पिछले साल भारतीयों ने विदेश यात्रा पर खर्च कर दिए 826 करोड़ रुपये, RBI के आंकड़ों से आया सामने
आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीयों ने अकेले दिसंबर, 2022 में विदेश यात्रा पर 94 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके साथ ही, फाइनेंशियल ईयर 2023 में भारतीयों द्वारा विदेश यात्रा पर किया गया कुल खर्च 822 करोड़ रुपये से अधिक रहा.
भारतीयों ने पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच विदेश यात्रा पर 826 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है.
यह आंकड़ा किसी भी फाइनेंशियल ईयर किए गए खर्च से कहीं अधिक है. इससे पहले 2019-20 के पूरे फाइनेंशियल ईयर में किया गया कुल खर्च 578 करोड़ रुपया था.
आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीयों ने अकेले दिसंबर, 2022 में विदेश यात्रा पर 94 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके साथ ही, फाइनेंशियल ईयर 2023 में भारतीयों द्वारा विदेश यात्रा पर किया गया कुल खर्च 822 करोड़ रुपये से अधिक रहा.
बता दें कि, फाइनेंशियल ईयर 2023 में एजुकेशन, गिफ्ट और इंवेस्टमेंट पर खर्च की गई विदेशी मुद्रा के रूप में विदेश भेजा गया कुल धन 1601 करोड़ रुपये होता है. फाइनेंशियल ईयर 2022 में इस श्रेणी में अब तक का सबसे अधिक खर्च 1622 करोड़ रुपये था.
हालांकि, एक तरफ जहां भारतीयों के यात्रा खर्च में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय विदेश में रहने वाले अपने रिश्तेदारों पर कम खर्च करने लगे हैं. कुल विदेशी खर्च में रेमिटेंस की हिस्सेदारी फाइनेंशियल ईयर 2018 के 26 फीसदी से घटकर फाइनेंशियल ईयर 2023 में 15 फीसदी रह गई है. इक्विटी शेयरों में निवेश के लिए विदेश भेजा गया पैसा फाइनेंशियल ईयर 2018 से सालाना करीब 826 करोड़ रुपये से अधिक रहा है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि फाइनेंशियल ईयर 2023 में लिबराइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत विदेशी रेमिटेंस पर सोर्स (टीसीएस) पर टैक्स कलेक्शन को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की घोषणा, विदेश जाने वाली इस राशि को प्रभावित कर सकती है.
2004 में शुरू की गई एलआरएस योजना के अनुसार, नाबालिगों सहित सभी निवासी व्यक्तियों को किसी भी अनुमत चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिए प्रति वित्तीय वर्ष 2 करोड़ रुपये तक स्वतंत्र रूप से विदेश भेजने करने की अनुमति है.
2020 में LRS योजना पर 5 प्रतिशत का TCS लगाया गया था ताकि विदेश भेजे जाने वाली राशि की निगरानी की जा सके और इन्हें आयकर रिटर्न के साथ जोड़ा जा सके. इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है और इससे बाहर भेजे जाने वाली राशि में गिरावट आ सकती है.
Edited by Vishal Jaiswal