बीमा कंपनियों को मिलेगी बड़ी राहत, एक ही कंपनी बेच सकेगी लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट
अगर वित्त मंत्रालय का ये फैसला अमल में आता है तो बीमा कंपनियों को जनरल, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स बेचने के लिए अलग अलग लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
केंद्र सरकार ने मौजूदा बीमा कानूनों में कई बदलावों का प्रस्ताव दिया है और अगर ये प्रस्ताव लागू होते हैं तो बीमा कंपनियों को बड़ी राहत मिल सकती है. प्रस्तावों के तहत बीमा कंपनियों के लिए कंपोजिट लाइसेंस और अलग-अलग तरह के फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स बेचने की मंजूरी शामिल है.
इसमें सबसे बड़ी बात है कि डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) ने हर प्रकार के बीमा प्रोडक्ट्स के लिए एक कंपोजिट लाइसेंस का प्रस्ताव दिया है. अगर वित्त मंत्रालय का ये फैसला अमल में आता है तो बीमा कंपनियों को जनरल, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स बेचने के लिए अलग अलग लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए सरकार को इंश्योरेंस एक्ट, 1938 में संशोधन करना होगा. फिलहाल सरकार ने कंपोजिट लाइसेंस के प्रस्ताव पर 15 दिसंबर, 2022 तक स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगा है.
मौजूदा समय में बीमा कंपनियों को जनरल बीमा प्रोडक्ट्स, लाइफ इंश्योरेंस प्रोडेक्टस और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट बेचने के लिए अलग अलग लाइसेंस लेना होता है. लेकिन कंपोजिट लाइसेंस जारी होने के बाद बीमा कंपनियों के पास ये विकल्प होगा कि वो कौन सा प्रोडक्ट जारी करना चाहते हैं. अभी अगर किसी कंपनी ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडेक्ट बेचने के लिए लाइसेंस लिया है तो वो कंपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं बेच सकती हैं.
बीमा कंपनियां लंबे समय से कंपोजिट लाइसेंस पॉलिसी को लागू किए जाने की मांग करती रही हैं. यही नहीं जैसे बैंक बीमा प्रोडक्ट्स और म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट्स बेचते हैं तो बीमा कंपनियों को केवल बीमा प्रोडक्टस ही बेचने की इजाजत है.
बीमा कंपनियों की सरकार से ये भी मांग है कि बीमा प्रोडक्टस के अलावा उन्हें दूसरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स भी बेचने की भी मंजूरी दी जाए, जिससे उन्हें रिवेन्यू बढ़ाने में मदद मिल सके. इसे लागू किया गया तो बीमा कंपनियां म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट बेच सकेंगी.
बीमा कंपनी स्थापित करने के लिए नियमों में ढील का प्रस्ताव
DFS ने बीमा कंपनी स्थापित करने के लिए पूंजी की अनिवार्य आवश्यकताओं को दूर करने का सुझाव दिया है. मौजूदा नियमों के तहत, लाइफ, जनरल या हेल्थ बीमा व्यवसाय स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये की पेड-अप इक्विटी पूंजी की आवश्यकता होती है और, पुनर्बीमा के लिए यह 200 करोड़ रुपये है.
IRDAI सदस्यों की रिटायरमेंट एज बढ़ाने का प्रस्ताव
इसके साथ ही, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के चेयरमैन औऱ पूर्णकालिक सदस्यों की रिटायरमेंट एज को भी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है. डीएफएस ने बीमा विनियामक विकास अधिनियम, 1999 में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव किया है, जिससे पूर्णकालिक सदस्यों और अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति की आयु वर्तमान में 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी जाए.
Edited by Vishal Jaiswal