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IIT-मद्रास ने सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए बनाया खास रोबोट, कैसे काम करता है ?

IIT-मद्रास ने सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए बनाया खास रोबोट, कैसे काम करता है ?

Thursday June 09, 2022 , 4 min Read

IIT Madrasका 'होमोसेप’ (HomoSEP) एक ऐसा रोबोट है जिसे संस्थान के शोधकर्ताओं ने भारत में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के लिये बनाया गया है. यह रोबोट अब जमीनी तैनाती के लिए पूरी तरह से तैयार है.

10 रोबोट यूनिट्स को तमिलनाडु में तैनात किया जायेगा और इसको लेकर शोधकर्ता स्थानों की पहचान करने के लिये सफाई कर्मियों के साथ सम्पर्क में हैं. इसकी तैनाती को लेकर गुजरात एवं महाराष्ट्र में भी स्थानों पर विचार किया जा रहा है.

IIT मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक तथा सेंटर फॉर ननडिस्ट्रक्टिव इवैलुएशल के प्रो. प्रभु राजागोपाल के नेतृत्व वाली टीम तथा IIT मद्रास के इंक्यूबेटेड स्टार्टअप SolinasIntegrity Private Limited ने कई वर्षो के प्रयासों के बाद इसे तैयार किया है. यह टीम सफाई कर्मियों तथा भारत में हाथ मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के लिये समर्पित एनजीओ सफाई कर्मचारी आंदोलन (Safai Karamchari Andolan - SKA) के साथ करीबी सम्पर्क में रही.

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वर्तमान में पहले दो होमोसेप का वितरण एनजीओ सफाई कर्मचारी आंदोलन के माध्यम से नागम्मा और रूथ मैरी के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों को किया गया है. इन दोनों के पति की मौत सफाई कार्य करते हुए हुई थी.

IIT मद्रास इस अनोखी पहल के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थापित उद्यमों को सशक्त बना रहा है जिसकी महत्वपूर्ण पक्षकार वो महिलाएं हैं जो हाथ से मैला ढोने के त्रासदपूर्ण दुष्परिणामों से प्रभावित रहीं है. इसके तहत 9 और यूनिट्स के वितरण का कार्य प्रोजेक्ट की कार्य योजना के अनुरूप जारी है और इसमें से कई पर कार्य पूरा हो चुका है.

होमोसेप का विकास करने की प्रेरणा का जिक्र करते हुए IIT मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के संकाय और प्रोजेक्ट के मुख्य शोधकर्ता प्रो. प्रभु राजागोपाल ने कहा, "सेप्टिक टैंक एक जहरीला माहौल होता है जो अर्द्ध ठोस और अर्द्ध तरल मानव मल पदार्थ से भरा होता है और यह टैंक का करीब दो तिहाई हिस्सा होता है. भारत भर में हर वर्ष सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई होने के दौरान सैकड़ों मौतों की रिपोर्ट आती हैं हालांकि इसको लेकर प्रतिबंध और निषेध संबंधी आदेश जारी किये गए हैं."

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उन्होंने कहा, “होमोसेफ प्रोजेक्ट इस मायने में अनोखा है कि यह विश्वविद्यालय (हमारी टीम, एनजीओ उद्योग के CSR और स्टार्टअप को सहित महत्वपूर्ण पक्षकारों को महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान निकालने के लिये साथ लाने का काम किया है. इसमें कोई शक नहीं है कि समस्या बड़ी और जटिल है और हम उम्मीद करते हैं कि इस प्रयास में हमारा प्रयास दूसरों को इससे जुड़ने के लिये प्रेरणा देगा.“

प्रो. राजागोपाल ने कहा, “हम आभारी हैं कि इन वर्षो में दिवांशु और भावेश (IIT मद्रास के पूर्व छात्र और जो अब सोलिनास के साथ हैं) सहित काफी संख्या में छात्र इस प्रोजेक्ट में काम करने के लिये प्रेरित हुए और आज हमारे पास सोलिनास से अभिप्रेरित एक गतिशील टीम है. सोलिनास एक स्टार्टअप है जो जल एवं सफाई के क्षेत्र में काम करता है.“

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होमोसेप रोबोट को पहली बार प्रो राजागोपाल के मार्गदर्शन में दिवांशु कुमार ने फाईनल ईयर में मास्टर्स प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया था. इसे IIT मद्रास के सोशल प्रोजेक्ट के तहत समर्थन मिलने के बाद IIT मद्रास के कार्बन जेर्प चैलेंज 2019 में प्रदर्शित किया गया था. महामारी की कठिनाइयों के बीच IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने IIT मद्रास पोषित स्टार्टअप सोलिनास इंटेग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड (अब दिवांशु के नेतृत्व में संचालित) के साथ होमोसेप रोबोट विकसित करने के लिये गठजोड़ किया.

पिछले वर्षो में इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का समर्थन प्रारंभ में कई CSR दानकर्ताओं ने किया जो प्रारंभिक प्रोटोटाइप विकसित करने के लिये वर्ष 2019 में विन फाउंडेशन (WIN Foundation) से शुरू हुआ. वर्ष 2019-20 के दौरान GAIL (India) ने प्रोडक्ट तैयार करने की पहल का समर्थन किया और इसके बाद कैप जेमिनी (CapGemini) ने इसके लघु स्वरूप एवं सुवाह्यता के लिये सीएसआर के तहत सहयोग किया.