भारतीय मूल के इस शख्स ने भरी 'ऊंची उड़ान', चांद पर भेज सकती है नासा!
भारतीय मूल के फिजीशियन डॉ. अनिल मेनन को नासा द्वारा आने वाले मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में चुने गए दस लोगों में शामिल किया गया है।
आने वाले समय में हम जल्द ही भारतीय मूल के एक शख्स को चांद पर बतौर अन्तरिक्ष यात्री जाते हुए देख सकते हैं। भारतीय मूल के फिजीशियन डॉ. अनिल मेनन को नासा द्वारा आने वाले मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में चुने गए दस लोगों में शामिल किया गया है। मालूम हो कि अनिल अमेरिकी वायु सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल भी हैं।
मीडिया को जानकारी देते हुए नासा ने बताया है कि उसने अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही अंतरिक्ष में मानवता के भले के लिए काम करने के लिए 12 हज़ार से अधिक आवेदकों में से 10 नए उम्मीदवारों को चुनाव किया है। मालूम हो कि अनिल का जन्म अमेरिका के मिनियापोलिस में एक मलयाली पिता और यूक्रेनी मां के घर पर हुआ था।
मिला सरप्राइज़
मिनेसोटा में जन्मे और पले-बढ़े डॉ. अनिल मेनन के पास न्यूरोबायोलॉजी में स्नातक की डिग्री और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री है। उन्होंने इमरजेंसी मेडिसिन में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन और फिर एयरोस्पेस मेडिसिन की पढ़ाई भी की है। मेनन ने 2014 में नासा फ्लाइट सर्जन के रूप में शुरुआत की थी, इसके बाद वे लीड फ्लाइट सर्जन के रूप में काम करने के लिए 2018 में स्पेसएक्स के साथ जुड़ गए थे।
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक बातचीत में अनिल ने कहा, "आप कभी भी 10 नौकरियों के लिए 12,000 लोगों द्वारा आवेदन किए जाने के साथ बहुत आश्वस्त नहीं हो सकते हैं। निश्चित रूप से वहाँ बहुत सारे योग्य लोग हैं। यह एक बड़े सरप्राइज के रूप में आया है।"
भारत में भी कर चुके हैं काम
अनिल ने साल 1995 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में स्नातक की डिग्री पूरी की है। भले ही अनिल ने अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों से अपनी शिक्षा पूरी की, लेकिन वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रोटरी एंबेसडर फेलो के रूप में 1999 और 2001 के बीच भी भारत आए थे।
भारत में अपने रहने के दौरान अनिल ने देश के पोलियो विरोधी अभियान में भी भाग लिया। इसके बाद उन्होंने 2000 से 2006 के बीच स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एमएस और स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल से एमडी की डिग्री हासिल की थी।
भर सकते हैं अन्तरिक्ष की उड़ान
स्पेसएक्स में रहते हुए उन्होंने नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले ड्रैगन कैप्सूल पर काम किया। एक डॉक्टर के रूप में वे लॉन्च होने पर उनका ख्याल रखते थे। डॉ. अनिल के ऊपर अन्तरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल में डालने और फिर वापस आने पर उन्हें कैप्सूल से बाहर निकालने की ज़िम्मेदारी होती थी। हालांकि अब नासा के अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में उनके पास वास्तव में यह भूमिका निभाते हुए अन्य अन्तरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरने का मौका भी होगा।
अन्तरिक्ष यात्री पसंद करते हैं भारतीय खाना
अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि जब लोग अंतरिक्ष में होते हैं तो भोजन का स्वाद अलग होता है क्योंकि तरल पदार्थ के ऊपर तैरने से व्यक्ति की नाक भर जाती है। उन्होंने बहुत सारे अंतरिक्ष यात्रियों से सुना है कि भारतीय भोजन उनका पसंदीदा भोजन है क्योंकि यह अधिक मसालेदार होता है। अनिल मेनन के अनुसार यह एक चिकित्सकीय तथ्य है।
Edited by रविकांत पारीक