भारत के पास 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन होगा; 2040 में एक भारतीय चंद्रमा पर कदम रखेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
वैमानिकी और अंतरिक्ष क्षेत्रों पर चर्चा करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2025 में भारत के पूरी तरह से स्वदेशी मानवयुक्त मिशन गगनयान के बाद, भारत के पास 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन होगा और 2040 में एक भारतीय चंद्रमा पर कदम रखेगा.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में हवाई यात्रा अब संभ्रांत वर्ग की विलासिता नहीं रह गई है. एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (AeSI) के 75 गौरवशाली वर्ष पूरे होने के अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक), जैसी दूरदर्शी योजनाओं के माध्यम से, हवाई अड्डों की संख्या में दोगुनी वृद्धि, किफायती हवाई किराया, हवाई यात्रा को आम आदमी की यात्रा का माध्यम बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है. उन्होंने कहा कि अब हवाई अड्डों पर "हवाई" चप्पल पहने लोगों को "हवाई-जहाज" (हवाई उड़ान) पर चढ़ते देखना एक आम दृश्य है.
मंत्री ने आगे कहा कि यह न केवल किफायती हवाई किराये के कारण संभव हुआ है, बल्कि पिछले 9 वर्षों में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है, जो वर्ष 2014 में 75 से बढ़कर आज 150 से अधिक हो गई है.
वैमानिकी और अंतरिक्ष क्षेत्रों पर चर्चा करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2025 में भारत के पूरी तरह से स्वदेशी मानवयुक्त मिशन गगनयान के बाद, भारत के पास 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन होगा और 2040 में एक भारतीय चंद्रमा पर कदम रखेगा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यहां कहा कि एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (AeSI) हमारे देश में नवाचार का केंद्र, सहयोग का मंच और एयरोस्पेस उद्योग के विकास के लिए प्रेरणा रही है.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 9-10 वर्षों में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी, विशेषकर विमानन और एयरोस्पेस में भारत की प्रगति, संभवतया उसकी सीमाओं को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र की संभावनाओं को खोलने के बाद, वर्ष 2014 में केवल 4-5 की तुलना में अब इस क्षेत्र में लगभग 150 डीप टेक स्टार्ट-अप कार्य कर रहे हैं.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैसे कि हम भविष्य की ओर देखते हैं, भारत एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में और भी अधिक ऊंचाइयों के लिए तैयार है, क्योंकि सरकार वैज्ञानिक समुदाय के प्रति अपने समर्थन को लेकर दृढ़ है, साथ ही हमें आगे बढ़ने के लिए आवश्यक संसाधन और बुनियादी ढांचा प्रदान कर रही है. मंत्री ने कहा कि हाल ही में शुरू की गई "मेक इन इंडिया" पहल ने हमारे एयरोस्पेस परिदृश्य को बदलना शुरू कर दिया है, स्वदेशी उत्पादन और नवाचार को प्रोत्साहित किया है.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारतीय एयरोस्पेस क्षेत्र महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुआ है और हम स्वयं को अभूतपूर्व उपलब्धियों के शिखर पर देखते हैं. सफल चंद्रयान-3, मार्स ऑर्बिटर मिशन, आदित्य एल1 और इसरो के आने वाले मिशन जैसे गगनयान, स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान तेजस और डीआरडीओ द्वारा अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम और सार्वजनिक क्षेत्रों/निजी उद्योगों, स्टार्टअप्स द्वारा अन्य संबंधित टेक्नोलॉजी से हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने वैश्विक मंच पर भारत की शक्ति का प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा, उपरोक्त सभी वैश्विक स्तर के मिशन "संपूर्ण विज्ञान", "संपूर्ण सरकार" और "संपूर्ण समाज" दृष्टिकोण के उदाहरण हैं.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "2047 में एयरोस्पेस और विमानन" पर यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सह प्रदर्शनी ज्ञान-साझा करने और सहयोग के प्रति हमारे समर्पण का एक प्रमाण है. तथापि हम एईएसआई की विरासत और भारत की प्रगति का उत्सव मनाते हैं, आइए, हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता की खोज के लिए खुद को फिर से समर्पित करें और बड़े सपने देखें, निडरतापूर्वक नवाचार करें और भारत को एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में अग्रणी नेतृत्व बनाने के लिए मिलकर कार्य करें.
आयोजित समारोह के समापन के अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने सम्मेलन की सफलता और एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की निरंतर सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं. मंत्री महोदय ने कहा, हम नई ऊंचाइयों को छुएं, अछूते क्षेत्रों की खोज करें और अपने महान राष्ट्र की वैज्ञानिक विरासत में योगदान दें.