रिटायरमेंट प्लानिंग में फिसड्डी भारतीय, भविष्य को लेकर कोई योजना नहीं
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस की रिटायरमेंट इंडिया इंडेक्स स्टडी के मुताबिक शहरों में रह रहे हर तीन में से दो भारतीयों के पास सेफ रिटायरमेंट प्लानिंग नहीं है.
2009 में जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छाई थी, भारत उस मंदी के असर से अछूता ही रहा. इसकी बड़ी वजह यह बताई गई कि भारतीय लोग सेविंग यानी बचत में यकीन रखते हैं. एक औसत भारतीय यदि दिन के 100 रुपए भी कमाएगा तो उसमें से 80 रुपए खर्च करेगा और 20 रुपए बचा लेगा. हम वर्तमान में जीने के बजाय भविष्य की चिंता को लेकर परेशान रहने और भविष्य के लिए बचाने वाले लोग हैं.
हालांकि यह रवैया अब शायद बदल रहा है क्योंकि एक स्टडी कह रही है कि भारतीय रिटायरमेंट प्लानिंग के मामले में पिछड़ रहे हैं. निजी बीमा कंपनी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और विपणन डेटा कंपनी कांतार (KANTAR) ने मिलकर एक स्टडी की है. यह रिटायरमेंट इंडिया इंडेक्स स्टडी कह रही है कि रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के मामले में भारतीय पिछड़ रहे हैं. भारत का रिटायरमेंट सूचकांक 0 से 100 के पैमाने में 44 आया है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भविष्य को लेकर भारतीयों के पास ठोस आर्थिक प्लानिंग नहीं है.
जब तक हमारा शरीर काम कर रहा है, जब तक हम सक्रिय हैं और नौकरी या बिजनेस कर रहे हैं, तब तक तो जीवन आसानी से चलता रहता है. असल चुनौतियां वहां से शुरू होती हैं, जहां आपका शरीर ढलान की ओर जाना शुरू होता है. रिटायरमेंट के बाद सुरक्षा और स्थायित्व का अर्थ है कि आपके पास इतना पैसा हो कि बिना काम किए बगैर सहजता के साथ जीवन यापन कर सकें. आपके पास पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं हों और आप भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करें.
लेकिन मैक्स लाइफ की रिटायरमेंट इंडिया इंडेक्स स्टडी कह रही है कि भारतीयों का स्वास्थ्य सूचकांक 0 से 100 के बीच 41 है और वित्तीय यानी फायनेंशियन सूचकांक 49 है. बुढ़ापे के इमोशनल सपोर्ट सिस्टम को लेकर तैयारी का सूचकांक 62 से घटकर 59 पर आ गया है.
यह स्टडी कह रही है कि शहरी इलाकों में रह रहे प्रत्येक 3 में से 2 व्यक्तियों की रिटायरमेंट प्लानिंग फायनेंशियल और हेल्थ की जरूरतों को देखते हुए पूरी नहीं है. अर्बन एरिया में रह रहा तीन में से सिर्फ एक व्यक्ति ही ऐसा है, जो हेल्थ, फायनेंस और इमोशनल सपोर्ट की सारी जरूरतों के मानक पर खरा उतर रहा है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर लोगों की भविष्य की चिंता पैसे को लेकर है. उन्हें लगता है कि उनके पास रिटायरमेंट के बाद अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं. साथ ही एक उम्र के बाद स्वास्थ्य में गिरावट आने और स्वास्थ्य सेवाओं के लगातार महंगे होते जाने के कारण उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं के समय पर न मिल पाने की भी चिंता सताती है.
इस स्टडी में 28 शहरों के 3220 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया. इन शहरों में चार मेट्रो सिटी यानी महानगर, 12 टू टीयर और 12 थ्री टीयर शहर हैं. स्टडी में शामिल 50 से अधिक आयु वर्ष के 90 फीसदी लोगों ने समुचित रिटायरमेंट प्लानिंग न कर पाने की वजह ये बताई है कि उनका कॅरियर सही समय पर शुरू नहीं हुआ. एक स्थाई, बेहतर नौकरी पाने और ठीक-ठाक पैसे कमाने की अवस्था तक पहुंचने का समय ही काफी लंबा रहा. शुरुआत देर से होने की वजह से उनकी सेविंग की शुरुआत भी देर से हुई.
Edited by Manisha Pandey