Jamtara Season 2: भारत में बदलता फिशिंग का कारोबार
Jamtara का अर्थ होता है सापों का घर. झारखंड की राधानी रांची से लगभग 250 की.मी दूर स्थित जामताड़ा वैसे तो सांपों के चलते ही मशहूर था, मगर इस जिले को साइबर स्कैम और ऑनलाइन फ्रॉड का केंद्र कहा जाता है. 'जामताडा ' तब खूब सुर्खियां मिली जब Netflix ने इसी नाम की वेब सीरीज बनाई. पहले सीजन की सक्सेस के बाद अब दूसरा सीजन(Jamtara season 2) भी आ गया है.
ये वेब सिरीज़ Phishing या आसान भाषा में कहे तो ऑनलाइन फ्रॉड और स्कैम पर आधारित है. इस शब्द का मतलब आप Fishing से जोड़कर समझ सकते हैं. फिशिंग में मछुवारे की जगह हैकर होते हैं और मछली की जगह यूज़र्स या कस्टमर. हैकर मछली की तरह आकर्षक ईमेल भेजते हैं, जो यूज़र्स को चारे की तरह लगती है और वो लाभ या डर की वजह से ईमेल को खोलते हैं और हैक हो जाते हैं. आज हम बात करेंगे कि लोग आखिर क्यों हो रहे हैं फिसिंग के शिकार, हैकर आखिर कैसे लोगों को बेवक़ूफ़ बनाकर कर रहे हैं ठगी. इसके साथ ये भी बताएंगे की कैसे बचे इन स्कैमर्स से.
कैसे हुई फिसिंग की शुरुआत
1970 के दौर में लोगों ने फ़ोन लाइन को हैक करके कॉल फ्री करवाने की जुगत शुरू करदी थी. फ़ोन लाइन हैकिंग तो मात्र एक शुरुआत थी, उसके बाद हैकर ने ईमेल और मेसेज को अपना हथियार बनाया. हैकर अमेज़न और फेसबुक जैसे प्रतिष्ठित ई-कॉमर्स साइट या किसी पुलिस विभाग की ओर से फर्जी ईमेल और मैसेज भेजते हैं और जब यूजर ईमेल को खोलते, तो उनके मोबाइल या लैपटॉप पर मैलवेयर डाउनलोड हो जाता और उनका सिस्टम हैक हो जाते है. इसके बाद हैकर आपसे जुड़ी जरुरी जानकारी की चोरी कर लेते.
फिशिंग का बदलता स्वरुप
बदलते समय के साथ ऑनलाइन चोर यूज़र्स को लूटने के नए-नए तरीके निकालते गए. कभी फेक कॉल कर लोगों से उनकी बैंक डिटेल्स पूछते तो कभी मैसेज कर लोगों से उनका ओटीपी मांगते. बैंक के फर्जी प्रतिनिधि बनकर लोगों को कॉल कर उनके बैंक डिटेल्स भी मांगते. आम लोगों के साथ-साथ सरकारी विभाग, प्राइवेट सेक्टर के लोग भी फिशिंग का शिकार बन जाते हैं. 2020 में आई Proofpoint की रिपोर्ट बताती है कि 55% से ज्यादा लोग कहीं न कहीं फिशिंग की चपेट में आए हैं. चाहे बड़ी-बड़ी कंपनियों के दिग्गज हो या सरकारी मंत्रालय, फिशिंग से कोई भी नही बच सका है.
बैंकिंग सेक्टर में तेजी से हुए डिजिटलीकरण के बाद Online Scam भी तेजी से बढ़ने लगे. Digital Literacy की कमी की वजह से शुरुआत में इन स्कैमेर्स ने लोगों को खूब चूना लगाया. डिजिटल बैंकिंग की कमियों का खूब फायदा उठाया गया. शुरूआती दौर में लोग ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल तो कर रहे थे, मगर इसके तकनीकी ज्ञान से अनजान थे. इसी बात का फायदा इन ऑनलाइन चोरों ने जमकर उठाया. लोगों को तो ये भी नहीं पता था कि अपरिचित सौर्स से पैसे उड़ जाने के बाद इसकी शिकायत कहां करें.
फिशिंग से कैसे बचें
लोगों को डिजिटली जागरूक करने की जरुत है. किसी भी ईमेल या लिंक को खोलने से पहले उसका सोर्स जरुर जांच लें. सौर्स जांचने से मतलब है कि कंपनी के जिस भी व्यक्ति के द्वारा मेल भेजा गया है, उससे बात करके आप मेल को कन्फर्म करलें. किसी भी अंजान व्यक्ति के साथ अपना एटीएम पिन, सीवीवी, ओटीपी बिलकुल भी न साझा करें क्योंकि बैंक कभी भी ऐसे आपसे जानकारी नहीं मांगता है.\