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भारत को COP जलवायु संकल्‍पों को पूरा करने के लिए 30 लाख करोड़ के निवेश की जरूरत: IREDA

विश्व बैंक वेबिनार में IREDA के सीएमडी प्रदीप कुमार दास ने कहा कि भारत को अपने COP जलवायु संकल्‍पों को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष 2024-2030 के दौरान 30 लाख करोड़ के निवेश की जरूरत है.

भारत को COP जलवायु संकल्‍पों को पूरा करने के लिए 30 लाख करोड़ के निवेश की जरूरत: IREDA

Friday February 16, 2024 , 3 min Read

भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) प्रदीप कुमार दास ने नवीनतम दक्षिण एशिया विकास अपडेट "तेज, स्‍वच्‍छ बढ़ोतरी की ओर" के जारी होने के अवसर पर विश्व बैंक द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित किया.

अपने संबोधन में उन्होंने 2030 तक भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त निवेश की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-2030 की अवधि में 30 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है. उन्‍होंने कहा कि सौर, इलेक्ट्रोलाइज़र, पवन और बैटरी की क्षमता के निर्माण समेत ट्रांसमिशन, हरित हाइड्रोजन, हाइड्रो, पवन ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता है.

13 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा शुरू की गई रूफटॉप सौर योजना, "पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना" के महत्व के बारे में बोलते हुए दास ने कहा, "यह दूरदर्शी परियोजना 75,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश द्वारा समर्थित है, जिसका लक्ष्य हर महीने एक करोड़ घरों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करके सौर ऊर्जा से लैस करना है. यह पहल देश में रूफटॉप सौर ऊर्जा क्षेत्र को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार है. यह योजना न केवल लोगों को पर्याप्त लाभ प्रदान करेगी, बल्कि बड़े पैमाने पर ये लोगों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में जागरूकता भी बढ़ाएगी, जो 2070 तक नेट-शून्य उत्सर्जन और 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य में योगदान देगी."

दास ने आगे कहा कि भारत का उदय दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा विकास के लिए एक रोल मॉडल रहा है, सरकार की कई पहलें जैसे नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ), पीएम-कुसुम योजना, आरई पर‍संपत्तियों के लिए 'मस्ट-रन' स्थिति, सौर पीवी विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति. “जैसा कि भारत का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक एक विकसित देश बनना है, ऊर्जा सुरक्षा तथा ऊर्जा-स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए बहुत ज्‍यादा ऊर्जा की मांग होगी. इस मांग का लगभग 90 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से पूरा होने की उम्मीद है. जब तक नवीकरणीय ऊर्जा के लिए पर्याप्त ऊर्जा भंडार हासिल नहीं हो जाता, तब तक साथ-साथ तापीय ऊर्जा को विकसित करने का काम भी किया जाता रहेगा. वे भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने में इरेडा द्वारा पिछले 37 वर्षों में निभाई गई माता-सदृश भूमिका के बारे में भी बोले.