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भारतीय रेलवे ने स्क्रैप बेचकर कमाए 2500 करोड़ रुपये

भारतीय रेलवे ने स्क्रैप बेचकर कमाए 2500 करोड़ रुपये

Tuesday October 18, 2022 , 3 min Read

भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने वित्त वर्ष 2022-23 के पहले छह महीनों में स्क्रैप (कबाड़) की उल्लेखनीय बिक्री दर्ज की है. इस बिक्री के जरिए भारतीय रेलवे ने सितंबर 2022 तक; पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि के 2003 करोड़ रुपये की तुलना में कुल 2582 करोड़ रुपये की आय अर्जित की है, जो 28.91 प्रतिशत अधिक है. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए स्क्रैप की बिक्री से होने वाली आय का लक्ष्य 4400 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है.

2021-22 के 3,60,732 मीट्रिक टन की तुलना में 2022-23 में 3,93,421 मीट्रिक टन लौह स्क्रैप का निपटान किया गया है. साथ ही 2022-23 में सितंबर, 2022 तक 1751 वैगनों, 1421 कोचों और 97 इंजनों का निपटान किया गया, जबकि 2021-22 में इसी अवधि के दौरान 1835 वैगनों, 954 कोचों और 77 इंजनों का निपटान किया गया था.

भारतीय रेलवे ने स्क्रैप का संग्रह करने और इसकी ई-नीलामी के जरिये बिक्री करने के माध्यम से संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए हर संभव प्रयास किये हैं.

अनुपयोगी/स्क्रैप रेलवे सामग्री का जमा होना और इसकी बिक्री एक सतत प्रक्रिया है और इसकी निगरानी क्षेत्रीय रेलवे तथा रेलवे बोर्ड में उच्चतम स्तर पर की जाती है. निर्माण परियोजनाओं में, आम तौर पर गेज परिवर्तन परियोजनाओं से स्क्रैप पैदा होता है. स्क्रैप के लिए पेश की गयी सामग्री का रेल-मार्गों पर पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता है. इनका निपटान रेलवे अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है.

भारतीय रेल के पश्चिम रेलवे (Western Railway) जोन ने मौजूदा वित्त वर्ष में 21 सितंबर तक कबाड़ बेचकर 250.99 करोड़ रुपये की भारी-भरकम आय अर्जित की है. ये पिछले साल की इसी अवधि की 181.27 करोड़ रुपये की बिक्री की तुलना में 38 फीसदी ज्यादा है.

वहीं, उत्तर रेलवे ने अप्रैल महीने तक 624 करोड़ का कबाड़ बेचकर एक रिकॉर्ड बनाया है, जो पिछले साल की तुलना में 40% अधिक है. उत्तर रेल ने 370 करोड़ के स्क्रैप बेचने का लक्ष्य रखा था लेकिन 624 करोड़ का कबाड़ बेचकर 69% अधिक रेवेन्यू हासिल किया था.

आपको बता दें कि, इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में मध्य रेलवे (Central Railway) ने कबाड़ बेचकर 391.43 करोड़ रुपए की कमाई की थी. अधिकारियों के अनुसार 15 सालों में रेलवे की ये सबसे अधिक कबाड़ से होने वाली कमाई थी. बीते साल मध्य रेलवे का निर्धारित लक्ष्य 350 करोड़ था, जिसे पार कर लिया गया था. इस राशि का उपयोग COVID-19 महामारी के कारण रेलवे को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किया गया.

भारतीय रेलवे पर स्क्रैप का निपटान एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. राजस्व अर्जित करने के साथ-साथ यह कार्य परिसरों को साफ-सुथरा रखने में भी मदद करता है. किनारे पड़े पटरियों के टुकड़े, स्लीपर, टाई बार, आदि की मौजूदगी से न केवल संरक्षा संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं, बल्कि यह लोगों को देखने में भी साफ-सुथरा नहीं लगता.