Vodafone-Idea को इंडस टावर्स की चेतावनी, अगर नहीं चुकाया बकाया तो बंद हो जाएंगी टावर सर्विसेज
वोडाफोन आइडिया के बढ़ते बकाया पर स्वतंत्र निदेशकों द्वारा चिंता व्यक्त करने के बाद Indus Towers ने VIL से यह कहा है.
मोबाइल टावर सेवाप्रदाता इंडस टावर्स (Indus Towers) ने कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea Limited or VIL) को नवंबर के बाद कारोबार जारी रखने के लिए बकाया रकम चुकाने और हर महीने समय पर भुगतान करने के लिए कहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि वोडाफोन आइडिया के बढ़ते बकाया पर स्वतंत्र निदेशकों द्वारा चिंता व्यक्त करने के बाद कंपनी ने टेलिकॉम ऑपरेटर से यह कहा है.
सूत्रों का कहना है, ‘इंडस टावर्स ने वीआईएल को जल्द से जल्द पिछले बकाया चुकाने को कहा है. कंपनी ने वीआईएल को चालू महीने के बकाया के 80 प्रतिशत का भुगतान करने और अगले महीने से पूरा भुगतान समय पर करने को कहा है. भुगतान न करने की सूरत में नवंबर के बाद इंडस टावर्स, वोडाफोन आइडिया को सेवाएं देना बंद कर देंगे.’ एक अन्य सूत्र का कहना है अमेरिकन टावर कॉरपोरेशन ;एटीसीद्ध भी अपने बकाये को सुरक्षित करने के लिए इसी तरह के कदमों पर विचार कर रही है. कंपनी के भारत में 75000 मोबाइल टावर हैं.
VIL पर दोनों का कितना बकाया
वर्तमान में वीआईएल पर इंडस टावर्स का लगभग 6800 करोड़ रुपये और एटीसी का 2400 करोड़ रुपये का बकाया होने का अनुमान है. वीआईएल, इंडस टावर्स से 9446.8 करोड़ रुपये की सर्विसेज का लाभ ले चुकी है और उसे 3375 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है.
सरकार की ब्याज के तौर पर करीब 16,000 करोड़ की देनदारी
इससे पहले सितंबर माह की शुरुआत में खबर सामने आई थी कि सरकार, वोडाफोन आइडिया के शेयर का भाव 10 रुपये पर स्थिर हो जाने के बाद इसमें हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी. वीआईएल पर सरकार की ब्याज के तौर पर करीब 16,000 करोड़ रुपये की देनदारी है. इसके निदेशक मंडल ने इस देनदारी के एवज में सरकार को 10 रुपये प्रति शेयर के समान भाव पर हिस्सेदारी देने की पेशकश की है. वित्त मंत्रालय ने गत जुलाई में VIL में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
इस हिस्सेदारी के अधिग्रहण के बाद वीआईएल में सरकार का स्वामित्व करीब 33 प्रतिशत हो जाएगा जबकि कंपनी के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 74.99 प्रतिशत से घटकर 50 प्रतिशत से नीचे आ जाएगी. सरकार ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को यह विकल्प दिया था कि समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की बकाया राशि और लंबित स्पेक्ट्रम किस्तों पर देय ब्याज को हिस्सेदारी के रूप में बदला जा सकता है. वीआईएल पर 30 सितंबर, 2021 तक 1,94,780 करोड़ रुपये का कुल कर्ज था. अप्रैल-जून तिमाही, 2022 के अंत में यह कर्ज बढ़कर 1,99,080 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
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Edited by Ritika Singh