भारत में पार्टिसिपेटरी नोट के जरिये मई में निवेश घटकर हुआ 86,706 करोड़ रुपये
SEBI के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू बाजारों में पी-नोट के जरिये निवेश का मूल्य मई, 2022 के अंत मे 86,706 करोड़ रुपये रह गया, जो अप्रैल में 90,580 करोड़ रुपये था.
भारतीय कैपिटल मार्केट (indian capital market) में पार्टिसिपेटरी नोट (पी-नोट) (participatory notes) के जरिये निवेश मई, 2022 में मासिक आधार पर घटकर 86,706 करोड़ रुपये रह गया.
विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशक आने वाली एक-दो तिमाहियों में अपने बेचने के रुख को बदलते हुए देश के शेयरों में वापस खरीदारी करेंगे.
रजिस्टर्ड विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors - FPIs) की तरफ से पी-नोट उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो भारतीय शेयर बाजार (indian share market) में बिना रजिस्ट्रेशन के निवेश करना चाहते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें पूरी जांच-परख की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (Securities and Exchange Board of India - SEBI) के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू बाजारों में पी-नोट के जरिये निवेश का मूल्य मई, 2022 के अंत मे 86,706 करोड़ रुपये रह गया, जो अप्रैल में 90,580 करोड़ रुपये था.
वहीं, मार्च 2022 में यह 87,979 करोड़ रुपये जबकि फरवरी और जनवरी में क्रमश: 89,143 और 87,989 करोड़ रुपये था.
आंकड़ों के अनुसार, मई में 86,706 करोड़ रुपये के कुल पी-नोट निवेश में से 77,402 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों में किया गया जबकि 9,209 करोड़ रुपये बांड एवं 101 करोड़ रुपये ‘हाइब्रिड’ सिक्योरिटीज में लगाए गए थे.
वहीं, अप्रैल के अंत में 81,571 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों और 8,889 करोड़ रुपये निवेश बांड में किये गये थे.
पी-नोट की तुलना में FPI के अंतर्गत असेट्स मई के अंत में पांच प्रतिशत घटकर 48.23 लाख करोड़ रुपये रही. अप्रैल अंत में यह 50.74 लाख करोड़ रुपये थी.
इस बीच, मई के दौरान विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजारों से 40,000 करोड़ रुपये तथा बॉन्ड बाजारों से 5,505 करोड़ रुपये निकाले हैं.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की आशंकाओं के कारण विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है. यह लगातार आठवां महीना है जब FPI ने भारतीयों बाजारों से शुद्ध रूप से निकासी की है.