक छोटे से हिस्से पर उगाना शुरू किया।”

उन्होंने खेती के साथ-साथ 12,000 पौधों की दो नर्सरी भी बनाई है। जहां वह पौधे उगाते और बेचते हैं, जिससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफा भी होता है। उन्होंने कहा कि स्वास्तिक फार्म में 14 लाख रुपये का निवेश किया था और अब उनके पास 700 कीवी के पौधे हैं, जो 9 टन फल देते हैं। इसके अलावा, उनके पास 1,200 सेब के पेड़ हैं। इन सब की बदौलत और फलों की खेती से करीब सालाना 40 लाख रुपये का राजस्व मिलता है।


Edited by Ranjana Tripathi