कोरोना वायरस पर आइसलैंड के दावे ने उड़ाए वैज्ञानिकों के होश, टेस्ट को लेकर बनानी पड़ सकती है बड़ी रणनीति
आईलैंड द्वारा किए गए एक दावे के बाद कोरोना वायरस को रोकने में जुटे वैज्ञानिकों के सामने नई समस्या खड़ी हो गई है।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के प्रयासों में जुटे वैज्ञानिकों के सामने अब एक नई समस्या आ गई है। विश्व के कई हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें प्रभावित लोगों में कोरोना वायरस से संबन्धित कोई लक्षण ही नज़र नहीं आए हैं।
आइसलैंड का दावा है कि उसने अन्य देशों की तुलना में अधिक लोगों पर कोरोना टेस्ट किया है, लेकिन जिन लोगों में कोरोना पॉज़िटिव पाया गया है कि उनमे से आधे लोगों में कोरोना वायरस से संबन्धित कोई लक्षण नहीं देखा गया है।
बज़फीड न्यूज़ को बताते हुए देश के प्रमुख महामारी विज्ञानी थोरोलफर गुडनशन ने कहा है कि कोरोना पॉज़िटिव मिलने वाले बहुत से लोगों में या तो लक्षण काफी देर से नज़र आए हैं या नज़र ही नहीं आए हैं।
गौरतलब है कि इस तरह की स्थिति विश्व के लिए भयावह साबित हो सकती है, क्योंकि बहुत से देश ऐसे हैं जिन्होने लोगों में लक्षण नज़र आने के बाद ही उनका कोरोना टेस्ट किया है।
इसके पहले बीते महीने WHO-चाइना मिशन द्वारा भी एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें इस तरह के मामलों को दुर्लभ बताया गया था, लेकिन अब आइसलैंड के दावों ने पूरे विश्व को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है।
बुधवार तक विश्व भर में कोरोना वायरस संक्रमण के 4 लाख 38 हज़ार से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 19 हज़ार से अधिक लोगों ने इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवाई है। भारत में भी कोरोना वायरस संक्रमण के 637 मामलों की पुष्टि हुई है, जबकि 40 लोग इससे रिकवर भी कर चुके हैं।