67 वर्षीय यह महिला आंत्रेप्रन्योर सोलर मशीनों का इस्तेमाल कर फलों से तैयार करतीं हैं कई हेल्दी प्रोडक्ट्स, आप भी जानें कैसे
महाराष्ट्र राज्य के दहाणु की रहने वाली लतिका पाटिल ‘औरा ग्रीन’ नाम के फूड प्रोसेसिंग बिजनेस का संचालन कर रही हैं। उनके इस काम में उनके पति अच्युत पाटिल भी पूरा साथ निभा रहे हैं।
“उम्र थका नहीं सकती, ठोकरें गिरा नहीं सकतीं, अगर जीतने की जिद हो तो परिस्थितियां हरा नहीं सकतीं।”
अपने साहस और जिंदादिली के कारण आज मुंबई की 67 वर्षीय लतिका पाटिल करोड़ों रुपये का बिजनेस चला रही हैं।
बचपन से ही खेती-किसानी से था लगाव
महाराष्ट्र राज्य के दहाणु की रहने वाली लतिका पाटिल ‘औरा ग्रीन’ नाम के फूड प्रोसेसिंग बिजनेस का संचालन कर रही हैं। उनके इस काम में उनके पति अच्युत पाटिल भी पूरा साथ निभा रहे हैं। लतिका की फैमिली में सालों से चीकू की फसल का उत्पादन किया जाता रहा था जिस कारण उन्हें खेती-किसानी की अच्छी समझ और इस काम से काफी लगाव भी था। उनके फार्म में उगने वाले चीकू आसपास के शहरों तक में बिकते हैं।
पेशे से थीं शिक्षक फिर बनीं बिजनेसवुमन
लतिका पाटिल पेशे से शिक्षक थीं। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद सक्रिय रूप से अपने पति के साथ फलों के प्रोसेसिंग बिजनेस में काम करना शुरू किया। हालांकि, उनके पति बीते 20 सालों से चीकू को धूप में सुखाकर प्रोसेसिंग कर रहे हैं।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि, “मैं हमेशा से खेती में थोड़ी-थोड़ी रुचि लेती थी। लेकिन साल 2015 में रिटायर होने के बाद, मैंने इसमें ज्यादा समय देना शुरू किया।”
काम को बेहतर बनाने के लिए लेनी पड़ी ट्रेनिंग
एक बिजनेस करने वाले इंसान के लिए सबसे अधिक जरूरी है नए-नए विचारों के साथ हमेशा आगे बढ़ते रहना। सही दिशा में किए गए प्रयासों से ही व्यापार की बढ़ोत्तरी होती है। कुछ ऐसे ही नए-नए आईडियाज पर काम करने की उत्सुकता लतिका पाटिल के मन में भी बनी रहती थी। उन्होंने प्रोसेसिंग के काम को ही आगे बढ़ाने पर फोकस रखा लेकिन इसके लिए कई तरह की ट्रेनिंग भी लीं। अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होकर बिजनेस को बेहतर बनाने के गुण सीखें।
वह बताती हैं, “फलों के प्रोसेसिंग के काम में अधिक समय और श्रम दोनों की आवश्यकता होती है। लेकिन, इस प्रयास से अब किसान कम से कम अपनी फसल को बर्बाद होने से बचा पाने में सफल हैं। मेरे इस प्रोसेसिंग के बिज़नेस में बड़ा बदलाव करीब छह साल पहले आया जिसके बाद यह कारवां बढ़ता गया।”
बेटे ने दी सोलर मशीन का प्रयोग करने की सलाह
उनकी कंपनी बीते 20 सालों से चीकू फल का प्रोसेसिंग करके प्रोडक्ट तैयार कर रही थी। लेकिन क्वालिटी के मामले में अभी भी उनके ब्रांड से अच्छा रिजल्ट नहीं मिल पा रहे थे। इस बार को लेकर काफी चिंता बनी रहती थी। करीब छ: साल पहले बेटे निनाद ने लतिका को सोलर ड्रायर मशीन के बारे में जानकारी दी और इसका प्रयोग करने की सलाह दी। बेटे का यह आइडिया काफी कारगर निकला।
एक मीडिया रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि, "मेरे बेटे ने जब हमें सोलर ड्रायर मशीन के बारे में बताया और उसके फायदे समझाएं तो मुझे उसका यह विचार काफी फायदेमंद लगा। मैंने बिना दे किए उससे एक सोलर ड्रायर मशीन मंगाने को ख दिया। पहली मशीन से काम करके हमें इतना अच्छा रिजल्ट मिला कि धीरे-धीरे हमने और मशीन खरीदना शुरू कर दिया।”
अन्य महिलाओं को देती हैं ट्रेनिंग
लतिका की कंपनी में कई महिलाएं भी काम करती हैं। आज उनके पास करीब 20 से अधिक सोलर ड्रायर मशीन हैं। उन्होंने आसपास के किसानों को भी इसका प्रयोग करने की सलाह दी है।
इसके अलावा आजकल लतिका महिलाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने का काम भी कर रही हैं। उनके इस काम में गाँव की अन्य किसान भी काफी सक्रियता के साथ जुड़ रहे हैं। वह भी चीकू को सुखाकर लतिका के साथ प्रोडक्ट्स बनाने में उनकी डिमांड को पूरा कर रहे हैं।
Edited by Ranjana Tripathi